हिंदी ग़ज़ल और गीत के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर डाॅ.कुंवर बेचैन का जन्म उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के उमरी गांव में हुआ। डाॅ.कुंवर बेचैन साहब ने कई विधाओं में साहित्य सृजन किया। मसलन कवितायें भी लिखीं, ग़ज़ल, गीत और उपन्यास भी लिखे। डाॅ. कुंवर बेचैन की
सुभद्रा कुमारी चौहान एक प्रसिद्ध हिंदी कवियत्री थी जिन्होंने मुख्यतः वीर रस में लिखा। उन्होंने हिंदी काव्य की अनेकों लोकप्रिय कृतियों को लिखा। उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना झांसी की रानी थी, जो रानी लक्ष्मी बाई के जीवन का वर्णन करने वाली एक भावनात्मक कविता
वर्षा ऋतु के आगमन का सभी जीव, जंतु, पेड़- पौधे और मनुष्य को इंतजार रहता है। क्योंकि गर्मी में झुलसे हुए पेड़- पौधे एवं जीव जंतु नया संचार आ जाता है। धरती मां ने मानो हरि चुनरी धारण कर रखी हो। चारों तरफ पक्षियों के चमकाने और झरणों व नदियों की कल- कल क
वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति ' मांस भक्षण पर व्यंग्यात्मक शैली में लिखा गया नाटक है । ' प्रेमयोगिनी ' में काशी के धर्मआडंबर का वही की बोली और परिवेश में व्यंग्यात्मक चित्रण किया गया है। ' विषस्य विषमौषधम् ' मैं अंग्रेजों की शोषण नीति और भारतीयों की महा
हमे कभी भी अपने माता पिता से ज्यादा कीसी पे भी इतना विश्वास नहीं करना चाहिए
गणेश चतुर्थी पर अगर आप उन्हे ला नहीं सकते हैं तो इसमें आप समाधान पायेंगे की क्या करें ! ध्यान भी हैं हैं इसमें !
श्री गणेश जी महाराज को प्रथम पूजनीय इसलिए माना जाता है! क्योंकि उनसे बड़े कहीं देव थे! जबकि वह सभी देवों में उम्र में बहुत कम थे विवेक और बुद्धि होने के साथ चतुर थे। अपने माता- पिता,गुरुदेव, को पूजनीय एंव सर्वप्रथम मानते थे। इससे यह निष्कर्ष निकलत
इस डायरी में मैं अपने उद्गारों और जज़्बातों को संग्रहित करूंगी
माह सितम्बर की दैनन्दिनी में 'गणेशोत्सव' और 'नवरात्रि महोत्सव' के रंग में रंगकर पर्वों का आनंद जरूर उठाइए, लेकिन इतना ख्याल रखे कि इसमें अपने 'बुजुर्गों को साथ लेकर उनका आशीर्वाद लेना न भूलें'। भले ही 'सोशल मीडिया' का जमकर प्रयोग करें लेकिन ध्यान र
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जीवन के विभिन्न स्वरूपों का संग्रह
मैं अपनी डायरी में इतिहास के कुछ पन्नों को उकेरने की कोशिश कर रही हूं मैं इसमें कितना सफल हुई हूं यह निर्णय शब्द इन के पाठक गण ही करेंगे।
विविध विषयों पर आधारित संस्मरण डायरी के रूप में।
मेरे जीवन में होने वाली दैनिक घटनाओं के विषय में वर्णन किया गया है। जिसमें मेरे जीवन के व्यक्तिगत विचार भी शामिल हैं।
दैनन्दिनी आपके यादगार पलों को सँजोने के साथ-साथ दूसरे पाठकों को आपकी जीवनी से भी परिचय कराती है। मुझे याद है, जब मैं कक्षा-9 में था तो मेरे पिता जी ने मुझे एक डायरी भेंट की थी, उस समय मैंने उनसे पूछा था कि इसमें क्या लिखूँगा? मेरी बात पर पिता जी न
सत्य हरिश्चंद्र भारतेन्दु हरिश्चन्द्र द्वारा लिखित चार अंकों का नाटक है। काशी पत्रिका नामक पाक्षिक हिन्दी पत्र में प्रकाशित यह नाटक पहली बार १८७६ ई. में बनारस न्यु मेडिकल हाल प्रेस में पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया। . 5 संबंधों: नाटक, भारत दुर्