नई दिल्ली: नगालैंड की राजधानी में गुरुवार को शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव का विरोध करते हुए लोगों ने राज्य चुनाव आयोग और उपायुक्त के कार्यालय में तोड़फोड़ की तथा कोहिमा नगर परिषद की इमारत को आग के हवाले कर दिया. हालात बेकाबू होता देख नगालैंड पुलिस की मदद के लिए सेना की पांच टुकड़ियां भेजी गईं हैं.
दरअसल, क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय और आबकारी विभाग के कार्यालय को भी हिंसक भीड़ ने आग के हवाले कर दिया. ये लोग जनजातीय समूहों के विरोध के बावजूद चुनाव के लिए आगे बढ़ने को लेकर मुख्यमंत्री टीआर जेलिआंग और उनकी पूरी कैबिनेट का इस्तीफा मांग रहे थे. दरअसल, जनजातीय समूह नगर निकायों में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण के खिलाफ है.
नगालैंड ट्राइब्स एक्शन कमेटी ने जेलिआंग और उनकी कैबिनेट को शाम चार बजे तक इस्तीफा देने, दीमापुर पुलिस आयुक्त को हटाने और चुनाव को अवैध एवं अमान्य घोषित करने का अल्टीमेटम दिया था. एनटीएसी ने इस मामले में राजभवन को एक ज्ञापन भी सौंपा है. हालांकि, राज्यपाल पीबी आचार्य इटानगर में हैं. उनके पास अरूणाचल प्रदेश के राज्यपाल का भी प्रभार है.
युवकों की जान जाने के बाद भारी रोष
एनटीएसी के दबाव में जेलिआंग ने चुनाव प्रक्रिया को अमान्य घोषित कर दिया और दीमापुर के पुलिस आयुक्त एवं पुलिस उपायुक्त का भी तबादला कर दिया ताकि मंगलवार को हुई गोलीबारी की घटना की निष्पक्ष जांच हो सके. इस घटना में दो प्रदर्शनकारी युवक मारे गए थे जिसके बाद से राज्य में रोष पनप रहा है. हालांकि मुख्यमंत्री की घोषणाएं चार बजे की समय सीमा समाप्त होने के पहले ही हुई थी फिर भी भीड़ हिंसक हो गई.
मारे गए थे दो युवक
नगालैंड के दिमापुर और लोंगलेंग जिलों में मंगलवार रात से पुलिस और भीड़ के बीच हुई झड़पों में दो लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए थे जबकि लोगों ने सरकारी संपत्तियों को भी भारी नुकसान पहुंचाया था.
राज्य सरकार के एक अधिकारी के मुताबिक दिमापुर में मुख्यमंत्री टीआर जेलिआंग के निजी आवास के पास जमा भीड़ को पुलिस ने रात करीब साढ़े नौ बजे हटाने का प्रयास किया था. इस दौरान दोनों पक्षों के बीच हुई झड़प में दो युवकों की मौत हो गई थी जबकि कई लोग घायल हो गए थे.