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घर की याद

4 नवम्बर 2021

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जीवन के उस क्षण में, जब पराये का अहसास कराया जाता है,
रोता है मन मेरा और हर पल घर की याद दिलाया करता है।
माॅं की ममता को तरसती, फिर पिता का भी लाड़ याद आता है।
बहनों की प्यारी मुस्कान और भाई का झगड़ा याद आया करता है।

जब भी कोई तकलीफ होती, किसी को भी बोल ना पाऊं मैं,
बिन बोले सब समझ जाये, ऐसा परिवार याद आया करता है।
छोटी छोटी बातों पर, हर बार जब ताने सुनने को मिलते है,
घर में बन शहजादी घुमना, वो दिन पुराने याद आया करता है।

सदा सुखी रहो आशीर्वाद फिके लगते, जब कोई जज्बात न समझे,
दिल रोता यह सोच, ब्याह के बाद क्यो जीवन बदला करता है।
मेरे मन की उलझनें, मेरा विश्वास तोड़ती है।
गैरो को अपना हर बार एक स्त्री ही क्यो करती है।

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