जिंदगी भर हाय हाय करते रहे
कभी धांय धांय कभी फांय फांय करते रहे
धन दौलत के पीछे पीछे दौड़ते रहे
सुख के नखलिस्तान के लिए
दुखों के मरुस्थल में भटकते रहे
रिश्तों की चादर में लिपटे रहे
अपनों के प्यार के लिये तरसते रहे
दो पल की जिंदगी के लिये
हजारों बार जीते मरते रहे
क्या साथ लेकर आये थे
और क्या साथ लेकर जायेंगे
जो भी कुछ कमाया है
सब यहीं छोड़कर जायेंगे
कोई अपना पराया काम नहीं आयेगा
जो बोया है वही काटा जायेगा
जाने के बाद अगर कुछ शेष रहता है
तो वह है निल बटे सन्नाटा
इसलिए अच्छाइयों की दौलत कमाइये
दुनिया को निल बटा सन्नाटा नहीं
कुछ यादगार लम्हे देकर जाइये ।
हरिशंकर गोयल "हरि"
11.11.21