डॉक्टर बागले सुसज्जित होकर ठीक दस बजे क्लीनिक पर पहुँचे। दरवाजे पर लटके ताले को खोलकर, जंग लगने से बदसूरत हो चुके किवाड़ों को जोर से धक्का दिया। चूं...चूं....की आवाज़ करके खुले किवाड़ों ने बागले को अंदर