सुलगती हुई इन राहों पर,
मेरा अब कोई जोर नहीं
बदले की इस जंग में,
मेरे जज्बातों पर कोई रोक नहीं,
उसकी जलती हुई चिता की यादें ,
आंखों में जब आती हैं
जलने की तड़प,
अब अंग अंग सुलघाती है,
ये इन्तेक़ाम-ए- मोहब्बत,
ना जाने क्या-क्या करवाती है
miss a mittal