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इन्तेक़ाम-ए- मोहब्बत, 

4 जनवरी 2022

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सुलगती हुई इन राहों पर,
मेरा अब कोई जोर नहीं
 बदले की इस जंग में,
मेरे जज्बातों पर कोई रोक नहीं,
उसकी जलती हुई चिता की यादें ,
आंखों में जब आती हैं
 जलने की तड़प,
अब अंग अंग सुलघाती है,
 ये इन्तेक़ाम-ए- मोहब्बत, 
ना जाने क्या-क्या करवाती है
miss a mittal
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रचनाएँ
कुछ अल्फाज दिल से
0.0
रंग जितने भी लगा लो दिल तो काला ही रहेगा कितनी भी पूजा करलो पैसों का पलड़ा ही भारी रहेगा ना हो यकीन तो देखो अदालत के उन काले कोट वालो को जिनकी कमीज सफेद और कोट काला है जहां चलता पैसों वालों का बोलबाला है Miss amittal

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