विरह की व्यथा क्या होती है ?
वनों की लताओं, वृक्षों से पूछो
वे साक्षी हैं श्री राम की विरह वेदना के
उस अनंत अथाह सागर से पूछो
जो खारा हो गया है विरह के आंसुओं से
उन जंगली जानवरों से पूछो जो
शकुंतला के साथ साथ रो रहे थे
ब्रज की रज, यमुना तट, कदंब से पूछो
जो गवाह है राधा के विरह शोक के
उस विशाल रेगिस्तान से पूछो जो
लैला मजनूं के विरह में बंजर हो गया
उस चिनाब के शीतल जल से पूछो
जो सोहिनी महीवाल के विरह पे रोई थी
उस कैलाश पर्वत से पूछो जिसने
भोले भंडारी का विकराल रूप देखा था
उस अशोक वृक्ष , पक्षी, तारों से पूछो
जिन्होंने माता सीता का विलाप सुना था
अयोध्या के उन महलों से पूछो जिसने
उर्मिला और मांडवी का दग्ध हृदय देखा था
उस सैनिक की वीर पत्नी से पूछो
जिसका सुहाग छिन गया था देश की खातिर
उस सिंदूर , बिंदी, चूड़ी, कंगन से पूछो
जो इंतजार करते हैं स्वामी का परदेस से आने का
उस पैसे से पूछो जिसे कमाने के लिए
अपने परिवार को छोड़कर कोई बाहर जाता है
चांद, तारे, आकाशगंगा, धूमकेतु से पूछो
जो रोज देखते हैं विरह वेदना से दग्ध स्त्री पुरुषों को
व्हाट्सएप मैसेज, फेसबुक पोस्ट से पूछो
जो भेजने वाले के दुख से दुखी होकर
खुद ही रो पड़ते हैं और बाकी लोगों को भी रुला देते हैं
हरिशंकर गोयल "हरि"
6.1.22