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जीवन का फल

28 अप्रैल 2022

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जीवन का फल, जीवन का फल!

यह चिर यौवन-श्री से मांसल!

इसके रस में आनन्द भरा,

इसका सौन्दर्य सदैव हरा;

पा दुख-सुख का छाया-प्रकाश

परिपक्व हुआ इसका विकास;

इसकी मिठास है मधुर प्रेम,

औ’ अमर बीज चिर विश्व-क्षेम!

जीवन का फल, जीवन का फल!

इसका रस लो,--हो जन्म सफल।

तीखे, चमकीले दाँत चुभा

चाबो इसको, क्यों रहे लुभा?

निर्भीक बनो, साहसी, शक्त,

जीवन-प्रेमी,--मत हो विरक्त।

सुन्दर इच्छा की धरो आग,

प्रिय जगती पर दयितानुराग!

शब्द mic
40
रचनाएँ
युगांत
0.0
"'युगांत' में 'पल्लव' की कोमलकांत कला का अभाव है। इसमें मैंने जिस नवीन क्षेत्र को अपनाने की चेष्टा की है, मुझे विश्वास है, भविष्य में उस मैं अधिक परिपूर्ण रूप में ग्रहण एवं प्रदान कर सकूँगा।" सुमित्रनंदन पंत छायावादी युग के प्रमुख 4 स्तंभकारों में से एक हैं। उनकी प्रमुख रचनाओं में उच्छवास, पल्लव, मेघनाद वध, बूढ़ा चांद आदि शामिल हैं। उन्हें साहित्य में योगदान के लिए पद्मभूषण व ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
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