ये किताब जिंदगी के अनुभवों का एक साझा संकलन है जहां के कई हिंदी के दिग्गज लेखकों ने अपने अनुभवों को साझा किया है ।
जिंदगी की परेशानियां कभी खत्म नही होतीं.... लेकिन अगर इनसे निकलना चाहते हैं तो.. अपने अंदर के बचपने को जिंदा रखिये... 🤗
जीवन में अगर हमे कुछ करना है तो हमारा एक लक्ष्य भी होना चाइए अगर जीवन में कोई हमारा लक्ष्य ही नहीं है तो हमारे जीवन का कोई मूल्य नहीं है हम जीवन में कुछ भी प्राप्त नहीं कर सकते हर मनुष्य को एक लक्ष्य बनाना चाहिए और उसी लक्ष्य के अनुसार उसी के अनुरूप
एक दिव्यांग व्यक्ति का कोई नहीं होता है
इस पुस्तक के माध्यम से मेंने अपनी बचपन की यादों को पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया है।इसमें बचपन की खट्टी - मीठी यादों को शब्दों के माध्यम से दर्शाया गया है।इस संस्मरण के माध्यम से बाल मनोभाव को प्रकट किया गया है।इसमें एक ओर तो बच्चों की शरारतों और मौज
भारतेंदु हरिश्चन्द्र द्वारा आधुनिक भारत के महानतम हिंदी लेखकों में से एक और आधुनिक हिंदी साहित्य का पितामा माना जाता है। हरिश्चंद्र को उनकी कविता, और साथ ही साथ गद्य की नई शैली विकसित करने के लिए भी पहचाना जाता था उन्होंने कई नाटक, रोजमर्रा की जिंदग
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुणों से आज हर कोई वाकिफ है. एक बेहद ही साधारण परिवार में जन्म लेने के बावजूद मोदी जिस तरह सफलता की सीढ़ी पर चढ़े हैं, वो वाकई काबिल-ए-तारीफ है। इस किताब में नरेंद्र मोदी से जुड़ी उस हर बात का जिक्र है, जिसके बारे
नमस्ते.. मित्रों आज की मेरी कहानी हें बेरोजगारी ही आत्महत्या हें.. इस एक वाक्य मे हर उस व्यक्ति की कहानी हें जो अपनी जुबा से कह नहीं सकता पर उसकी आखों और उन आँखों से निकलते उन आसुओं की कहानी बया करती हें आज की कहानि एक गरीब परिवार की 26 वर्षीय रीमा
जयप्रकाश नारायण की कहानी आज़ादी से पूर्व और आज़ादी के बाद लगभग बराबर बँटी है। जे पी को समझना देश को समझने के लिए एक आवश्यक कड़ी है। अगस्त क्रांति के नायक जिनका जीवन एक क्रांतिकारी मार्क्सवादी से गुजरते हुए गांधीवाद और समाजवाद के मध्य लौटता है, औ
राजा परीक्षित को श्रीमद्भागवत पुराण सुनातें हुए जब शुकदेव जी महाराज को छह दिन बीत गए और तक्षक ( सर्प ) के काटने से राजा परीक्षित की मृत्यु होने का एक दिन शेष रह गया, तब भी राजा परीछित का शोक और मृत्यु का भय दूर नही हुआ.....!!! अपने मरने की घड़ी निकट
क्या लिखु मैं, मेरे दिल के भावों पढे या देखने और कुछ बोलने से पहले ही हटा दिया जाता है। जिस से भाव प्रकट करते अब सोचना पढता हैं कि इतना बेकार लिखा था कि उसे पढना भी जरूरी नहीं समझा जाता और डिलिट कर दिया जाता है। इस से अब अपने विचार प्रस्तुत और भाव प्
इस पुस्तक में उत्तर प्रदेश के जनपद मुरादाबाद के दिवंगत साहित्यकारों के जीवन परिचय से अवगत कराया गया है ।
मैं लेखक नहीं हूँ। बस एक शुरुआत कर रहीं हूँ। इस किताब में मेरी निजी जिंदगी के अनुभव लिखूंगी।
यदि हम साहित्य की रचनाशीलता के परिपेक्ष्य में देखें तो हिंदी समेत सम्पूर्ण भारतीय भाषाओं के आधुनिक काल में ही नहीं वरन किसी भी कालखण्ड में किन्नर समुदाय को लगातार दो बड़ी और महत्वपूर्ण कृतियाँ आजतक किसी और रचनाकार ने साहित्य जगत को नहीं दी हैं।इस संदर
सब को दिल मे बसाना नही चाहिए प्रेम करता उसे प्यार देना चाहिए आँखो की शरारत निभाना चाहिए किसी को दिल को दुखना नही चाहिए ! आदमी हो गरीव पर प्रेम निभाना चाहिए किस्मत के लकीरे लिखना चाहिए,
न दिल से, न दिमाग से कुछ फैसले लिए जाते हैं, वक्त के हिसाब से।
अपनी जिंदगी की एक कहानी बचपन मे नानी सिखाती थी , बईमान ,चोर ,लुगेडो से सौ कोश दुर रहना ! न गलत संगत मे रहना हमेशा कर्म के पथ पर चलना, गलत मित्रता से दर ही रहना कर्मभुमि पथ पर चलना ! रिस्तो की डोर बाँध कर रखना दुख मे हमेशा शामिल रहना , सुख की हमे
जीवन एक सर्घष हैं। इसमेंकोई दो राह नहीं हैं। क्योंकि इंसान के लिए सर्घष नही तो कुछ नहीं। इंसानियत से ही व्यक्ति सब कुछ सिखता है। सर्घष व्यक्ति को सही शिक्षा और गलत के बताता है। सर्घष से व्यक्ति की पहचान होती हैं। वो ये भी जान जाता है। कौन उसका सही स
पंडित दीनदयाल उपाध्याय लेखक-फरहान शिबली प्रथम संस्करण वर्ष-2022 पंडित दीनदयाल उपाध्याय Published by- sabtimenews@gmail.com Facebook Page - witimedia Copyright ©Farhan shibli 2022
दिल्ली से कृष्णा सोबती का रिश्ता बचपन से है। आज़ादी से पूर्व उनका वेतनभोगी परिवार साल के छह माह शिमला और छह माह दिल्ली में निवास करता था। अपने किशोर दिनों में वे दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में हॉकी खेलती रही हैं। बँटवारे के बाद लाहौर से आकर वे स्थाय