हर आत्मकथा एक उपन्यास है और हर उपन्यास एक आत्मकथा। दोनों के बीच सामान्य सूत्र ‘फिक्शन’ है। इसी का सहारा लेकर दोनों अपने को अपने आप की कैद से निकलकर दूसरे के रूप में सामने खड़ा कर लेते हैं। यानी दोनों ही कहीं-न-कहीं सर्जनात्मक कथा-गढ़न्त हैं। इधर उपन्या
पोलैंड के एक अति सामान्य परिवार में जनमी मैडम क्यूरी, दुनिया के श्रेष्ठतम वैज्ञानिकों में से एक अपने आप में विलक्षण प्रतिभा थीं— फ्रांस की प्रथम डॉक्टरेट पानेवाली महिला दुनिया के किसी भी भाग में भौतिकी में डॉक्टरेट पानेवाली प्रथम महिला सोरबोन विश्ववि
मानव सभ्यता के इतिहास का निर्माण कुछ ऐसे असाधारण व्यक्तियों ने किया है, जो मानव जाति की स्मृतियों में सदा-सदा के लिए अमर हो गए हैं। ऐसी असाधारण हस्तियों के बगैर हम एक विकसित दुनिया की कल्पना नहीं कर सकते। संसार के ऐसे विशिष्ट व्यक्तियों की कोई सूची न
तो यह है मैत्रेयी पुष्पा की आत्मकथा का दूसरा भाग। ‘कस्तूरी कुंडल बसै’ के बाद ‘गुड़िया भीतर गुड़िया’। आत्मकथाएँ प्रायः बेईमानी की अभ्यास-पुस्तिकाएँ लगती हैं क्योंकि कभी सच कहने की हिम्मत नहीं होती तो कभी सच सुनने की। अक्सर लिहाज़ में कुछ बातें छोड़ दी जात
प्रयाग विश्वविद्यालय में भौतिक शास्त्र के प्रोफेसर एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चौथे सरसंघचालक प्रो. राजेंद्र सिंह का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबंध अक्तूबर १९४२ में आरंभ हुआ। विश्वविद्यालय के मेधावी छात्रों में उनकी गणना होती थी। विश्वविद्यालय न
दीनदयाल उपाध्याय का जीवन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ तथा भारतीय जनसंघ के साथ एकात्म था। भारतीय जनसंघ उनकी निर्णायक भूमिका व नेतृत्व के कारण भारतीय राजनीति का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण राजनीतिक दल बना। दीनदयाल उपाध्याय संविधानवाद को धर्म-राज्य के रूप में स्व
मुखड़ा -तू लगाव हम लगायेंम घर घर हरियाली , इनका से मिले जीवन की ख़ुशीहाली -२ अंतरा - कार्बन -डाई- ऑक्साइड अवशोषित करि के रात में छोड़े भाई , दिन में ऑक्सीजन छोड़ी परोप
मैत्रेयी पुष्पा और राजेन्द्र यादव को लेकर आधुनिक होने का दम भरने वाले आज के हिन्दी समाज ने जितनी बातें बनाईं, उतनी शायद ही किसी और के हिस्से में आई हों। लेकिन यह किताब उन बातों की सफ़ाई नहीं है। सफ़ाई को लेकर मैत्रेयी जी स्पष्ट हैं कि सफ़ाई वे दें जि
प्रस्तुत पुस्तक एक ऐसे उद्यमी की जीवनगाथा है, जिसने पंजाब के लुधियाना शहर से बीस हजार रुपए उधार लेकर व्यापार शुरू किया था और आज वह दुनिया की पाँच सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनियों में से एक का मालिक है। सफलता का पर्याय यह व्यक्ति ‘एयरटेल’ के मालिक सुनील भार
छोटी सी पूँजी लेकर बड़े सपने आँखों में सजाकर ‘जी’ नेटवर्क का साम्राज्य बनानेवाले सुभाष चंद्रा आज ‘मीडिया मुगल’ के नाम से जाने जाते हैं। टेलीविजन इंडस्ट्री में आने से पहले वे चावल निर्यात करने का काम करते थे। उन्होंने भारत के पहले निजी टेलीविजन चैनल ‘
'संस्मरणों के बहाने हिंदी के प्रभुत्वशाली समाज से हाशिये की पृष्ठभूमि से आए एक पत्रकार -बौद्धिक की विचारोत्तेजक बहस' - वीरेन्द्र यादव "देश के वरिष्ठ पत्रकार और प्रतिबद्ध लेखक-विचारक उर्मिलेश के संस्मरणों की किताब ‘ ग़ाज़ीपुर में क्रिस्टोफ़र कॉडवेल
डॉ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जैसी विभूतियाँ पृथ्वी पर सदियों में कभी-कभी ही जन्म लेती हैं और अपने विलक्षण कार्यों एवं व्यवहार से पूरे विश्व को प्रभावित कर जाती हैं। डॉ. कलाम एक कर्मयोगी व तपस्वी थे। उन्हें प्रकृति व मानवीयता से प्रेम था। विनम्रता, कठोर पर
उस दिन हर रोज़ की तरह हीं मैं अपने समय पर आफिस के लिये घर से निकला। निकलते समय हीं मेरी बेटी ने कहा कि आज उसे ट्युशन पढने के लिये सुबह हीं जाना है। जाने क्युं मगर उस सुबह मैंने अपने बेटे को स्कूल नहीं भेजा था। पता नहीं मन में क्या चल रहा था कि उसे स्क
यह कविता केरल कि निवासी बिजु.एस ने लिखा गया है. हमारे देश की सुंदरता और वीर योद्धाओं कि वर्णन है.भारत कि पवित्र धार्मिक सुधारकों कि विवरण हैं महान भारत (कविता ,विजु.एस,केरला) —----------- मेरी भूमि शुद्ध और दयालु है इसमें हमारा देश
मैंने तुरंत दुकान बन्द की और अपनी साईकिल उठा कर तेज़ रफ़्तार से चलाते हुए दूसरी दुकान की तरफ भागा । थोड़ी देर में मैं वापस आ गया। वो नीचे अभी तक नहीं आई थी । मै बैठ कर उसका इन्तजार करने लगा। थोड़ी देर में वो भागती हुई आई और बोली-अब तो दे दो आइसक्रीम
मेरे भाई-बहन पलकें बिछाकर मेरा स्वागत कर रहे थे। मेरे रामेश्वरम पहुँचने पर आस-पड़ोस के सभी लोग ऐसे प्रसन्न हो रहे थे मानो मैं पूरे रामेश्वरम का बेटा हूँ। वैसे, सच तो यह है कि मैं पूरे रामेश्वरम का बेटा था भी। ‘‘अरे कलाम, तू आ गया?’’ ‘‘हाँ चाची, कल शा
ये पुस्तक एक सच्ची घटना पर आधारित लेखनी है जिसमें एक गांव की रहने वाली महिला के जीवन का सजीव घटना को शब्दो में वर्णित किया गया है एक चंचल , हंसमुख, मिलनसार और हमेशा प्रसन्न चित्त रहने वाली महिला जिसको उसके जीवन में एक गलती जो दुनियादारी की चालाकियों
इस किताब की कहानियां देहाती क्षेत्र के उन गांवों की असली कहानियां है जो आपको गांव की पृष्ठभूमि व वहां के लोगों का संघर्ष और उनके जिंदादिली से रूबरू करवाएगी। इन कहानियां में गांवों में असली में संघर्ष की कहानियां है। इनके पात्र काल्पनिक जरूर है लेकिन
1970 के दशक के उत्तरार्ध में, उत्तर भारत के एक छोटे-से क़स्बे रामनगर में बिताए गए एक बचपन का वृत्तांत है ‘लपूझन्ना’। नौ-दस साल के बच्चे की निगाह से देखी गई ज़िंदगी अपने इतने सारे देखे-अनदेखे रंगों के साथ सामने आती है कि पढ़ने वाला गहरे-मीठे नॉस्टैल्जि
ख्यातिप्राप्त वैज्ञानिक, विचारक, दाशर्निक और शिक्षक के रूप में डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने प्रत्येक भारतीय को सदैव प्रेरित किया है। उनके जीवन, कॅरियर और लेखन ने कोटि-कोटि भारतीयों का मार्गदर्शन किया है, उन्हें प्रोत्साहित किया है। वे हमारे बीच में नह