बुआ जी के घर रहते हुए जीवन के विभिन्न रूप दिखे. गांव के लोगों का निश्छल जीवन था तब और आज की तरह वो राजनीती के शिकार नहीं हुए थे.
ये पुस्तक स्वतंत्रता सेनानी, स्वर्गीय श्री बनारसी दास गोटे वाले की जीवन गाथा है। मै रश्मि गुप्ता इस पुस्तक की लेखिका, सौभाग्यशाली हूँ कि मैं उनकी पुत्री हूँ । जितना करीब से जाना, देखा है, उसे सब के समक्ष रखना चाहती हूँ । मुझे पूर्ण आशा है कि उनक
जिंदगी में परेशानियां कितनी भी आएं कभी भी अपने आप को कमजोर मत पड़ने देना . याद रखना ये परेशानियां ही आप को मजबूत बनातीं हैं. ये बो सबक सिखा के जातीं हैं जो कोई किताब या ब्यक्ति नहीं सिखा सकता. और फिर भी समझ में न आये तो याद रखना. सूरज क
जिंदगी के दौर का अगर सबसे खूबसूरत क्षण होता हैं बचपन.... वो दोस्ती.... वो मस्ती... वो खेल.... वो दोस्तों से लड़ना.... वो दोस्तों के लिए लड़ना....।
इस पुस्तक में भगिनी निवेदिता के समर्पित व्यक्तित्व की एक झलक प्रस्तुत करने की चेष्टा की गई है। निःसंदेह ऐसे महान् चरित्रों की उपलब्धियाँ शब्दों में नहीं आँकी जा सकतीं; किंतु यह हमारी ओर से उस सच्ची साधिका के प्रति एक विनम्र श्रद्धांजलि है। आशा है; पा
इस पुस्तक में मेने अपनी पुरानी डायरी के कुछ पन्ने साँझा किए हैं। इसमें मेने अपने मां बनने के सुखद अहसास को और अपनी बेटी के बचपन को शब्दों में सजा कर व्यक्त किया है।
मेरे जीवन से जुड़े एमएसटी लाइफ के किस्से| सभी किस्से सच्ची घटनाओं पर आधारित है |
यह कहानी एक dog की है जिसका जन्म एक पाइप में होता है और वह बाहर की दुनिया से अनजान अपनी माँ के साथ रहता है वह ही सफ़ेद होता है और सभी भाई काले कभी कभी अपने बारे में सोचता है मैं ऐसा क्यों हूं बाहर की दुनिया के विषय मे भी यही सोचता है और जब बाहर निकलत
अपने जीवन में आए एक बदलाव को उजागर करता हैं मेरा ये छोटा सा लेख...।।
(1) किसी मजबूर इंसान का मजाक उड़ाने का खयाल आय तो उसके स्थान पर स्वयं रख कर देखे ! (2) प्रभु सुख देना तो बस इटना देना कि अंहकार न अजाय ! और दुख देना तो बस इटाना की आस्था ना चली जाए ! (3)भागवत गीता में लिखा है जिस समय कोई समस्या जन्म लेती है उ
याद आते है आपको ? वो बचपन के दिन जब हमारा व्यक्तित्व हमारे मां बाप और हम बना रहे होते हैं । हम शब्द मैने इसलिये प्रयोग किया क्योकि मिट्टी के बरतन के निर्माण मे मिट्टी का भी अपना योगदान होता है । मुझे तो आजकल रह रहकर याद आते हैं । तो चलते हैं बचपन की
सच्ची मुस्कुराहट और सच्ची खुशी को बयां करता एक छोटा सा सच्चा किस्सा....।
रानी लक्ष्मीबाई का जन्म काशी मे 19 नवम्बर 1835 को हुआ।इनके पिता मोरोपंत ताम्बे चिकनाजी के आश्रित थे।इनके माता का नाम भागीरथी बाई था। रानी लक्ष्मीबाई के बचपन का नाम मनु बाई था,मनु की उम्र मात्र 4 साल ही थी जब उनकी माताजी का निधन हो गया था और इसके बाद
एक लड़की की आपबीती...। विचारणीय और गंभीर मुद्दा..।
एक सामाजिक व मनोरंजक किस्म का व्यंग्यात्मक लहजे में आपके सामने पेश होने जा रही है यह छोटी सी कहानी "बाबू चंदन "। जो चंदन की जिंदगी की किस्सों के सााथ-साथ उस मोड़ पर पहुँँचती है, जहाँ एक पल के लिए चंदन ठगा सा रह जाता है जिसकी अभी नयी-नवेली शादी हुई है
जिंदगी कब कहा पहुँच जाए कुछ कह नही सकते है,,,,, जिंदगी की शुरुआत नवजात के रूप मे बच्चे से शुरू होता है,, बचपन, यौवन, गरहसथ, बुढ़ापा यह 4 भाग होते है जिंदगी के ।।।। सबसे अच्छा बचपन खेलो और जियो फूल की तरह होता है बचपन न कोई चिंता जिंदगी का सबसे अच
भूकंप की भयानक तबाही के बावजूद भी हरीश संयोग से सही-सलामत बच गया था। हां, सिर्फ मामूली चोटें आई थी। हालांकि वह गड़गड़ाहट की आवाज से मुर्छित जरूर हो गया था लेकिन थोड़ी देर के बाद ही, वह होश में भी आ गया । तब उसे भूकंप का यह भयानक दृश्य याद आने लगा.
कब तक चुप रहे हम कब तक सहे हम गुलामी की जंजीरो मे जागो और जगाओ ,अलख जगाओ अब रूके न रूके कर लो ऐसी तैयारी क्योकि अब गुंज उठी रंभेरी की सहनाई ! बिलखे मोरो माई बहीनिया बिलखे मोरो माई बिलखे अब तो घर बहुरनीया कैसन वर हम पाई पापा कहलन नौकरी करे ला दुलहा
(गोस्वामी तुलसीदास) 🙏🙏 जय श्री राम🙏🙏 तुलसीदास का जन्म विक्रम संवत 1554 ई० क्षवण शुक्ल पक्ष सप्तमी मे उत्तर प्रदेश के सोरो नामक ग्राम में हुआ था। तुलसीदास के पिता का नाम आत्माराम दुबे तथा माता का नाम हुलसी था। तुलसी