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जॉन आफ आर्क (निबंध )

मुंशी प्रेमचंद

1 अध्याय
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4 पाठक
12 फरवरी 2022 को पूर्ण की गई
निःशुल्क

अपने राष्ट्र फ्रांस की मुक्ति के लिए अपने जीवन की आहुति देने वाली फ्रांस की देवी ”जोन ऑफ आर्क” का नाम विश्व की उन अदम्य साहसी, देशभक्त महिलाओं में बड़े आदर के साथ लिया जाता रहेगा, जिन्होंने अपने देश की आजादी के लिए कठोर, असहनीय यातनाएं सहते-सहते अपना सम्पूर्ण जीवन बलिदान कर दिया । अपने विचारों पर दृढ़ रहने वालीं जोन ऑफ आर्क को आज भी फ्रांस देवी की तरह ही पूजता है । फ्रांस की देवी जोन का जन्म फ्रांस के एक गांव डोमरेमी में सन् 1412 में एक साधारण कृषक परिवार में हुआ था । उनके पिता जैक्व मिन डी आर्क एक साधारण किसान थे । जोन के तीन भाई-जेक्वमिन, पियरे और जीन थे । जोन ने स्कूल से कोई विधिवत शिक्षा नहीं ली थी । जोन के पिता ने उन्हें एक साधारण लड़की मानकर कताई-बुनाई व घरेलू कार्य सीखने को कहा । जोन की रुचि विवाह में कभी नहीं रही थी । उन्हें तो बस ईश्वर की अलौकिक वाणी सुनाई पड़ती थी, जिसमें फ्रांस को अंग्रेजों से मुक्त कराने का सन्देश भरा हुआ होता था । उस समय फ्रांस पर अंग्रेजों का शासन कायम था । फ्रांस के राजा चार्ल्स की कन्या इंग्लैण्ड के राजा हेनरी पंचम से ब्याही गयी थी । चार्ल्स ने जोन की बातों पर विश्वास करने की बजाय धर्मगुरुओं और पादरियों से मुलाकात की । जोन ने उन्हें आर्लिन्स पर शीघ्र विजयश्री हासिल करने की भविष्यवाणी की । उन्होंने अपनी दैवीय शक्ति से कैथरीन चर्च में छिपी हुई तलवार को लाने के लिए कहा । लोग आश्चर्यचकित थे, तलवार उन्हें वहीं से प्राप्त हुई । जोन का जीवन यही सन्देश देता है कि वे अपनी बातों पर दृढ़ रहने वाली, वीर, साहसी, देशभक्त नारी थीं । यह संसार का कठोर सत्य है कि जिस जोन ने फ्रांस के चार्ल्स को सिंहासन पर बैठाया था, उसी चार्ल्स ने एक पुरुष होकर भी फ्रांस को अंग्रेजों से मुक्ति दिलाने में किसी भी प्रकार का प्रयत्न नहीं किया । अपने त्याग, समर्पण के बदले में जोन को यातनाओं के सिवा और कुछ नसीब नहीं हुआ, तथापि वह अपना नाम विश्व इतिहास में अमर कर गयीं । 

jon aaf ark nibandh

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