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काफ़िला

Anju

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यहाँ काफ़िला इतना हैं। क्या मैं समझू और क्या समझाऊ। ये काफ़िला रोज एक नया रास्ता ढूढँता हैं। और अगले ही दिन फिर चल देता है कहाँ से आता है और कहाँ जाता है। ये कोई नहीं जानता ये काफ़िला ऐसे क्या और कब तक ऐसे ही चलता रहेगा । मैने एक बार उन में से एक से पुछ ही लिया। तो बड़े ही सरल शब्दों में उसने बताया कि साहब हम तो अपनी राह अकेली ना हो इसलिए सब के साथ चल देते हैं पर आप सभी एक साथ एक घर में भी अजनबी और अकेले से रहते हो । हमे लगता तो है कोई साथ है । पर महलो में रहने वालो को देखो साथ रह कर भी अकेले हैं। इस से तो हमारा काफ़िला अच्छा हैं । ना कोई डर ना कोई गम । चलना सबको है। हम रोज नयी दिशा चले जाते हैं। तो क्या फर्क पडता हैं। ................... जाना एक दिन वहाँ सबको है। हम चलते फिरते जाते हैं। और सब अपने अपनो के साथ होते भी अकेले से 

kafila

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