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Kahani : Vichardhara Aur Yatharth

Vaibhav Singh

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25 फरवरी 2023 को पूर्ण की गई
ISBN : 9789389563351
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वर्तमान में कहानी अब उन लोगों की सोहबत में अधिक है जिन्हें विमर्श करने वाला या विभिन्न सामाजिक विषयों को लेकर प्रतिरोध व आलोचना को व्यक्त करने वाला माना जाता है। समाज में आधुनिकतावाद तथा उस आधुनिकतावाद की आलोचना करने वाले सिद्धान्तों ने दमित परम्परा, उपेक्षित ज्ञान, हाशिये के जीवन, निम्नवर्गीय जीवनप्रसंग, वैकल्पिक दृष्टि, सबाल्टर्न चेतना, परिधि के सत्य आदि के विषयों को उठाया है और आधुनिक कथाएँ इनके साथ किसी न किसी स्तर पर सम्बद्ध हैं। पर कथाओं की लम्बी परम्परा भी हमारे सामने है। हिन्दी कहानियों के सैकड़ों पात्र हमारे यथार्थ को कल्पनापूर्ण तथा कल्पनाओं को यथार्थपरक बनाते हैं। लहना सिंह, बड़े भाई साहब, हामिद, घीसू-माधव, मधूलिका, चौधरी पीरबक्श, गनी मियाँ, लतिका, मिस पाल, लक्ष्मी, मदन, गोधन और मुनरी, हिरामन और हिराबाई, हंसा और सुशीला, रजुआ, मालती, लक्ष्मी, गजधर बाबू, जगपति और चंदा, विमली, डॉ. वाकणकर आदि सैकड़ों कथा-पात्र जैसे हमारे ही पड़ोस का हिस्सा हैं। हम कभी भी उनका हालचाल पूछने जा सकते हैं, उन्हें अपने घर बुला सकते हैं। उन्होंने हिन्दी कथासाहित्य का नागरिक बनकर पाठकों की संवेदनशीलता को अपने ही मूल परिवेश से नये ढंग से जोड़ा है। साथ ही उसकी कल्पनाओं को सीमित आत्मोन्मुख दायरों, स्वार्थी जड़ता-आलस और अहंग्रस्तता की दलदली ज़मीन से बाहर निकलने में सहायता की है। Read more 

Kahani Vichardhara Aur Yatharth

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