प्रिय पाठक.. किसी के द्वारा लिखी गया कोई लेख, कविता या किताब बस कोई कलम और कागज़ का रिश्ता नहीं होता, यह उस लेखक के मन के आंतरिक परिकल्पनाओ या अपने जीवन में व्यतीत उतार-चढ़ाव, समयानुसार परिस्थितियों में रिश्तो में मतभेदो का एक संग्रहण होता हैं, जो की वह अपने शब्दो के माध्यम से हमे कागज़ में परोशता हैं सहजता हैं..