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कर्म का लेखा जोखा

Prashant singh

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कर्म का लेखा जोखा बहुत समय पहले की बात है एक गांव मे एक बनिये का दुकान था और उसके पडोस एक गरीब किसान का झोपड़ी था एक दिन वहां एक साधु भिक्षा मांगने आया सबसे पहले वह बनिए के निकट गया और बोला भिक्षाम देही पर बनिए ने जवाब में कहा कि सुबह-सुबह बोहनी भी नही हुआ कि माँगने आ गए ऐसा कह कर बनिये ने भगा दिया फिर भी साधु ने जाते-जाते कहा तथास्तु आपका जीवन मंगलमय हो उसके बाद साधु वहां से गरीब किसान के यहां गया और वहां एक छोटा सा बालक किसान का पुत्र था जो आज कुटिया के अंदर था वाह बालक साधु प्रवति था वह ज्यादा समय भक्ति भजन में व्यतीत करता था और वहां साधु आया और कहा भिक्षाम देही वह बालक सुनकर झट से चावल लेकर निकल और साधु को भिक्षा के रूप में दिया । तब साधु ने प्रसन्न होकर आशीर्वाद तथास्तु उस बच्चे को दिया तब बच्चे ने साधु से एक सवाल किया कि मैंने आपको भि क्षा दिया पर आप एक ही वरदान दिया और उस बनिए ने आप को भगा दिया उसको भी वही वरदान दिया ऐसा क्यों किया आपने तब साधु ने जवाब दिया कि भगवान ने सभी को वरदान बराबर दिया है जिसके भाग्य में जितना है उतना मिलता है यह कर्मों का फल है पर बच्चे के मन में एक ही सवाल रह गया कि भगवान ने सब को वरदान बराबर क्यों दिया है साधु ने कहा इसका जवाब मैं नही जानता हूं | इसका जवाब केवल भगवान के पास होगा तब बालक बोलै मैं भगवान से मिलना चाहता हूं उसने बालक साधु से आग्रह किया तब साधु ने जवाब दिया कि भगवान ऐसे ही नहीं मिलते हैं उसके लिए तब करना पड़ता है कठिन परिश्रम करना पड़ता है कठोर तपस्या करना पड़ता है बालक बोला मैं सब कुछ कर लूंगा पर भगवान से जरूर मिलूंगा कहां मिलेंगे यह मुझे पता नहीं पर जरूर मिलूंगा तब बालक हठ भगवान की खोज में आज अपने गांव को त्याग दिया और भगवान की तलाश में चल दिया चलते-चलते शाम हो गया वह एक किसान के झोपड़ी में रुका वहां दो बूढ़ा बुढ़िया रहते थे और रात के खाने में दो दो रोटी केवल बनाते थे बनाकर वह खेत की रखवाली करने खेत में के चले गए खेत के ऊपर मचान लगा हुआ था उसके नीचे आग लगाए हुए थे दोनों नीचे बैठकर आग ताप रहे थे तभी वहां बालक पहुंच गया बूढ़ा बुढ़िया देखकर उसे पूछे कहां जा रहे हो बालक क्या खोज रहे हो बालक ने विनम्र आप विनम्रता पूर्वक जवाब दिया कि मैं भगवान को खोज रहा हूं और उसी को खोज बाहर निकला हूं बूढ़ा बुढ़िया बोलते हैं कि शाम हो गया है आज यहीं पर रुको कल सुबह चले जाना बूढ़ा बुढ़िया सोचे कि हमारे हिस्से से एक-एक रोटी इस बच्चे को दे देते हैं पर बुढ़िया कंजूस थी बुढ़िया ने उसे रोटी नहीं दी बूढ़ा ने उसे अपना दोनों रोटी दे दिया बुढ़िया रोटी खाकर मचान में सोने चली गई तब बूढ़ा ने कहा कि बुढ़िया हम लोग नीचे बात करते हैं ना जाने यह बालक कितना दूर से आया होगा थका होगा विश्राम करने दो पर बुढ़िया ने बूढ़ा का एक बात भी नहीं सुनी वह चुपचाप सोने लगी बूढ़ा अपनी जगह दे दिया और बोला कि बालक आज सो लो बेटा आ सो लो कल सुबह चले जाना बूढ़ा बूढ़ा रात भर आग तापते रहा सुबह हुआ और बालक आगे बढ़ गया चलते चलते रास्ते पर दो पहाड़ो के बीच एक बहुत बड़ा सांप रहता था जो रास्ते पर आने वाले जीव जंतु को एक बार सांस लेकर निगल जाता था फिर सांस छोड़ता था जिसमे एक मिनट का टाइम था तभी वंहा से बालक रस्ता पार हो गया तभी सांप बोला कि ए- बालक कहाँ जा रहे हो ? जो इस रास्ते से पर हो गए जो तुम पहला जीव हो जो मेरे से बच कर निकल गए तुम बहुत ही भाग्यशाली हो। * बालक बोला की मैं भगवान की खोज में निकला हूं उन्ही से मिलने जा रहा हूँ। तभी साँप बोला अच्छा भगवान से मिलने जा रहे हो तो भगवान से मेरा एक सवाल पूछना कि मेरा शरीर इतना बड़ा क्यों हो गया है जिससे मैं चल फिर नहीं पा रहा बालक फिर वह दूसरे राज्य में पहुंच गया वहां उस राज्य में एक राजा रहता था उसका राज्य बहुत बड़ा था उसे गुप्तचरों से पता चला कि एक बालक भगवान की खोज में निकला है तब राजा ने अपने यहां बुलवाया और उसका स्वागत किया पूरा महल दिखाया फिर अपने बगीचे में घुमाने ले गया और कहा कि मैं अपने बगीचे का भरपूर ख्याल रखता हूं फिर भी रात भर खिलता है और दिन में भर मुरझा जाता है ऐसा क्यों होता है ? इसका जवाब अगर भगवान मिल जाये तो जरूर पूछना । # फिर बालक उस राज्य से चला जाता है बालक कैलाश मानसरोवर में जाकर तपस्या करने में लीन हो जाता है बहुत वर्षों के बाद भगवान जी दर्शन देते हैं और कहते है उठो बालक जो वरदान मांगना है मांग सकते हो बालक उठा की भगवन मुझे प्रश्न का हल चाहिए कि आपने सभी प्राणियों को अलग अलग वरदान क्यों दिया गया है। भगवान - जी बोले सभी को अपने कर्म करने के अनुसार फल मिलता है जो जैसा कर्म करेगा वैसा ही फल पायेगा उसके बाद भगवान जी ने एक कमंडल दिए बोले कि जाओ कौसल राज्य में एक राजा के यहां पुत्र होने वाला है रानी को कमण्डल का पानी पिला देना तब रानी का पुत्र होगा और जो पुत्र होगा वही तुम्हे सारांश बतलायेगा तो वह बालक तुम्हें और जवाब देगा बालक दूसरा प्रश्न पूछता है कि सांप का शरीर इतना बड़ा क्यों है तब भगवान जी बताते हैं कि सांप के सिर में सात मणि है जिससे सर्प चल फिर नही सकता उसे कहना अपना छः मणि दान किसी को दान कर देगा वह चीज चल फिर पाएगा । बालक तीसरा प्रश्न पूछता है की एक राज्य में राजा के यहां रात को फूल खिलता है और दिन में मुरझा जाता है भगवान जी बताते हैं कि राजा की एक बेटी है जो कुंवारी है वह रात को सोती है तो फूल खिलता है और सुबह उठती है तो उदास हो जाती है और फूल मुरझा जाता है राजा से कहना कि उसकी बेटी की शादी करवा दे तो उसके बगीचे हमेशा फुलते रहेंगे वहां से बालक कमण्डल लेकर वापस आता है वंशावली राज्य में बहुत पहुंच जाता है वहां बहुत राज्य दरबार में बहुत ज्यादा भीड़ होता है क्योंकि रानी को लड़का नहीं हो रहा बच्चा नहीं हो रहा था तो राजा ने देश विदेश से कई वैद्य को बुलवाए थे जिससे रानी का उपचार कर रहे थे और सभी और असक्षम थे तभी वहां * बालक पहुंचा और सैनिकों से बोला कि मुझे राजा से मिलना है रानी का उपचार में मदद कर सकता हूं यह सुनकर सभी सैनिक हंसने लगे तुम क्या उपचार करोगे राजमहल में देश विदेश से और वेद भी कि हर राज्य देश विदेश से वैद्य आए हैं वह उपचार नहीं कर पा रहे हैं फिर तुम क्या उपचार कर सकते हो फिर भी एक सैनिक राजा के पास गया और पूरा वृतांत बता दिया अंत में राजा जी ने आशा पूर्वक उस बालक को बुलाया तब बालक ने बताया कि इस कमंडल के पानी पीते हैं रानी ठीक हो जाएगी बालक रानी को पानी पिलाता है और एक नन्हा बालक को जन्म देती है बालक उसे अपनी गोदी में लेता है और पूछता है कि भगवान ने सभी को वरदान बराबर क्यों दी हैं तब वह नन्हा बालक बोलता है कि तुम्हें नहीं पता तब बालक बोलता है अभी तुम मेरे सामने जन्म लिए हो और तुम मुझे आप कहने के बजाय तुम कह रहे हो तब नन्हा बालक बोला कि तुम मुझे नहीं पहचान रहे हो तुम्हें याद होगा जब तुम भगवान की तलाश में निकले थे तब एक एक रात एक झोपड़ी में बिताए थे वहां दो बूढ़ा बुढ़िया थे मैं वही बूढा व्यक्ति हूं जो इस राजा के यहां जन्म लिया हूं तब बालक पूछता है और बुढ़िया कहां है तब नन्हा बालक बताता है की बुढ़िया एक सूअर के यहां जन्म लिया है और वह बाड़े में है और यह इसलिए हुआ यह कर्मों का फल है मैंने अच्छे कर्म किए तब मैंने राजा के यहां जन्म लिया और बुढ़िया ने बुरे कर्म किए वह सूअर कहां जन्म लिया बालक पूरा वृतांत सुनने के बाद अपने गांव वापस निकल गया फिर जाते समय वही बड़ा सांप मिला जी हिल डुल नही सकता था। वह सांप से बोलता है और बालक भगवान जी ने मेरे बारे में कुछ उपाय बताए हैं तब बालक बताता कि आप अपने शरीर में जो मणि है उसे दान कर दीजिए तो आप चल फिर पाएंगे तब सांप ने आव न ताव देखा और अपने मणि दान करने के लिए व्यक्ति खोज नहीं लगा व्यक्ति खोजने लगा पर उस समय वहां पर बालक था अपने छः मणि बालक को दे दिया और बालक शक्तिशाली हो गया और जवान भी हो गया और वह अपने मार्ग पर निकल गया जाते समय फिर वह राज्य मिला जिसमें राजा की फुलवारी के फूल मुरझा जाते थे वह उस राज्य में गया राजा राजा ने खूब भब्य स्वागत किया राजा बहुत खुश था क्योंकि बालक भगवान से मिलकर आया था। तब कुछ देर बाद के बताने लगा कि आप अपनी बेटी को शादी कर दीजिए तो आपके बागवानी के परेशानी मिट जाएंगे आपको अपनी बेटी को स्वम्बर कर दीजिये फिर स्वम्बर हुवा राजकुमारी बालक को ही चुनती है राजा बोलते है कि तुम बड़ी उत्कृष्ट व्यक्ति हो जो भगवान से मिलकर आए हो तुमसे कोई महान हो ही नहीं सकता इसलिए मैं तुम्हें अपनी बेटी सकता हूं और यह राज्य भी तुम मेरी बेटी से शादी कर लो और मेरा राज्य संभालो और वह वाला राजा की बेटी से शादी कर लेता है और खुशी पूर्वक अपनी जिंदगी बिताने लगता है धन्यवाद प्रशांत सिंह ग्राम -जरहाडीह पोस्ट- महाराजगंज ब्लॉक- बलरामपुर थाना -बलरामपुर जिला -बलरामपुर छत्तीसगढ़ पिन कोड- 497119 मोबाइल नंबर- 9399619290  

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