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गज़ल..6

8 नवम्बर 2022

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रचनाएँ
"फिज़ा" एक गज़ल
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यह एक ग़ज़ल संग्रह है जिसमे में काफ़ी छोटी उम्र में मोहब्बत के मोहल्ले से गुजरते हुए शाइर ने कुछ कहने का प्रयास किया है, गजले है 11 - 12 कक्षा में मोहब्बत के आंगन में खिलती हुई नई कलियों की, तिलियो की, भॅंवरो की, जो की अब इस समय संसार में जीवन व्यापन हेतु धन एकत्रित करने की इक्शा से अलग-अलग शहरो में संघर्ष रत है, फूल अपनी तितलियों से दूर है, तितलियां अपने फूलो से, परंतु यह वेदना जन्म दे रही है संवेदना को, शायरी को। पढ़िए नई उम्र के दिल को , सुझाव दीजिए, आशीर्वाद दीजिए 🙏🏻🙏🏻 धन्यवाद।
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गज़ल..1

4 नवम्बर 2022
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कुछ महीने हो गए हैं हम अकेले हो गए हैं हम तुम्हारे तो नही हैं हम तुम्हारे हो गए हैं

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गज़ल..2

4 नवम्बर 2022
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फूल थोड़े से सुहाने देखती हैं तितली भी सपनो के दाने फेंकती हैं खेलते हैं लोग दिल से, साथ उसके सब दिलो के साथ में जो खेलती हैं

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गज़ल..3

5 नवम्बर 2022
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हमीं दिल ये अपना जला बैठते हैं खुदी और देने हवा बैठते हैं नदी के किनारे कहीं बैठ करके नई इक नदी हम बहा बैठते हैं

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गज़ल..4

6 नवम्बर 2022
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मोहब्बत इतनी है तुमको मोहब्बत से मोहब्बत छेड़ते जाओ मोहब्बत से दिलो को तोड़ना ही है मोहब्बत क्या दिलो को तोड़ते जाओ मोहब्बत से

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गज़ल..5

6 नवम्बर 2022
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मुसाफ़िर तो रस्ता समझ बैठते है नए कुछ खज़ाना समझ बैठते है यहाॅं कोई भी तो नही है हमारा हमीं सबको अपना समझ बैठते है

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गज़ल..6

8 नवम्बर 2022
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प्यार कैसे नज़र में होता है कुछ अलग सा ज़िगर में होता है सीने में कैसे है ये हंगामे दिल तिरे जब नगर में होता है

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गज़ल..7

9 नवम्बर 2022
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जब हमारा नही कोई मसला नही थीं बहुत पास वो दिल भी धड़का नही

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गज़ल..8

9 नवम्बर 2022
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एक हॅंसी नाम जोड़े जा रहे हैं हम भी आहिस्ता से छोड़े़ जा रहे हैं ये भी आख़िर कैसी मोहब्बत है जानाॅं लोग है के फूल तोड़े जा रहे हैं

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गज़ल 9

9 नवम्बर 2022
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ये गम भी क्या कम है जानाॅं तुम तुम हो हम हम है जानाॅं जी हम इक करले दोनो का सीने में जी कम है जानाॅं

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गज़ल..10

9 नवम्बर 2022
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बिना मय के शराबी भी रहे थे हम ये आख़िर कौन सी मय पी रहे थे हम तुम्हे ये जान कर हैरानी तो होगी बिना कैसे तुम्हारे जी रहे थे हम

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गज़ल..11

9 नवम्बर 2022
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तेरी जब बात आती है बस तिरी बात आती है थोड़ से और बैठो तो बस ‌अभी‌ ग्लास आती है

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गज़ल..12

9 नवम्बर 2022
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उस ने फिर से कसम अपनी भी तोड़ दी उस ने सच्ची कसम खानी ही छोड़ दी हाथ उसने मिलाया हमे फिर से जब उसने उँगली ‌ भी फिर से वही मोड़ दी

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गज़ल..13

9 नवम्बर 2022
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उसने वो बात नही की हमसे बात हम कह जो नही पाते हैं वह तो सोता है किसी बाहों में हम यहाॅं क्यूॅं सो नहीं पाते हैं

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गज़ल 14

13 नवम्बर 2022
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गिरता - फिरता पटरी पे आ जाता है भौंरा खुलती कलगी पे आ जाता है क्या करें हम इस भटकते दिल का भी हर टहलती तितली पे आ जाता है

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गज़ल - 15

16 नवम्बर 2022
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सुनो मात राधा सुनो मात राधा बिना कृष्ण तेरे हैं वो आध राधा दिवाने है हम भी तिरी जैसे मैया दिवानी हो जैसे तिरी मीर राधा

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गज़ल -16

16 नवम्बर 2022
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दिल लगाने तक की बात थी सांस दूसरे के हाथ थी इश्क उम्र भर तो चल गया साल ख़ांड़‌ और बात थी

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गज़ल -17

18 नवम्बर 2022
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ढल गई हुस्न-ए-बारात अब पूछे कौन उसके हालात अब सबसे हॅंस-हॅंस के करती हो हमसे करतींं नहीं बात अब

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गज़ल -18

18 नवम्बर 2022
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दिल की तो आप बख्श दे जाॅं आखों को आप भा रहीं हैं दिल धड़कना भी छोड़ दे क्या आप क्यो पास आ रहीं हैं

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गज़ल -19

18 नवम्बर 2022
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सर्दी की जद में फिर जमाना है हमको अब फिर से दिल लगाना है हम ही पत्थर है वो उघड़ खाबड़, जिसको नाज़ुक सा दिल बनाना है

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गज़ल-20

25 नवम्बर 2022
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किल्लत-ए-पानी 'जानी' बहुत ऑंख फिर भी न मानी बहुत टूटा था दिल हमारा भी जब, फोटो ना थीं पुरानी बहुत

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गज़ल -21

28 नवम्बर 2022
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मुझ को बस इतना कहना है मुझको तुमसे कुछ कहना है मुझसे मिलने कब आओगी, मुझको भी अब खुश रहना है

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ग़ज़ल - 22

16 अप्रैल 2024
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नही कुछ भी दुनिया मेरे साने में वो लड़की है अब्बल कि समझाने में यहाॅं तो कहीं भी नही लगता दिल मज़ा क्या है फिर तोड़ के जाने में

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गज़ल 23

16 अप्रैल 2024
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इतनी सच्ची हो तुम छोटी बच्ची हो तुम फूल खुद लाई हो कितनी अच्छी हो तुम

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ग़ज़ल 24

17 अप्रैल 2024
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किसी ने दिल जला डाला किसी ने घर जला डाला अकेले हम थे सो हमने समंदर हर जला डाला कहा था के बनेगी इससे दर्द-ए-दिल की मरहम फिर हुआ क्या ये के दर्द-ए-दिल दवा देकर बढ़ा डाला

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गज़ल 25

17 अप्रैल 2024
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दिल में कुछ ऐसा नही है गर ये तुम जैसा नहीं है वो समझता क्यों नही कुछ ज़ी मिरा अच्छा नहीं है

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ग़ज़ल 26

17 अप्रैल 2024
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कौन थी वो, क्या थी वो लड़की भी कया थी वो रूठी ही नही हमसे इस तरह खफा थी वो

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ग़ज़ल 27

17 अप्रैल 2024
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फिर बात वही सुनी सुनाई हमने भी वही सुनी सुनाई हमने नही बोला प्यार में कुछ सबने हमे बे-दिली सुनाई

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ग़ज़ल 28

17 अप्रैल 2024
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तुझको देखे ही सब फीका हो जाता है तेरे बोसो से तीखा मीठा हो जाता है तेरे होठों को हम मैला क्यों करते है हमको भी आखिर ऐसा क्या हो जाता है

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