तुझे देखूं, तुझे चाहूं, तुझे प्यार करूं।
ये मेरे हमराज, तू ही बता, कैसे इजहार करूं।।
हुस्न को देखा है जब से इश्क़ ने,
पूरे तन बदन में ,अजब सी ख़ुमारी छाई है।।
हुस्न से इश्क़ का जब सामना हो,
ऐसा लगता है, मिलन ज़मीं आसमा का हो।।
इक अजब सा नशा है तेरी मोहब्बत का,
फीका लगता है, नशा शराब का।।
अब लोग हमें भी शक भरी निगाहों से देखते हैं
इश्क क्या हुआ तुमसे असर उतरता ही नहीं आंखों से।।