shabd-logo

कृपया दाये चलिए

25 जुलाई 2022

22 बार देखा गया 22

कहते तो आप ठीक ही हैं पंडित जी, मगर मध्यवधि चुनाव के अभी चार-पांच महीने पड़े हैं, आप तत्काल की बात सोचिए। कार्पोरेशन में किसी बड़े अफसर को फोन-वोन करके ये गंदगी ठीक करवाइए जल्दी से, अंदर से मैनहोल उभर रहा है। बड़ी बदबू फैल रही हैं बाहर।’’

खैर, किस्सा कोताह यह कि मेयर, डिप्टी मेयर, हेल्थ अफसर आदि और उस सफलता के तुफैल में हमने भावी चुनाव में खड़े होने का इशारा भी फेंक दिया। चार दिन में धूम मच गई कि हम खड़े हो रहे हैं। पत्नी फिर सामने आई, 

‘‘इलेक्शन लड़ोगे?’’‘‘हां, अब मिनिस्टर बनने का इरादा है।’’

‘‘पैसा कौन देगा ?’’

हमने कहा, ‘‘बुद्धिजीवी जब अपना ईमान बेचता है, तो पैसों की कमी नहीं रहती।’’

तभी लड़के आए, उन्होंने पूछा, ‘‘आप किस पार्टी से इलेक्शन लड़ेंगे ?’’

हम बोले, ‘‘इस समय तो हमारी गुडविल ऐसी जबरदस्त है कि सभी पार्टियां हमें टिकट देना चाहती हैं।’’

बड़ा बोला, ‘‘मगर इस समय तो इन सब पार्टियों की साख गिरी हुई है। इनमें से एक भी पूरी तरह सफलता नहीं पाएगी।’’

‘‘हमने कहा, ‘‘सही कहते हो। हम बुद्धिमत्ता से काम लेकर अपनी पार्टी बनाएंगे।’’

‘‘आपका मेनिफेस्टो क्या होगा ?’’

हम गौर करने लगे। अपना स्वार्थ साधने के लिए ऐसा मेनिफेस्टो बनाना चाहिए, जो औरों से अलग लगे और साथ ही पैसा मिलने के साधन भी जुट जाएं।

हमने कहा, 

‘‘देखो, इनमें से कोई भी पार्टी इस बार बहुमत नहीं पाएगी। क्योंकि जनता सबमें अपना विश्वास खो बैठी है। और यहां के सेठ हमें पैसा ही नहीं देंगे, क्योंकि इनमें से कुछ कांग्रेस के साथ हैं और कुछ जनसंघ के। इसलिए हमारा पहला नारा यह होगा कि भारत के जिन-जिन प्रदेशों में इस समय मध्यावधि चुनाव हो रहा है, उनमें स्थायी शांति और सुशासन लाने के लिए दस बरसों तक पाकिस्तान, अमरीका और ब्रिटेन का सम्मिलित राज होना चाहिए। इससे हिन्दू-मुस्लिम एकता और स्थायी शांति बढ़ेगी तथा इन तीनों की तरफ से मुख्यमंत्रित्व का भार हम संभालेंगे। इस त्रिदेशीय फार्मूले से हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के सारे मसले हल हो जाएंगे। इस तरह देश की पूर्वी और पश्चिम सीमाओं पर नि:शस्त्रीकरण की नीति को अमल में लाने के लिए एक रास्ता खुल जाएगा।’’

‘‘ठीक। और क्या होगा आपके मेनिफेस्टो में?’’

विचारों की रोशनी से हमारी आंखें सहसा चौंधिया उठीं। हमने फौरन अपना धूप का चश्मा चढ़ा लिया और गंभीर पैगंबरी स्वर में कहा, 

‘‘हम अपरिवर्तनवाद का सिद्धान्त चलाएंगे- हिन्दू हिन्दू रहे और मुसलमान मुसलमान। इन्हें एक भारतीय समाज हरगिज़ न बनने देना चाहिए, हम एक और अखंड भारत के खिलाफ हैं।’’

‘‘और भाषा ?’’

‘‘भाषा का भूमि और संस्कृति से कोई संबंध नहीं। पाकिस्तान, अमरीका और ब्रिटेन में से जो हमारे इलेक्शन का खर्च उठाने को राजी हो जाएगा, उसकी भाषा का समर्थन करेंगे। वैसे अपनी जनता की सुविधा के लिए हम अंग्रेजी को भारत की राष्ट्रभाषा...........’

‘‘क्या कहा ? अंग्रेजी को राष्ट्रभाषा बनाओगे ! अपने स्वार्थ के लिए हर झूठ को सच बनाओगे ?’’

पत्नी के तेहे पर हमने अपनी बौद्धिक मार्का हंसी का गुल खिलाया और कहा, 

‘‘अरी पगली, नेता और वकीलों की सफलता ही इस बात पर निर्भर करती है।’’

‘‘झाड़ू पड़े तुम्हारी नेतागिरि पर। मैं आज से ही तुम्हारा खुला विरोध करूँगी।’’

‘‘अरे, पूरी बात तो सुन लो ! देश में इस वक्त अन्न की कमी है......’’

हम बोले, तो पत्नी ने बात बीच में काट दी, तुम्हें कौन खाने पीने की तकलीफ है...जो......’’

हमसे आगे सुना नहीं गया। हमने अपना तेहा दिखाया, 

‘‘ज्यादा बकबक मत करो.........ज्यादा बात करने से भूख भी ज्यादा लगती है......जब तक भारत में औरतों के मुंह पर पट्टी नहीं बांध दी जाएगी, तब तक अन्न-समस्या हल होने वाली नहीं है।

अन्न मंगवाने के लिए हमने तय किया है कि एक टन गेहूं के बदले में हम एक नेता उस देश को सप्लाई करेंगे, जो हमें अन्न देगें।’’

पत्नी मुंह बाये सुन रही थीं। मौका देखकर हमने और खुलासा किया, ‘‘हमारी पार्टी भ्रष्टाचार को शिष्टाचार के रूप में मंजूर करती है, बगैर तकल्लुफ के कहीं राज चलते हैं ? घूसखोरी का तकल्लुफ हमारे राज में बराबर जाएगा ! रोजी-रोटी मांगने वालों की खाल खिंचवाकर बाटा वालों को सप्लाई की जाएगी, ताकि रूस से आने वाली जूतों की मांग पूरी की जा सके।

‘‘गीता का यह श्लोक हमारा सिद्धान्त वाक्य होगा और नारा भी.....’’

‘‘स्वधर्मे निधनं श्रेय: परमधर्मो भयावह:’’

‘‘दकियानूसियों ने इस श्लोक की रेढ़ मारके रख दी है। हम इसका सीधा, सरल और सही अर्थ अपनी धर्मप्राण जनता को समझाएंगे।’’

‘‘क्या?’’ पत्नी ने बिफर के पूछा।

‘‘अरे भई, सीधी-सी बात है। हर आदमी का अपना-अपना धर्म है। चोर का धर्म चोरी करना, डकैत का डाका डालना, बेईमान का बेईमानी करना, इसी तरह गरीब का धर्म है गरीबी और अमीर का अमीरी। गरीब को अमीर का धर्म अपनाने की छूट नहीं दी जाएंगी और न अमीर को गरीब का धर्म अपनाने की। हम इस धर्म-परिवर्तन के सख्त खिलाफ हैं।

इस धर्मवादिता से जनसंघ के समर्थक भी हमारी पार्टी में आ सकते हैं.....’’

पत्नी हमारे विरुद्ध प्रचार करने लगी हैं। हमारा चुनाव का सपना डांवाडोल हो रहा है और जनता के क्रोध से बचने के लिए हम इस समय बंबई भाग आए हैं। क्रोध के बराबर यहीं बात मन में फूटती है कि सत्यानाश हो इस जनता का, जो हमें नेता नहीं मानती।



16
रचनाएँ
अमृत लाल नागर के प्रसिद्ध निबंध
0.0
अमृत लाल नागर 1932 में निरंतर लेखन किया। अमृतलाल नागर हिन्दी के उन गिने-चुने मूर्धन्य लेखकों में हैं जिन्होंने जो कुछ लिखा है वह साहित्य की निधि बन गया है। सभी प्रचलित वादों से निर्लिप्त उनका कृतित्व और व्यक्तित्व कुछ अपनी ही प्रभा से ज्योतित है उन्होंने जीवन में गहरे पैठकर कुछ मोती निकाले हैं और उन्हें अपनी रचनाओं में बिखेर दिया है उपन्यासों की तरह उन्होंने कहानियाँ भी कम ही लिखी हैं उन्हें अपनी रचनाओं में प्रसिद्ध निबंध भी लिखें हैं |
1

जय बम्भोला

25 जुलाई 2022
10
1
0

शिवरात्रि के मेले की मौज-बहार लेने के लिए झोला कन्धे पर और सोटा हाथ में लिए हम भी मगन-मस्त चाल से दिग्गज के समान झूमते-झामते महादेवा के पावन क्षेत्र की ओर बढ़े चले जा रहे हैं। ये देखो, दसों दिशाओं से

2

जब बात बनाए न बनी !

25 जुलाई 2022
3
0
0

बड़े-बूढ़े कुछ झूठ नहीं कह गए हैं कि परदेश जाए तो ऐसे चौकन्ने रहें, जैसे बुढ़ापें में ब्याह करने वाला अपनी जवान जोरू से रहता है। हम चौकन्नेपन क्या, दसकन्नेपन की सिफारिश करते हैं, वरना ईश्वर न करे किसी

3

बुरे फंसे : बारात में

25 जुलाई 2022
5
0
0

फंसने-फंसाने के मामले में हमारा अब तक यह दृढ़ विश्वास रहा है कि लोग तो बदफेली में फंसते हैं, या राजनीति की गुटबंदियों में। इसीलिए मैं हमेशा ही इन दोनों चीजों से बचता रहा हूं। यह बात दूसरी है कि इस लतो

4

भतीजी की ससुराल में

25 जुलाई 2022
0
0
0

रायबरेली नहीं, बांसबरेली की बात कह रहा हूं-वहीं, जहां पागलखाना है, लकड़ी का काम होता है, जहां की पूड़ी और चाट मशहूर है, जहां एक बार मुशायरे में शामिल होने के लिए हज़रत ‘शौकत’ थानवी को थर्ड क्लास का टि

5

पडो़सिन की चिट्ठियां

25 जुलाई 2022
0
0
0

सावित्री सीने की मशीन खरीदने गई थी। लेकिन बड़ी देर हो गई। मैं उतावला होकर सोचने लगा कि अब तो उसे आ जाना चाहिए। तीन बजे हैं। पिछले बीस दिनों से, जब से सावित्री यहां आई है, हम पहली बार इतनी देर के लिए अ

6

मेरे आदिगुरु

25 जुलाई 2022
0
0
0

पुराने भारतीय गुरुओं के सम्बन्ध में बहुतों ने बहुत कुछ जो सुन रक्खा होगा उसका एक रूप बीसवीं सदी में रहते हुए भी हमने आंखों देखा है। बचपन में जो पण्डित जी हमको पढ़ाते थे, वे प्राचीन ऋषि गुरुओं की आत्मा

7

अतिशय अहम् में

25 जुलाई 2022
0
0
0

बात कुछ भी नहीं पर बात है अहम् की। आज से करीब पचास व साठ बरस पहले तक अहम् पर खुद्दारी दिखलाना बड़ी शान का काम समझा जाता था। रईस लोग आमतौर पर किसी के घर आया-जाया नहीं करते थे। बराबरी वालों के यहां भी ब

8

तीतर, बटेर और बुलबुल लड़ाना

25 जुलाई 2022
0
0
0

यह मुमकिन है कि शान्ति के कबूतर उड़ाते-उड़ाते हम एटम हाइड्रोडन मिज़ाइल किस्म के भयानक हथियारों और आस्मानी और दर आस्मानी करिश्मों के औजारों की लड़ाई बन्द कराने में सफल हो जाएं, मगर यह कि लड़ाई का चलन ह

9

मिट्टी का तेल और नल क्रान्ति

25 जुलाई 2022
1
0
0

आर्यसमाज और अखबारों की छत्र-छाया में बाल-विवाह भले ही न रुके हों अथवा विधवा-विवाह भले ही न हुए हों, परन्तु छोटी-मोटी क्रान्तियाँ अवश्य हुई। उनमें अंग्रेजी दवाओं, मिट्टी के तेल और पानी के नल का उपयोग ब

10

जी-हुजूर क्रान्ति

25 जुलाई 2022
0
0
0

गदर से लगभग 15 वर्ष बाद ही अंग्रेजी पढ़े-लिखों की बिरादरी काफी बढ़ गई थी। मिडिल और स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट ही नहीं, कुछ लोग तो बी.ए. और एम.ए. तक भी ढैया छूने लगे थे। अंग्रेजी के सर्टिफिकेट बटोरना और

11

अंग्रेज़ी-पठन क्रान्ति

25 जुलाई 2022
0
0
0

बाबुओं में सबसे पहली क्रान्ति यही थी। शहरों में विलायती में ईसाई भिक्षुणियों के रूप में बड़े-बड़े घरों में आती थीं। साहब-शासन की पुरतानियों (पुरोहितानियों) को यद्यपि कोई अपने घर में न आने के लिए तो क

12

बाबू पुराण

25 जुलाई 2022
1
0
0

(यह निबंध स्वाधीनता-प्राप्ति से पूर्व लिखा गया था और ‘हंस’ में प्रकाशित हुआ था।) परम सुहावन महा-फलदायक इस बाबू को पढ़ते-सुनते आज के युग में कोई सूत, शौनक, काकभुशुंडि या लोहमर्षक यदि यह पूछ बैठे कि अद

13

नये वर्ष के नये मनसूबे

25 जुलाई 2022
0
0
0

नये वर्ष में हमारा पहला विचार अपने लिए एक महल बनवाने का है। बीते वर्षों में हम हवाई किले बनाया करते थे, इस साल वह इरादा छोड़ दिया क्योंकि हवा बुरी हैं। इस साल दो आफतें एक साथ फरवरी महीने में आ रही हैं

14

कवि का साथ

25 जुलाई 2022
0
0
0

आपने भी बड़े-बूढ़ों को अक्सर यह कहते शायद सुना होगा कि हमारे पुरखे कुछ यूं ही मूरख नहीं थे जो बिना सोचे-विचारे कोई बात कह गए हो या किसी तरह का चलन चला गए हों। हम तो खैर अभी बड़े-बूढ़े नहीं हुए, मगर अन

15

मैं ही हूँ

25 जुलाई 2022
1
0
0

मैं- वाह रे मैं, वाह। मैं तो बस मैं ही हूं- मेरे मुकाबले में भला तू क्या है ! इस मैं और तू को लेकर हमारे सन्तों और बुधजनों ने शब्दों की खासी खाल-खिंचाई भी की है। कबीर साहब का एक दोहा है कि ‘‘जब मैं थ

16

कृपया दाये चलिए

25 जुलाई 2022
1
0
0

कहते तो आप ठीक ही हैं पंडित जी, मगर मध्यवधि चुनाव के अभी चार-पांच महीने पड़े हैं, आप तत्काल की बात सोचिए। कार्पोरेशन में किसी बड़े अफसर को फोन-वोन करके ये गंदगी ठीक करवाइए जल्दी से, अंदर से मैनहोल उभर

---

किताब पढ़िए