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लो, झरता रक्त प्रकाश आज नीले बादल के अंचल से

30 अप्रैल 2022

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लो, झरता रक्त प्रकाश आज नीले बादल के अंचल से,

रँग रँग के उड़ते सूक्ष्म वाष्प मानस के रश्मि ज्वलित जल से!

प्राणों के सिंधु हरित पट से लिपटी हँस सोने की ज्वाला,

स्वप्नों की सुषमा में सहसा निखरा अवचेतन अँधियाला!


आभा रेखाओं के उठते गृह, धाम, अट्ट, नवयुग तोरण,

रुपहले परों की अप्सरियाँ करतीं स्मित भाव सुमन वर्षण!

दिव्यात्मा पहुँची स्वर्गलोक, कर काल अश्व पर आरोहण,

अंतर्मन का चैतन्य जगत करता बापू का अभिनंदन!


नव संस्कृति की चेतना शिला का न्यास हुआ अब भू-मन में,

नव लोक सत्य का विश्व संचरण हुआ प्रतिष्ठित जीवन में!

गत जाति धर्म के भेद हुए भावी मानवता में चिर लय,

विद्वेष घृणा का सामूहिक नव हुआ अहिंसा से परिचय!


तुम धन्य युगों के हिंसक पशु को बना गए मानव विकसित,

तुम शुभ्र पुरुष बन आए, करने स्वर्ण पुरुष का पथ विस्तृत!

शब्द mic
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रचनाएँ
खादी के फूल
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सामाजिक-राजनैतिक कविताओं (बंगाल का काल, खादी के फूल, सूत की माला, धार के इधर-उधर, आरती और अंगारे, बुद्ध और नाचघर, त्रिभंगिमा, चार खेमे चौंसठ खूँटे, दो चट्टानें, जाल समेटा) तक आते-आते बच्चन का यह काव्य-नायक मनुष्य अपने व्यक्तित्व के रूपांतरण और समाजीकरण में सफल हो जाता है ; हरिवंशराय बच्चन जो कि हिन्दी के विख्यात कवि थे, कौन अरे वो ही अपने एक्टर अमिताभ बच्चन जी के बाबूजी | उन्होनें बहुत सी कविताएं और रचनायें लिखीं जिनमें से मुख्य हैं मधुशाला, निशा निमंत्रण, सतरंगिनी, खादी के फूल, दो चट्टानें, आरती और अंगारे, मधुबाला, मधुकलश, प्रणय पत्रिका आदि |
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