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मधुकलश

हरिवंश राय बच्चन

8 अध्याय
1 व्यक्ति ने लाइब्रेरी में जोड़ा
5 पाठक
28 जुलाई 2022 को पूर्ण की गई
निःशुल्क

मधुकलश हरिवंश राय बच्चन की एक कृति है। श्रेणी:हरिवंश राय बच्चन. हरिवंश राय श्रीवास्तव "बच्चन" (२७ नवम्बर १९०७ – १८ जनवरी २००३) हिन्दी भाषा के एक कवि और लेखक थे। इलाहाबाद के प्रवर्तक बच्चन हिन्दी कविता के उत्तर छायावाद काल के प्रमुख कवियों मे से एक हैं। उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति मधुशाला है। भारतीय फिल्म उद्योग के प्रख्यात अभिनेता अमिताभ बच्चन उनके सुपुत्र हैं। उन्होने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्यापन किया। बाद में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिन्दी विशेषज्ञ रहे। अनन्तर राज्य सभा के मनोनीत सदस्य। बच्चन जी की गिनती हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय कवियों में होती है। . 

madhukalash

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पुस्तक के भाग

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1. मधुकलश

28 जुलाई 2022
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है आज भरा जीवन मुझमें, है आज भरी मेरी गागर! (१) सर में जीवन है, इससे ही वह लहराता रहता प्रतिपल, सरिता में जीवन,इससे ही वह गाती जाती है कल-कल निर्झर में जीवन,इससे ही वह झर-झर झरता रहता है,

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2. कवि की वासना

28 जुलाई 2022
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कह रहा जग वासनामय हो रहा उद्गार मेरा! १ सृष्टि के प्रारंभ में मैने उषा के गाल चूमे, बाल रवि के भाग्य वाले दीप्त भाल विशाल चूमे, प्रथम संध्या के अरुण दृग चूम कर मैने सुला‌ए, तारिका-कलि से सु

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3. सुषमा

28 जुलाई 2022
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(१) किसी समय ज्ञानी, कवि, प्रेमी, तीनों एक ठौर आए, सुषमा ही से थे सबने अपने मन-वाँच्छित फल पाए । सुषमा ही उपास्य देवी थीं तीनों की त्रय कालों में , पर विचार सुषमा पर सबने अलग-अलग ही ठहराए

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3. सुषमा

28 जुलाई 2022
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(१) किसी समय ज्ञानी, कवि, प्रेमी, तीनों एक ठौर आए, सुषमा ही से थे सबने अपने मन-वाँच्छित फल पाए । सुषमा ही उपास्य देवी थीं तीनों की त्रय कालों में , पर विचार सुषमा पर सबने अलग-अलग ही ठहराए

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4. कवि का गीत

28 जुलाई 2022
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गीत कह इसको न दुनियाँ यह दुखों की माप मेरे! (१) काम क्या समझूँ न हो यदि गाँठ उर की खोलने को? संग क्या समझूँ किसी का हो न मन यदि बोलने को? जानता क्या क्षीण जीवन ने उठाया भार कितना, बाट में र

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5. पथभ्रष्ट

28 जुलाई 2022
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है कुपथ पर पाँव मेरे आज दुनिया की नज़र में! (१) पार तम के दीख पड़ता एक दीपक झिलमिलाता, जा रहा उस ओर हूँ मैं मत्त-मधुमय गीत गाता, इस कुपथ पर या सुपथ पर पर मैं अकेला ही नहीं हूँ, जानता हूँ क्

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6. लहरों का निमंत्रण

28 जुलाई 2022
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तीर पर कैसे रुकूँ मैं, आज लहरों में निमंत्रण! १ रात का अंतिम प्रहर है, झिलमिलाते हैं सितारे, वक्ष पर युग बाहु बाँधे मैं खड़ा सागर किनारे, वेग से बहता प्रभंजन केश पट मेरे उड़ाता, शून्य में भ

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7. मेघदूत के प्रति

28 जुलाई 2022
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(1) "मेघ" जिस जिस काल पढ़ता, मैं स्वयं बन मेघ जाता! हो धरणि चाहे शरद की चाँदनी में स्नान करती, वायु ऋतु हेमंत की चाहे गगन में हो विचरती, हो शिशिर चाहे गिराता पीत-जर्जर पत्र तरू के, कोकिला

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