महादेवी वर्मा की कविताओं का केन्द्र बिन्दु दुःख है। उनमें जीवन, प्रेम और सौन्दर्य के लिए विह्वल आकांक्षा | वह मार्ग की कठिनाइयों से विचलित नहीं होती बल्कि उनसे टकराने की प्रवृत्ति उनमें दिखाई देती है । यह विरहानुभूति निराशाजन्य नहीं वरन् आशा से पूर्ण है । कवयित्री मानव का सांसारिक मायामोह, सुख-सुविधाओं, भोग-विलास, नाते-रिश्ते आदि के बंधनों से मुक्त होकर निरंतर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहने के लिए मानव को जागृति का संदेश दे रही है। 'जाग तुझको दूर जाना' हैं जो मानव को सन्देश कविताओं के माध्यम से दे रही है। उनके अनुसार मात्र आँसू कुछ नहीं कर सकते । यदि हम यह कहें कि महादेवी वर्मा के काव्य का मूल भाव प्रणय है तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी। उनकी कविताओं में उदात्त प्रेम का व्यापक चित्रण मिलता है। अलौकिक प्रिय के प्रति प्रणय की भावना, नारी-सुलभ संकोच और व्यक्तिगत तथा आध्यात्मिक विरह की अनुभूति उनके प्रणय के विविध आयाम है।
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