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महेन्द्र भीष्म के बारे में

बसंत पंचमी, 1966 को ननिहाल का गाँव खरेला (महोबा) उ.प्र. में जन्मे, पैतृक गाँव कुलपहाड़ (महोबा)। बुन्देलखण्ड विश्व-विद्यालय झाँसी से राज. विज्ञान में परानास्तक एवं लखनऊ विश्वविद्यालय से विधिस्नातक महेन्द्र भीष्म सुपरिचित कथाकार हैं। आपके पाँच कहानी संग्रह, एक नाट्य संग्रह व तीन उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं। आपकी कई कहानियों पर नाट्य मंचन हो चुके हैं। आपकी कहानी ‘लालच’ व ‘तीसरा कम्बल’ में लघु फिल्‍म का निर्माण हो चुका है। आपके बहुचर्चित उपन्यास ‘किन्नर कथा’ व कहानी ‘तीसरा कम्बल’ पर फीचर फिल्म प्रस्तावित है। ‘मैं पायल...’ फिल्‍म निर्माण की प्रक्रिया में। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के यशपाल कहानी सम्मान सहित कई सम्मानों से सम्मानित श्री महेन्द्र भीष्म मा. इलाहाबाद उच्च न्यायालय, लखनऊ पीठ में निबंधक सह प्रधान न्यायपीठ सचिव के पद पर कार्यरत हैं। सम्पर्क : 1/251 ए, विराट खण्ड, गोमती नगर, लखनऊ-226010 (उ.प्र.)।

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महेन्द्र भीष्म की पुस्तकें

मैं पायल..

मैं पायल..

यदि हम साहित्य की रचनाशीलता के परिपेक्ष्य में देखें तो हिंदी समेत सम्पूर्ण भारतीय भाषाओं के आधुनिक काल में ही नहीं वरन किसी भी कालखण्ड में किन्नर समुदाय को लगातार दो बड़ी और महत्वपूर्ण कृतियाँ आजतक किसी और रचनाकार ने साहित्य जगत को नहीं दी हैं।इस संदर

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मैं पायल..

मैं पायल..

यदि हम साहित्य की रचनाशीलता के परिपेक्ष्य में देखें तो हिंदी समेत सम्पूर्ण भारतीय भाषाओं के आधुनिक काल में ही नहीं वरन किसी भी कालखण्ड में किन्नर समुदाय को लगातार दो बड़ी और महत्वपूर्ण कृतियाँ आजतक किसी और रचनाकार ने साहित्य जगत को नहीं दी हैं।इस संदर

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किन्नर कथा

किन्नर कथा

महेंद्र भीष्म द्वारा रचित किन्नर कथा उपन्यास हिंदी साहित्य की उन साहसिक रचनाओं में से एक है जिसने समाज को इस समुदाय को लेकर सोचने के लिए विवश किया है | किन्नर कथा उपन्यास उन रचनाओं की श्रेणी में आता है जिसने किन्नर समुदाय की वेदनाओं पर एक नयी जिरह को

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किन्नर कथा

किन्नर कथा

महेंद्र भीष्म द्वारा रचित किन्नर कथा उपन्यास हिंदी साहित्य की उन साहसिक रचनाओं में से एक है जिसने समाज को इस समुदाय को लेकर सोचने के लिए विवश किया है | किन्नर कथा उपन्यास उन रचनाओं की श्रेणी में आता है जिसने किन्नर समुदाय की वेदनाओं पर एक नयी जिरह को

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एक अप्रेषित पत्र

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महेंद्र भीष्म की कहानियाँ हमारे आस-पास से लेकर दूर-दराज तक फैले आज के जीवन से जुड़े कथ्य और पात्रों-चरित्रों का आइना हैं । कथाकार के लेखन-कौशल से कहीं अधिक उसकी पर्यवेक्षण-क्षमता के चलते इस कथा संग्रह में विविधिता संभव हुई । इस संग्रह के अंदर उनहोंने

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महेंद्र भीष्म की कहानियाँ हमारे आस-पास से लेकर दूर-दराज तक फैले आज के जीवन से जुड़े कथ्य और पात्रों-चरित्रों का आइना हैं । कथाकार के लेखन-कौशल से कहीं अधिक उसकी पर्यवेक्षण-क्षमता के चलते इस कथा संग्रह में विविधिता संभव हुई । इस संग्रह के अंदर उनहोंने

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बैरी

बैरी

सामाजिक यथार्थवाद व वर्तमान परिदृश्य की बुनियाद पर टिका महेंद्र भीष्म का उपन्यास *बैरी* जीवन के अनेक मोड़ अनेक उतार-चढ़ाव के ग्राफ को दर्शाता हुआ मानवीय संवेदना को प्रगाढ़ करता है । मानवीय मूल्यों की वकालत करता हुआ यह उपन्यास भाषा और शिल्प की दृष्टि

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बैरी

सामाजिक यथार्थवाद व वर्तमान परिदृश्य की बुनियाद पर टिका महेंद्र भीष्म का उपन्यास *बैरी* जीवन के अनेक मोड़ अनेक उतार-चढ़ाव के ग्राफ को दर्शाता हुआ मानवीय संवेदना को प्रगाढ़ करता है । मानवीय मूल्यों की वकालत करता हुआ यह उपन्यास भाषा और शिल्प की दृष्टि

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आख़िरी दरख़्त

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उपन्यासकार महेन्द्र भीष्म अपनी रचना- धर्मिता के प्रति प्रतिबद्ध रचनाकार के रूप में जाने जाते हैं। आपने ऐसे विषयों पर अपनी कलम उठाई है, जिन पर सामान्यतः रचनाकारों का बहुत कम ध्यान जाता है। युद्ध पर आपका उपन्यास ‘जयहिन्द की सेना’ हो या हाशिये के लोगों

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उपन्यासकार महेन्द्र भीष्म अपनी रचना- धर्मिता के प्रति प्रतिबद्ध रचनाकार के रूप में जाने जाते हैं। आपने ऐसे विषयों पर अपनी कलम उठाई है, जिन पर सामान्यतः रचनाकारों का बहुत कम ध्यान जाता है। युद्ध पर आपका उपन्यास ‘जयहिन्द की सेना’ हो या हाशिये के लोगों

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जय हिन्द की सेना

जय हिन्द की सेना

जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म एक सुबह मुँह अंधेरे अटल दा ने मुझे झकझोर कर जगा दिया। घर के सभी लोग अस्त—व्यस्त से कहीं जाने की तैयारी में लगे थे। कल देर रात तक हम सभी रहमान चाचा घर के तहखाने में छिपे रहे, फिर जब उन्होंने हम लोगों को अपने फार्म हाउस

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जय हिन्द की सेना

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जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म एक सुबह मुँह अंधेरे अटल दा ने मुझे झकझोर कर जगा दिया। घर के सभी लोग अस्त—व्यस्त से कहीं जाने की तैयारी में लगे थे। कल देर रात तक हम सभी रहमान चाचा घर के तहखाने में छिपे रहे, फिर जब उन्होंने हम लोगों को अपने फार्म हाउस

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महेन्द्र भीष्म के लेख

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