लखनऊ: पुरुष और स्त्रियों के बीच अभी भी काफी असमानता है इस असमानता को खत्म होने में अभी समय लगेगा, महिलाओं को चाहिये कि वे निडर बनें, अपनी स्वीकार्यता के लिए पुरुषों की सहमति का इंतजार न करें तथा अपने जीवन पर अपना खुद का नियंत्रण रखें। अपनी सेहत के प्रति जागरूक रहें। शास्त्रों में भी कहा गया है कि आपका शरीर सबसे पहले है, स्वास्थ्य है तो सब अन्यथा जीवन व्यर्थ है।
लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रो. निशी पाण्डेय ने यह आव्हान दो दिन पूर्व राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान एनबीआरआई में मॉर्निंग वाक के समय आयोजित नारी स्वास्थ्य पहल कार्यक्रम में किया। कार्यक्रम का आयोजन स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ मंजू शुक्ला, डॉ प्रीति कुमार ने फेडरेशन ऑफ ऑब्स एंड गाइनी सोसाइटीज ऑफ इंडिया फॉगसी के तत्वावधान में कियागया। मुख्य अतिथि के रूप में प्रो निशी पाण्डेय ने उपस्थित लोगो को संबोधित करते हुए कहा कि हम पुरुषों के खिलाफ नहीं है, बल्कि पुरुषों से यह कहना चाहती हूं कि वे नारी के साथ खड़े हों, उसके प्रति संवेदनशील रहें, इसके लिये मैं उन्हें भी बधाई देती हूं।
कृष्णा मेडिकल सेंटर के नर्सिंग स्टूडेंट्स ने एक नुक्कड़ नाटक के माध्यम से नारी संघर्ष, जन्म से मृत्यु तक की खूबसूरत प्रस्तुति दी। नाटक के माध्यम से नारी के जीवन में होने वाली समस्याओं जैसे छेड़छाड़, एसिड अटैक, कन्या भ्रूण हत्या एवं घरेलू हिंसा का मंचन किया गया।
इस अवसर पर कैंसर विशेषज्ञ डॉ विवेक गर्ग ने स्तन कैंसर के प्रति जागरूक रहने का आह्वान करते हुए बताया कि गांव में एक लाख में 18 तो शहरों में एक लाख में 28-32 महिलाओं में स्तन कैंसर की शिकायत पायी गयी है। इसके कारणों के बारे में उन्होंने बताया कि देर से शादी, देर से बच्चा पैदा होना, स्तनपान न कराना, व्यायाम न करना जैसे अनेक कारणों से यह हो जाता है। उन्होंने इस अवसर पर महिलाओं द्वारा स्वयं स्तन में गांठ का चेकअप करने की विधि भी बतायी, उन्होंने यह भी बताया कि स्तन में पायी जाने वाली 80 से 85 प्रतिशत गांठें कैंसर नहीं होती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अब ऐसी दवायें और टेक्नीक आ गयी हैं जिनसे कैंसर के इलाज का शरीर पर साइड इफेक्ट भी नहीं होता है और न ही स्तन को हटाने की जरूरत होती है। जिन महिलाओं के मां की साइड यानी मां, मौसी किसी को स्तन कैंसर हुआ है तो उन्हें कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। अत: ऐसे मामलो में सावधानी बरतकर जागरूक रहने की जरूरत है।
एनबीआरआई के डॉ प्रमोद शिकरे ने बेटियों का महत्व बताते हुए कहा कि कभी-कभी यह देखकर अफसोस होता है कि नारी ही नारी का शोषण करती है और गर्भ में पल रही लडक़ी को देखकर गर्भपात के लिए तैयार हो जाती है। उन्होंने आह्वान किया कि इस स्थिति को बदलने की जरूरत है।
कार्यक्रम में उपस्थित डॉ अपेक्षा विश्नोई ने किशोरावस्था में होने वाले बदलावों का जिक्र करते हुए माताओं से आह्वान किया कि उन्हें अपनी बेटियों से दोस्ताना व्यवहार करते हुए उनकी समस्याओं के बारे में पूछना चाहिये क्योंकि इस अवस्था में होने वाले बदलावों को लेकर वह इधर-उधर से जानकारी ढूंढऩे का प्रयास करती हैं, बेहतर होगा कि यह जानकारी मां स्वंम अपनी बेटी को देेे। मांओं को बेटी को कुपोषण, मोटापा से बचाने पर भी ध्यान देंन चाहिये। अपनी बेटियों को समझाएं कि जीरो फिगर के चक्कर में वह कुपोषण की शिकार न हों, गुस्सा न करें, समझा कर अपनी बात मनवायें साथ ही यह भी ध्यान रखें कि आप अपने बच्चों के रोल मॉडल होते हैं इसलिए स्वंम भी वैसा ही करें जो बच्चों से चाहती हैं। बच्चों को तनाव में न रखें, उन पर प्रेशर न डालें। अपने बेटों को लड़कियों की इज्जत करना सिखायें।
डॉ अंजना जैन ने इस अवसर पर सर्विक्स कैंसर यानी बच्चेदानी के मुख के कैंसर के बारे में जागरूक करते हुए कहा कि 20 से 25 वर्ष की आयु वाली महिलाओं को हर तीन साल में एक बार पेप्समीयर टेस्ट कराना चाहिये, इस टेस्ट से सर्विक्स कैंसर की प्राथमिक स्टेज से ही कैंसर का पता चल जाता है जिससे उपचार करना संभव हो जाता है। उन्होंने इससे बचाव के टीके के बारे में भी बताया कि यह 14 वर्ष की आयु तक की लड़कियों को लगाया जाता है। इस मौके पर सर्विक्स कैंसर के प्रति गांव-गांव जाकर जागरूकता फैलाने के लिए डॉ स्मिता को वरिष्ठ गायनाकोलॉजिस्ट डॉ चंद्रावती ने सम्मानित किया।
डॉ अनीता सिंह ने आये हुए अतिथियों का धन्यवाद किया। मंच संचालित करने की जिम्मेदारी डॉ रश्मि ने निभायी। इस अवसर पर एक स्वास्थ्य शिविर भी लगाया गया जिसमें बोन मैरो डेंसिटी, ब्लड प्रेशर, हीमोगलोबिन का नि:शुल्क परीक्षण किया गया।