मै हूँ अनजान मुसाफ़िर एकजहग रुकता नही बस चलना ही ही मेरी मंजिल कब और कहाँ मिले कुछ पता नही में हूँ एक अनजाना सफ़र की खोज में एक अनजान मुसाफ़िर हूँ। कहाँ से आया और कहाँ हैं जाना कुछ पता नहीं। फिर भी एक मंज़िल को है पाना यही उदेश्य हैं मेरा कब तक मिले मंजिल कुछ पता नही शायद ज्यादा दूर नहीं अब मेरी मेहनत जल्द ही रंग लाऐगी अनजान मुसाफ़िर हूँ मेरे को मेरी मंजिल खूद ढूँढ कर है पाना मुश्किल बहुत हैं। पर रूकना नही मंजिल तक खुद हैं ढूँढ कर है। पाना मुश्किलों से नहीं हैं खबराना बस आगे बढ़ते जाना हैं। मैं अनजान मुसाफ़िर हूँ मेरे को आगे बढ़ने जाना