ओशो के मन का दर्पण में जीवन को जीने के तरीके के बारे में बताया गया है। उन्होने बताया कि जीवन मेरे लिए परमात्मा का ही पर्यायवाची है। जीवन का मतलब ही परमात्मा होता है। जीवन और प्रभु अलग-अलग नहीं हैं। अंदर कोई जागा हो तो इसी क्षण अभी यहीं जीवन और प्रभु का मिलन होचा है।
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