अपनों की दुनिया में भी अजीब सा मंजर होता है, जिन्हें निहत्था समझें अक्सर उन्हीं के पास खंजर होता है, घाव तो इतना गहरा देते हैं जितना की समुंदर भी नहीं होता है, फिर भी मुस्कुराकर जो विपरीत धाराओं का रुख मोड़ दे वही तो सिकंदर होता है,
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<p>अपनों की दुनिया में भी अजीब सा मंजर होता है,</p> <p>जिन्हें निहत्था समझें अक्सर उन्हीं के पास खंज
<p>हाल तो बेहाल,</p> <p>जीना तो एकदम मुहाल है,</p> <p>क्योंकि हमारे ऊपर निराधार आरोपों का एक जाल है,
<p>हमारे घर के पीछे भी अजीब से अफसाने हैं,</p> <p>पति को छोड़कर बाकी सब उनके दीवाने हैं,</p> <p>पागल
<p>ये रक्षाबंधन का त्योहार लोग मनाते क्यों है,</p> <p>अपनी बहनों से इतना ही प्रेम है तो दूसरों की बह
<p>यहां तो बिना अप्रैल फूल के ही हमसे भद्दा मजाक कर जाते हैं, <br> दूसरों की बेशर्माई का सेहरा हमें
<p>ऐ खुदा इश्क की हवा से हमें बचाए रखना,</p> <p>डूब न जाएं ख्यालों में किसी के इसलिए अक्सर हमें उलझा
<p>जिंदगी में तकलीफें तो हमने भी बहुत झेली है,</p> <p>हम न रोए लेकिन आंखों ने खुद को भिगो ली हैं,</p