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मिस अडना जैक्सन

9 अप्रैल 2022

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कॉलिज की पुरानी प्रिंसिपल के तबादले का एलान हुआ, तालिबात ने बड़ा शोर मचाया। वो नहीं चाहती थीं कि उन की महबूब प्रिंसिपल उन के कॉलेज से कहीं और चली जाये। बड़ा एहतिजाज हुआ। यहाँ तक कि चंद लड़कियों ने भूक हड़ताल भी की, मगर फ़ैसला अटल था....... उन का जज़बाती पन थोड़े अर्से के बाद ख़त्म हो गया।

नई प्रिंसिपल ने पुरानी प्रिंसिपल की जगह ले ली। तालिबात ने शुरू शुरू में उस से बड़ी नफ़रत-ओ-हिक़ारत का इज़हार किया मगर उस ने उन से कुछ न कहा। हालाँ कि उस के इख़्तियार में सब कुछ था। वो उन को कड़ी से कड़ी सज़ा दे सकती थी।

हर वक़्त उस के पतले पतले होंटों पर मुस्कुराहट तैरती रहती.......वो सर-ता-पा तबस्सुम थी। कॉलेज में खिली हुई कली की तरह आती और जब वापस जाती तो दिन भर गूना-गूं मस्रूफ़ियतों के बावजूद उस में मुरझाहट के कोई आसार न होते।

थोड़े अर्से के बाद....... कॉलेज की तालिबात उस की गिरवीदा हो गईं। हर वक़्त उस से चिम्टी रहतीं। एक दिन, जब कोई जल्सा था, मिस एडना जैक्सन ने तक़रीर की और कहा। “मैं बहुत ख़ुश हूँ कि तुम अब मुझ से मानूस हो गई हो। शुरू शुरू में जैसा कि मैं जानती हूँ तुम मुझ से नफ़रत करती थीं, मेरी प्यारी बच्चियो, मैं यहाँ अपनी मर्ज़ी से नहीं आई थी। मुझे यहाँ मेरे हाकिमों ने भेजा था....... एक दिन आने वाला है जब तुम संजीदा और मतीन बन जाओगी।

तुम्हारी गोद में बच्चे खेलते होंगे, तुम से भी कहीं ज़्यादा शरीर और नटखट....... मैं तुम्हारी प्रिंसिपल हूँ। लेकिन दिल में ये ख़याल कभी न लाना कि मैं कोई ज़ालिम औरत हूँ....... मैं तुम सब से मोहब्बत करती हूँ....... और चाहती हूँ कि मुझ से भी कोई मोहब्बत करे।”

ये तक़रीर सुन कर लड़कियां बहुत मुतअस्सिर हुईं और मिस जैक्सन की मोहब्बत में और ज़्यादा गिरिफ़्तार हो गईं। सब दिल में नादिम थीं कि उन्हों ने ऐसी शरीफ़ और शफ़ीक़ प्रिंसिपल के आने पर क्यूँ एतराज़ किया।

एक दिन बी.ए की एक लड़की ताहिरा जिस ने मिस जैक्सन की आमद पर आवाज़े कसे थे और बड़े सख़्त अल्फ़ाज़ इस्तेमाल किए थे, प्रिंसिपल के कमरे में थी।

ताहिरा का सर झुका हुआ था। ख़ौफ़-ओ-हरास उस के चेहरे पर फैला हुआ था। प्रिंसिपल काग़ज़ात पर दस्तख़त कर रही थी। बेहद मुनहमिक थी। थोड़ी देर के बाद जब उस ने ताहिरा की सिसकियों की आवाज़ सुनी तो उस को उस की मौजूदगी का इल्म हुआ। एक दम चौंक कर उस ने अपना नन्हा सा फाउंटेन-पेन एक तरफ़ रखा और उस की तरफ़ मुतवज्जे हुई। उस को याद नहीं आ रहा था कि उस ने ताहिरा को बुलाया है।

“क्या बात है ताहिरा?”

ताहिरा की आँखों से आँसू रवां थे। “आप आप ही ने तो मुझे यहाँ तलब फ़रमाया था”

एक लहज़े के लिए मिस जैक्सन ख़ाली-उद-दिमाग़ रही, लेकिन उसे फ़ौरन याद आ गया कि मुआमला क्या है। ताहिरा के नाम एक मर्द का मोहब्बतनामा पकड़ा गया था। ये उस की एक सहेली नाहिद ने मिस जैक्सन के हवाले कर दिया था।

ये ख़त उस की दराज़ में महफ़ूज़ था। मिस जैक्सन के मुस्कुराते हुए होंट ताहिरा से मुख़ातब हुए। “बेटा....... ये क्या बप्ता है?”

इस के बाद उस ने मेज़ का दराज़ खोल कर ख़त निकाला और ताहिरा से कहा “लो.......ये तुम्हारा ख़त है पढ़ लो और अगर चाहो तो मुझे सारी दास्तान सुनाओ ताकि मैं तुम्हें कोई राय दे सकूं।”

ताहिरा कुछ देर ख़ामोश रही। उस की समझ में नहीं आता था क्या कहे।

प्रिंसिपल मिस जैक्सन ने उठ कर उस के कांधे पर शफ़क़त भरा हाथ रखा “ताहिरा! शर्माओ नहीं। हर लड़की की ज़िंदगी में ऐसे लमहात आते हैं।”

ताहिरा ने रोना शुरू कर दिया। बूढ़ा चपरासी किसी काम से अंदर दाख़िल हुआ तो मुस जैक्सन ने उस से कहा। “निज़ामुद्दीन! अभी तुम बाहर ठहरो....... मैं बुला लूँ गी तुम्हें।”

जब वो चला गया तो मिस जैक्सन ने बड़े प्यार से ताहिरा से कहा। “मोहब्बत एक अज़ीम जज़्बा है। मुझे इस पर क्या एतराज़ हो सकता है। लेकिन तुम्हारी उम्र की लड़कियां अक्सर धोका खा जाया करती हैं....... मुझे तमाम वाक़ियात बता दो। मैं तुम से उम्र में बहुत बड़ी हूँ मगर मुझ से आज तक किसी ने मोहब्बत नहीं की, लेकिन मैं ने कई उस्तुवार और ना-उस्तुवार मोहब्बतें देखी हैं.......बेटा, मुझ से घबराओ नहीं.......बैठ जाओ।”

ताहिरा अपने दुपट्टे से आँसू पोंछती हुई कुर्सी पर बैठ गई।

प्रिंसिपल अपनी घूमने वाली कुर्सी पर नशिस्त इख़्तियार करते हुए अपनी शागिर्दा से बोलीं “अब देर न लगाओ.......बता दो....... मुझे बहुत से ज़रूरी काम करने हैं।”

ताहिरा कुछ देर हिचकिचाती रही। लेकिन इस के बाद उस ने अपना दिल खोल के अपनी प्रिंसिपल के सामने रख दिया। उस ने बताया कि एक नौजवान लेक्चरार है जिस से वो ट्यूशन लेती है। क़रीब क़रीब एक साल से वो बाक़ाएदा पाँच बजे उस के घर में आता रहा है। उस की बातें बड़ी दिलफ़रेब हैं। शक्ल-ओ-सूरत के लिहाज़ से भी ख़ूब है। फ़ारसी के अशआर का मतलब समझाता है तो एक नक़्शा खींच देता है। उस की ज़बान में ग़ज़ब की मिठास है।

ताहिरा ने मज़ीद बताया कि उस के दिल में लेक्चरार के लिए जगह पैदा हो गई। आहिस्ता आहिस्ता बे-क़रार रहने लगी। उस को हर वक़्त उस की याद सताती। पाँच बजने वाले होते तो उस को यूँ महसूस होता कि वो मुजस्सम घड़ी बन गई है....... उस का रुवां रुवां टुक-टुक करने लगता।

वो उस से ज़बानी तो कुछ नहीं कह सकती थी, इस लिए कि शर्म-ओ-हया इजाज़त नहीं देती थी। उस ने एक रात लेक्चरार के नाम ख़त लिखा....... उस ने अपनी ज़िंदगी भर में ऐसा ख़त कभी नहीं लिखा था हालाँ कि वो अपने ख़ान-दान में ख़त लिखने के मुआमले में काफ़ी मशहूर थी कि हर बात बड़े सलीक़े से लिखती है, लेकिन ये ख़त लिखते हुए उसे बड़ी दिक्कतें पेश आईं।

अलक़ाब क्या हो, मज़मून कैसा होना चाहिए, फिर ये सवाल भी उस के दरपेश था कि हो सकता है कि वो ये ख़त उस के बाप के हवाले कर दे।

वो एक अर्से तक सोचती रही। उस के दिल में कई ख़दशे थे लेकिन आख़िर उस ने फ़ैसला कर लिया कि वो ख़त ज़रूर लिखेगी। चुनांचे उस ने राइटिंग पेड के कई काग़ज़ ज़ाए कर के चंद सुतूर उस लेक्चरार के नाम लिखें:।

“आप बड़े अच्छे उस्ताद हैं। मुझे इस तरह पढ़ाते हैं जैसे....... जैसे आप को मुझ से ख़ास लगाओ है। वर्ना इतनी मेहनत कौन उस्ताद करता है.......मेरा तो ये जी चाहता है कि सारी उम्र आप मेरे उस्ताद और मैं आप की शागिर्दा रहूँ। बस इस से ज़्यादा मैं और कुछ नहीं लिख सकती।”

ये ख़त उस ने कई दिन अपने पर्स में रखा। इस के बाद जुर्रअत से काम लेकर उस ने काग़ज़ का ये पुर्ज़ा अपने उस्ताद की जेब में धड़कते हुए दल के साथ डाल दिया।

दूसरे रोज़ जब वो शाम को ठीक पाँच बजे आया तो उस का दिल बहुत ज़ोर से धड़क रहा था। उस ने किसी क़िस्म के रद्द-ए-अमल का इज़हार न किया। उसे सख़्त मायूसी हुई। दो घंटे के बाद जब वो चला गया तो उस ने बड़े चिड़चिड़ेपन से अपनी किताबें उठाईं और अपने कमरे में जाने लगी। एक किताब उस के हाथ से गिर पड़ी। ताहिरा ने बड़ी बे-दिली से उठाई तो उस के औराक़ में से काग़ज़ का एक टुकड़ा झांकने लगा। उस ने ये टुकड़ा निकाला। उस पर चंद अल्फ़ाज़ मर्क़ूम थे।

ताहिरा के ज़ख़्मी जज़्बात पर मरहम के फाहे लग गए। उस के उस्ताद ने ये लिखा था:

“मुझे तुम्हारी तहरीर मिल गई है....... मैं सब कुछ समझ गया हूँ। ज़िंदगी भर तुम्हारा उस्ताद रहने का तो मैं वअदा नहीं कर सकता लेकिन ख़ादिम ज़रूर रहूँगा। मैं उस्तादी शागिर्दी से तंग आ गया हूँ। तुम्हारी गु़लामी इस से हज़ार दर्जे बेहतर होगी।”

इस के बाद दोनों में किताबों के औराक़ की ओट में ख़त-ओ-किताबत होती रही। लेकिन ताहिरा के वालदैन को यक-लख़्त शहर छोड़ना पड़ा, इस लिए कि उस के बाप ज़हीर की तबदीली किसी सिलसिले में दूसरे शहर में हो गई।

ताहिरा को हॉस्टल में दाख़िल कर दिया गया, जिस की सुप्रिंटनडंट मिस जैक्सन थी। उस का क़याम उसी हॉस्टल में था।

कॉलेज से फ़ारिग़ हो कर आती तो अपने कमरे में अक्सर नावल पढ़ती रहती। अजीब अजीब क़िस्म के। हॉस्टल की लड़कियाँ उस के पास आतीं और उस के कई नावल चुरा के ले जातीं और मज़े ले लेकर पढ़तीं। फिर वापस वहीं पर रख देतीं जहाँ से उन्हों ने उठाए थे.......मिस जैक्सन को लड़कियों की इस शरारत का कोई इल्म नहीं था....... ताहिरा ने भी कई नावल पढ़े और उस का इश्क़ अपने उस्ताद के इश्क़ से बढ़ता गया। वो हॉस्टल से बाहर निकल नहीं सकती थी इस लिए उस ने एक ख़त लिखा और उसे किसी न किसी तरीक़े से अपने उस्ताद तक पहुंचा दिया।

ये ख़त जो उस नौजवान लेक्चरार ने जवाब में लिखा था, ग़लत हाथों में पहुंच गया। यानी नाहिद के पास जिस को ताहिरा से सिर्फ़ इस लिए बुग़्ज़ था कि वो उस के मुक़ाबले में कहीं ज़्यादा ख़ूबसूरत थी....... ये ख़त उस ने प्रिंसिपल के हवाले कर दिया।

ताहिरा, जब अपनी सारी दास्तान सुना चुकी जो मिस जैक्सन ने बड़ी दिलचस्पी लेते हुए सुनी तो उस ने कुछ देर ख़ामोश रहने के बाद ताहिरा से कहा। “अब तुम क्या चाहती हो?”

“मुझे कुछ मालूम नहीं....... आप जो फ़ैसला फ़रमाएंगी, मुझे मंज़ूर होगा।”

मिस जैक्सन अपनी कुर्सी पर से उठीं और कहा “नहीं ताहिरा, मोहब्बत के मुआमले में मुझे फ़ैसला देने का इख़्तियार नहीं। ये मज़हब से भी ज़्यादा मुक़द्दस जज़्बा है....... तुम ख़ुद बताओ।”

ताहिरा ने शर्म से भरी हुई आँखें जो नम-आलूद थीं, झुका कर सिर्फ़ इतना कहा “मैं उन से शादी करना चाहती हूँ।”

मिस जैक्सन ने ठेट प्रिंसपलाना अंदाज़ में पूछा। “क्या वो भी चाहता है?”

“उस ने अभी तक इस ख़वाहिश का इज़हार नहीं किया.......लेकिन वो.......

मैं समझती हूँ। वो भी तो तुम से मोहब्बत करता है.......उसे क्या उज़्र हो सकता है....... लेकिन क्या तुम्हारे वालदैन रज़ामंद हो जाऐंगे? ”

“हरगिज़ नहीं होंगे।”

“क्यूँ?”

“इस लिए कि वो मेरी मंगनी एक जगह कर चुके हैं।”

“कहाँ?”

“मेरे ख़ाला-ज़ाद भाई के साथ।”

“हम क्रिस्चियनों में तो ऐसा नहीं होता।”

“हमारे हाँ तो अक्सर ऐसा होता है।”

“ख़ैर छोड़ो इस बात को....... क्या मैं तुम्हारे इस लेक्चरार को अपने पास बुला कर उस से मुफ़स्सिल बातचीत करूं? ताहिरा ये ज़िंदगी भर का सवाल है ऐसा न हो कोई ग़लती हो जाये....... मैं उम्र में तुम से बहुत बड़ी हूँ। मैं तुम्हें सही मशवरा दूँगी। एक मर्तबा तुम मुझे उस से मिल लेने दो।”

ताहिरा ने शुक्रिया अदा किया। “आप ज़रूर मिलिए लेकिन.......उस से कह दीजिएगा.......कि.......”

प्रिंसिपल ने बड़ी शफ़क़त से कहा। “रुक क्यूँ गई हो....... जो कुछ तुम उस से कहना चाहती हो, मुझ से कह दो।”

“जी.......बस सिर्फ़ इतना कि अगर उस के क़दम मज़बूत न रहे तो मैं ख़ुद-कशी कर लूंगी....... औरत ज़िंदगी में.......सिर्फ़ एक ही मर्द से मोहब्बत करती है।”

मोहब्बत का लफ़्ज़ सुनते ही प्रिंसिपल मिस एडना जैक्सन के दिल की झुर्रियां और ज़्यादा गहरी हो गईं। उस ने ताहिरा के आँसू अपने रूमाल से बड़ी शफ़क़त के साथ पोंछते हुए रुख़स्त कर दिया।

इस के बाद उस ने घंटी बजा कर चपरासी को अंदर बुलाया। उस ने बड़े ज़रूरी काग़ज़ात उस के मेज़ पर रखे। उस ने सरसरी नज़र से उन को देखा। एक काग़ज़ पर ताहिरा के उस लेक्चरार के नाम ख़त लिखा कि वो अज़राह-ए-करम उस से किसी वक़्त शाम को बोर्डिंग हाऊस में मिले।

ये ख़त उस ने लिफाफे में डाला, पता लिखा और चपरासी से कहा कि फ़ौरन साइकल पर जाये और ये लिफ़ाफ़ा लेक्चरार साहब को पहुँचा दे।

चपरासी चला गया।

शाम को मिस एडना जैक्सन अपने कमरे में बैठी पर्चे देख रही थी कि नौकर ने इत्तिला दी कि एक साहब आप से मिलने आए हैं।

वो समझ गई कि ये साहब कौन हैं, चुनांचे उस ने नौकर से कहा। “उन्हें अंदर ले आओ!”

ताहिरा का उस्ताद ही था जो उस के कमरे में दाख़िल हुआ। मिस जैक्सन ने उस का इस्तिक़बाल किया। गर्मियों का मौसम था। जून का महीना, सख़्त तपिश थी....... मिस जैक्सन उस से बड़े अख़लाक़ के साथ पेश आई। नौजवान लेक्चरार बहुत मुतअस्सिर हुआ।

इधर उधर की बातें होती रहीं। मिस एडना जैक्सन ताहिरा के बारे में बात शुरू करने ही वाली थी कि उस पर हिस्टीरिया का दौरा पड़ गया। उस को ये मर्ज़ बहुत देर से लाहक़ था। लेक्चरार बहुत फ़िक्रमंद हुआ। घर में कोई नौकर नहीं था, इस लिए कि वो छुट्टी कर के कहीं बाहर सो रहे थे। उस ने ख़ुद ही जो उस की समझ में आया, किया।

जब.......कॉलेज गर्मीयों की छुट्टियों के बाद खुला तो लड़कियों को ये सुन कर बड़ी हैरत हुई कि उन की प्रिंसिपल मिस एडना जैक्सन से उस लेक्चरार की शादी हो गई है, जिस को ताहिरा से मोहब्बत थी.......ये दिलचस्प बात है कि लेक्चरार लतीफ़ की उम्र पच्चीस बरस के क़रीब होगी और मिस एडना जैक्सन की लग-भग पच्चास बरस।

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सुर्ख़ खुरदरे कम्बल में अताउल्लाह ने बड़ी मुश्किल से करवट बदली और अपनी मुंदी हुई आँखें आहिस्ता आहिस्ता खोलीं। कुहरे की दबीज़ चादर में कई चीज़ें लिपटी हुई थीं जिन के सही ख़द्द-ओ-ख़ाल नज़र नहीं आते थे। एक लं

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फाहा

8 अप्रैल 2022
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गोपाल की रान पर जब ये बड़ा फोड़ा निकला तो इस के औसान ख़ता हो गए। गरमियों का मौसम था। आम ख़ूब हुए थे। बाज़ारों में, गलियों में, दुकानदारों के पास, फेरी वालों के पास, जिधर देखो, आम ही आम नज़र आते। लाल, पीले

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फुंदने

8 अप्रैल 2022
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कोठी से मुल्हक़ा वसीअ-ओ-अरीज़ बाग़ में झाड़ियों के पीछे एक बिल्ली ने बच्चे दिए थे, जो बिल्ला खा गया था। फिर एक कुतिया ने बच्चे दिए थे जो बड़े बड़े हो गए थे और दिन रात कोठी के अंदर बाहर भौंकते और गंदगी बिखेर

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बलवंत सिंह मजीठिया

8 अप्रैल 2022
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शाह साहब से जब मेरी मुलाक़ात हुई तो हम फ़ौरन बे-तकल्लुफ़ हो गए। मुझे सिर्फ़ इतना मालूम था कि वो सय्यद हैं और मेरे दूर-दराज़ के रिश्तेदार भी हैं। वो मेरे दूर या क़रीब के रिश्तेदार कैसे हो सकते थे, इस के मु

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बाई बाई

8 अप्रैल 2022
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नाम उस का फ़ातिमा था पर सब उसे फातो कहते थे बानिहाल के दुर्रे के उस तरफ़ उस के बाप की पन-चक्की थी जो बड़ा सादा लौह मुअम्मर आदमी था। दिन भर वो इस पन चक्की के पास बैठी रहती। पहाड़ के दामन में छोटी सी जगह थ

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बादशाहत का ख़ात्मा

8 अप्रैल 2022
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टेलीफ़ोन की घंटी बिजी। मनमोहन पास ही बैठा था। उस ने रीसीवर उठाया और कहा “हेलो....... फ़ौर फ़ौर फ़ौर फाईव सेवन” दूसरी तरफ़ से पतली सी निस्वानी आवाज़ आई। “सोरी....... रोंग नंबर” मनमोहन ने रीसीवर रख दिया और

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बिलाउज़

8 अप्रैल 2022
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कुछ दिनों से मोमिन बहुत बेक़रार था। उस को ऐसा महसूस होता था कि इस का वजूद कच्चा फोड़ा सा बन गया था। काम करते वक़्त, बातें करते हुए हत्ता कि सोचने पर भी उसे एक अजीब क़िस्म का दर्द महसूस होता था। ऐसा दर्द

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सरकण्डों के पीछे

8 अप्रैल 2022
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कौन सा शहर था, इस के मुतअल्लिक़ जहां तक में समझता हूँ, आप को मालूम करने और मुझे बताने की कोई ज़रूरत नहीं ।बस इतना ही कह देना काफ़ी है कि वो जगह जो इस कहानी से मुतअल्लिक़ है, पेशावर के मुज़ाफ़ात में थी। सरहद

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मिसिज़ गुल

8 अप्रैल 2022
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मैंने जब उस औरत को पहली मर्तबा देखा तो मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मैंने लेमूँ निचोड़ ने वाला खटका देखा है। बहुत दुबली पतली, लेकिन बला की तेज़। उस का सारा जिस्म सिवाए आँखों के इंतिहाई ग़ैर निस्वानी था। ये आँख

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मलबे का ढेर

8 अप्रैल 2022
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कामिनी के ब्याह को अभी एक साल भी न हुआ था कि उस का पति दिल के आरिज़े की वजह से मर गया और अपनी सारी जायदाद उस के लिए छोड़ गया। कामिनी को बहुत सदमा पहुंचा, इस लिए कि वो जवानी ही में बेवा हो गई थी। उस की

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महमूदा

8 अप्रैल 2022
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मुस्तक़ीम ने महमूदा को पहली मर्तबा अपनी शादी पर देखा। आरसी मसहफ़ की रस्म अदा हो रही थी कि अचानक उस को दो बड़ी बड़ी.......ग़ैर-मामूली तौर पर बड़ी आँखें दिखाई दीं.......ये महमूदा की आँखें थीं जो अभी तक कुंवार

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मिसेज़ डी सिल्वा

8 अप्रैल 2022
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बिलकुल आमने सामने फ़्लैट थे। हमारे फ़्लैट का नंबर तेरह था। उस के फ़्लैट का चौदह। कभी कोई सामने का दरवाज़ा खटखटाता तो मुझे यही मालूम होता कि हमारे दरवाज़े पर दस्तक होरही है। इसी ग़लतफ़हमी में जब मैंने एक

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मेरा हमसफ़र

9 अप्रैल 2022
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प्लेटफार्म पर शहाब, सईद और अब्बास ने एक शोर मचा रखा था। ये सब दोस्त मुझे स्टेशन पर छोड़ने के लिए आए थे, गाड़ी प्लेटफार्म को छोड़ कर आहिस्ता आहिस्ता चल रही थी कि शहाब ने बढ़ कर पाएदान पर चढ़ते हुए मुझ से

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मेरा और उसका इंतिक़ाम

9 अप्रैल 2022
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घर में मेरे सिवा कोई मौजूद नहीं था। पिता जी कचहरी में थे और शाम से पहले कभी घर आने के आदी न थे। माता जी लाहौर में थीं और मेरी बहन बिमला अपनी किसी सहेली के हाँ गई थी! मैं तन्हा अपने कमरे में बैठा किताब

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वह लड़की

9 अप्रैल 2022
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सवा-चार बज चुके थे लेकिन धूप में वही तमाज़त थी जो दोपहर को बारह बजे के क़रीब थी। उस ने बालकनी में आ कर बाहर देखा तो उसे एक लड़की नज़र आई जो बज़ाहिर धूप से बचने के लिए एक साया-दार दरख़्त की छांव में आलती पाल

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वो ख़त जो पोस्ट न किये गए

9 अप्रैल 2022
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हव्वा की एक बेटी के चंद ख़ुतूत जो उस ने फ़ुर्सत के वक़्त मुहल्ले के चंद लोगों को लिखे। मगर इन वजूह की बिना पर पोस्ट न किए गए जो इन ख़ुतूत में नुमायां नज़र आती हैं। (नाम और मुक़ाम फ़र्ज़ी हैं) पहला ख़त म

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शादी

9 अप्रैल 2022
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जमील को अपना शैफर लाइफ-टाइम क़लम मरम्मत के लिए देना था। उस ने टेलीफ़ोन डायरेक्ट्री में शैफर कंपनी का नंबर तलाश किया। फ़ोन करने से मालूम हुआ कि उन के एजेंट मैसर्ज़ डी, जे, समतोइर हैं जिन का दफ़्तर ग्रीन

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सड़क के किनारे

9 अप्रैल 2022
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“यही दिन थे......... आसमान उस की आँखों की तरह ऐसा ही नीला था जैसा कि आज है। धुला हुआ, निथरा हुआ......... और धूप भी ऐसी ही कनकनी थी......... सुहाने ख़्वाबों की तरह। मिट्टी की बॉस भी ऐसी ही थी जैसी कि इ

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शारदा

9 अप्रैल 2022
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नज़ीर ब्लैक मार्कीट से विस्की की बोतल लाने गया। बड़क डाकख़ाने से कुछ आगे बंदरगाह के फाटक से कुछ इधर सिगरेट वाले की दुकान से उस को स्काच मुनासिब दामों पर मिल जाती थी। जब उस ने पैंतीस रुपये अदा करके काग़

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सिराज

9 अप्रैल 2022
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नागपाड़ा पुलिस चौकी के उस तरफ़ जो छोटा सा बाग़ है। उस के बिलकुल सामने ईरानी के होटल के बाहर, बिजली के खंबे के साथ लग कर ढूंढ़ो खड़ा था। दिन ढले, मुक़र्ररा वक़्त पर वो यहां आ जाता और सुबह चार बजे तक अपने धंद

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हज्ज-ए-अकबर

9 अप्रैल 2022
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इम्तियाज़ और सग़ीर की शादी हुई तो शहर भर में धूम मच गई। आतिश बाज़ियों का रिवाज बाक़ी नहीं रहा था मगर दूल्हे के बाप ने इस पुरानी अय्याशी पर बे-दरेग़ रुपया सर्फ़ किया। जब सग़ीर ज़ेवरों से लदे फंदे सफ़ैद बुर्र

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सजदा

9 अप्रैल 2022
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गिलास पर बोतल झुकी तो एक दम हमीद की तबीयत पर बोझ सा पड़ गया। मलिक जो उसके सामने तीसरा पैग पी रहा था फ़ौरन ताड़ गया कि हमीद के अंदर रुहानी कश्मकश पैदा होगई है। वो हमीद को सात बरस से जानता था, और इन सात बर

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लाइसेंस

9 अप्रैल 2022
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अब्बू कोचवान बड़ा छैल छबीला था। उस का ताँगा घोड़ा भी शहर में नंबर वन था। कभी मामूली सवारी नहीं बिठाता था। उस के लगे बंधे गाहक थे जिन से उस को रोज़ाना दस पंद्रह रुपय वसूल हो जाते थे जो अब्बू के लिए काफ़ी थ

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हाफ़िज़ हुसैन दीन

9 अप्रैल 2022
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हाफ़िज़ हुसैन दीन जो दोनों आँखों से अंधा था, ज़फ़र शाह के घर में आया। पटियाले का एक दोस्त रमज़ान अली था, जिस ने ज़फ़र शाह से उस का तआरुफ़ कराया। वो हाफ़िज़ साहिब से मिल कर बहुत मुतअस्सिर हुआ। गो उन की

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संतर पंच

9 अप्रैल 2022
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मैं लाहौर के एक स्टूडियो में मुलाज़िम हुआ जिस का मालिक मेरा बंबई का दोस्त था उस ने मेरा इस्तिक़बाल क्या मैं उस की गाड़ी में स्टूडियो पहुंचा था बग़लगीर होने के बाद उस ने अपनी शराफ़त भरी मोंछों को जो ग़ालिबन

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शैदा

9 अप्रैल 2022
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शैदे के मुतअल्लिक़ अमृतसर में ये मशहूर था कि वो चट्टान से भी टक्कर ले सकता है उस में बला की फुर्ती और ताक़त थी गो तन-ओ-तोश के लिहाज़ से वो एक कमज़ोर इंसान दिखाई देता था लेकिन अमृतसर के सारे गुंडे उस से ख़ौ

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राम खेलावन

9 अप्रैल 2022
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खटमल मारने के बाद में ट्रंक में पुराने काग़ज़ात देख रहा था कि सईद भाई जान की तस्वीर मिल गई। मेज़ पर एक ख़ाली फ़्रेम पड़ा था....... मैंने इस तस्वीर से उस को पुर कर दिया और कुर्सी पर बैठ कर धोबी का इंतिज़ार

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रहमत-ए-खुदा-वंदी के फूल

9 अप्रैल 2022
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ज़मींदार, अख़बार में जब डाक्टर राथर पर रहमत-ए-ख़ुदा-वंदी के फूल बरसते थे तो यार दोस्तों ने ग़ुलाम रसूल का नाम डाक्टर राथर रख दिया। मालूम नहीं क्यूँ, इस लिए कि ग़ुलाम रसूल को डाक्टर राथर से कोई निसबत नह

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मिस फ़र्या

9 अप्रैल 2022
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शादी के एक महीने बाद सुहेल परेशान होगया। उस की रातों की नींद और दिन का चैन हराम हो गया। उस का ख़याल था कि बच्चा कम अज़ कम तीन साल के बाद पैदा होगा मगर अब एक दम ये मालूम करके उस के पांव तले की ज़मीन निक

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मिस अडना जैक्सन

9 अप्रैल 2022
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कॉलिज की पुरानी प्रिंसिपल के तबादले का एलान हुआ, तालिबात ने बड़ा शोर मचाया। वो नहीं चाहती थीं कि उन की महबूब प्रिंसिपल उन के कॉलेज से कहीं और चली जाये। बड़ा एहतिजाज हुआ। यहाँ तक कि चंद लड़कियों ने भूक हड़

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बुड्ढ़ा खूसट

9 अप्रैल 2022
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ये जंग-ए-अज़ीम के ख़ातमे के बाद की बात है जब मेरा अज़ीज़ तरीन दोस्त लैफ़्टीनैंट कर्नल मोहम्मद सलीम शेख़ (अब) ईरान इराक़ और दूसरे महाज़ों से होता हुआ बमबई पहुंचा। उस को अच्छी तरह मालूम था, मेरा फ़्लैट कहाँ ह

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शह नशीं पर

9 अप्रैल 2022
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वो सफ़ैद सलमा लगी साड़ी में शह-नशीन पर आई और ऐसा मालूम हुआ कि किसी ने नक़रई तारों वाला अनार छोड़ दिया है। साड़ी के थिरकते हूए रेशमी कपड़े पर जब जगह जगह सलमा का काम टिमटिमाने लगता तो मुझे जिस्म पर वो तमाम

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चुग़द

9 अप्रैल 2022
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लड़कों और लड़कियों के मआशिक़ों का ज़िक्र हो रहा था। प्रकाश जो बहुत देर से ख़ामोश बैठा अंदर ही अंदर बहुत शिद्दत से सोच रहा था, एक दम फट पड़ा। सब बकवास है, सौ में से निन्नानवे मआशिक़े निहायत ही भोंडे और लचर

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