Motivational Stories by Jaya Sharma ‘प्रियंवदा’
शिक्षित और सांस्कृतिक परिवेश में परवरिश होने के कारण अपने मनोभाव को लिखने पढने की पसन्द बचपन से ही अंकुरित हो गई ।
कहानियों का एक छोटा सा सफर
हर चेहरा कुछ कहता है और हर कोई अनेकों किरदार बखूबी निभाने की कला जानता है ।
कहानियों का एक छोटा सा सफर
हर चेहरा कुछ कहता है और हर कोई अनेकों किरदार बखूबी निभाने की कला जानता है ।
हम और हमारे अहसास
हमारे आंगन की शान रही चारपाई ,शान चारपाई से नहीं उस पर बैठी हमारी अम्माजी से बढ़ती थी। 95 साल की उम्र में भी अम्माजी को दिनभर बिस्तर पर लेटे पड़े रहना पसंद ना था ,और ना ही दिन भर अपने बिस्तर बिछे रहने देती । अरे हां सच में आज की तरह दिनभर बिस्तर बिछे
हम और हमारे अहसास
हमारे आंगन की शान रही चारपाई ,शान चारपाई से नहीं उस पर बैठी हमारी अम्माजी से बढ़ती थी। 95 साल की उम्र में भी अम्माजी को दिनभर बिस्तर पर लेटे पड़े रहना पसंद ना था ,और ना ही दिन भर अपने बिस्तर बिछे रहने देती । अरे हां सच में आज की तरह दिनभर बिस्तर बिछे
एक छोटा सा सफर कहानियों के साथ
हर चेहरे के पीछे कोई न कोई कहानी होती ही है, कभी कभी किसी की याद गुदगुदा कर मुस्कुराती है तो कभी किसी की यादें माथे की लकीरों को बढा देती है, हर चेहरा बहुत कुछ यादों की खिड़की से अपने भीतर झांकता सा महसूस होता है । कुछ इधर उधर के मनोभावों को शब्दों स
एक छोटा सा सफर कहानियों के साथ
हर चेहरे के पीछे कोई न कोई कहानी होती ही है, कभी कभी किसी की याद गुदगुदा कर मुस्कुराती है तो कभी किसी की यादें माथे की लकीरों को बढा देती है, हर चेहरा बहुत कुछ यादों की खिड़की से अपने भीतर झांकता सा महसूस होता है । कुछ इधर उधर के मनोभावों को शब्दों स