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मेरी पहली किताब

Mr. Kumar Shrawan

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बात उस समय की है जब हर तरफ से हरा हुआ एक आदमी की एक समय की बात है एक व्यक्ति अपने छोटे से गांव में रहता था। वह अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी के लिए प्रयास करने लगा, लेकिन उसको क्या पता था कि उसको इतने प्रयासों के बाद भी अभी तक नौकरी नहीं मिली थी। उसकी हमेशा से ही एक अलग ही सोच थी। हर लोगों की मदद करने की लेकिन व लोगों का मदद करने से पहले अपना एक मुकाम हासिल करना चाहता था ताकि वह हर जरूरत मंद लोगों का मदद कर सके। लेकिन होना क्या था वह वही जो मंजूरे खुदा था उसकी इच्छा इच्छा ही बन के रह गई और वह ना तो एक अभी तक कोई अच्छा मुकाम हासिल कर पाया और ना ही किसी जरूरतमंद का मदद कर पाया लेकिन एक दिन अचानक उसको एक कॉल आया और मदद के लिए कहने लगा लेकिन वह व्यक्ति घबरा गया और तुरंत फोन रख दिया और फिर सोचने लगा कि क्या करें फिर बहुत सोचने के बाद उसने उसकी मदद करने की इच्छा जताई जब तक वह उसकी मदद के लिए पहुंचता तब तक बहुत देर हो चुकी थी उसने उसके पास पहुंचने मैं देर कर दी और उसकी मौत हो गई उस व्यक्ति को यह पता ही नहीं था उसकी सोचने की वजह से किसी की मौत हो गई लेकिन उसे अफसोस तो तब हुआ जब पता चला उसे कि जिसकी मौत हो गई वह कोई और नहीं उसका अपना ही व्यक्ति था। यह जान के उसके पैरों तले जमीन खिसक गई जो लड़का किसी का बुरा नहीं चाहता था कभी। उसकी वजह से उसके अपनों का मौत हो गया वह जरा सा देरी नहीं करता तो उसकी जान बच सकती थी। यह उस आदमी का पहला टर्निंग पॉइंट था अपनी जिंदगी का जिसका उसको सामना करना था आप भी ऐसा ही हुआ उसने ठीक वैसा ही किया उसे फेस करते हुए काफी दिन बीत गए हैं इस हादसे को वह फिर से अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने लगा और अब जब भी कभी किसी को जरूरत होती है वह सोचता नहीं ना देरी करता तुरंत पहुंच जाता अब उसकी लाइफ बिल्कुल ही बदल चुकी थी लेकिन उधर जिसकी मौत हुई थी उसका परिवार में कोई नहीं था और वे लोग उस व्यक्ति को ही जिम्मेदार मानने लगे उसे एक नफरत की भाती देखने लगे वह आदमी परिवार से कैसा संबंध रखता था और वह परिवार कौन था उस आदमी का जो उन्हें मौत का जिम्मेदार मानता था यह जानने के लिए मेरी अगली पार्ट का इंतजार करें जल्दी आपको उपलब्ध कराएंगे । 

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