केवल
शोभा की सृष्टि करो,
चाँदनी की अलकों में
स्वप्नों का नीड़
बसा कर ।
केवल
प्यार की वृद्धि करो,
सांस लेती हिलोरों पर
हेम गौर हंस मिथुन
सटा कर ।
केवल
आनंद अमृत पिलाओ,
वासंती आग के दोने
किसलय पुटों का
गंधोच्छवास पिला कर ।
केवल
चंपई चैतन्य में डुबाओ,
तन्मयता के सुनहले अतल में
स्वप्न हीन सुख में मग्न कर ।