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पटकथा लेखक एवँ गीतकार

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बदलाव प्रकृति का नियम है ।

21 दिसम्बर 2016
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अगर आप जीवन में लगातार सफल बने रहना चाहते हैं,तो समय के अनुसार, स्थिति के अनुसार और जनरेशन के अनुसार अपने आपको बदलते रहिए,,स्वयं को अपडेट करते रहिए !क्योंकि जो समय के अनुसार बदलता नही हैवह उससे प्रतिस्पर्धा रखने वालों में कमजोर समझा जाता है और वह वैल्यूएबल नही रह पाता है ।उसके प्रतिस्पर्धी उसके बराब

सपनों की गठरी

15 दिसम्बर 2016
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खुद को मैं खुद मेंखोज रहा हूँ आजकल मालूम हुआ कि मुझमें मैं बाकी हूँ अभी.....बैठकर अकेलासोचता हूँ अतीत को...और बह निकलता है इकआँसूओं का सैलाब जो भिगो देता है...मेरे टूटे हुए सपनों को..और फिर झपक जाती हैंवो गीली आँखे नये सपने बुनने के लिए...!फिर मैं निकल पड़ता हूँ..भोर होते ही घर सेअपने सपनों कीगठरी बा

"कर्म कुरू फलस्य चिंता मां कुरू"

20 अक्टूबर 2016
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दोस्तों किस्मत के भरोसे बैठे रहने वालों को मैंने दर दर भटकते देखा है ।बेहतर होगा कि हम कर्म प्रधान बनें ……गीता में भी कहा गया है“कर्म कुरू फलस्य चिंता मां कुरू”अर्थात कर्म करें, फल की चिंता ना करें ।आपके जितने अच्छे कर्म होंगे उतना ही अच्छा परिणाम मिलेगा……अपनी मुसीबतों के सामने समर्पण ना करें । उनसे

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