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राग दरबारी

पंडित श्री लाल शुक्ल

15 अध्याय
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6 पाठक
28 जुलाई 2022 को पूर्ण की गई
निःशुल्क

श्रीलाल शुक्ल जी का राग दरबारी एक ऐसा उपन्यास है जो गांव की कथा के माध्यम से आधुनिक भारतीय जीवन की मूल्यहीनता अनावृत करता है। उनका सबसे लोकप्रिय उपन्यास राग दरबारी 1968 में छपा। राग दरबारी का पन्द्रह भारतीय भाषाओं के अलावा अंग्रेजी में भी अनुवाद प्रकाशित हुआ। राग दरबारी’ श्रीलाल शुक्ल का आखिरी उपन्यास था। फिर भी राग दरबारी व्यंग्य-कथा नहीं है। इसका समबन्ध एक नगर से कुछ दूर बसे हुए गांव की ज़िन्दगी ने वर्षो की प्रगति और विकास के नारों के बावजूद निहित स्वार्थो और अनेक अवांक्षनीय तत्वों के सामने ज़िन्दगी के दस्तावेज़ हैं। १९६८ में राग दरबारी प्रकाशन एक महत्वपूर्ण साहित्यिक घटना थी। १९७० में इसे साहित्य अकादमी पुरस्कृत किया गया और १९८६ में एक दूरदर्शन-धारावाहिक के रूप में इसे लाखो दर्शको की सराहना प्राप्त हुई। 

rag darbari

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पुस्तक के भाग

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राग दरबारी भाग 1

26 जुलाई 2022
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जाना रंगनाथ का शिवपालगंज शहर का किनारा। उसे छोड़ते ही भारतीय देहात का महासागर शुरू हो जाता था। हमें एक अच्छा रेजर-ब्लेड बनाने का नुस्ख़ा भले ही न मालूम हो, पर कूड़े को स्वादिष्ट खाद्य पदार्थों में ब

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भाग 2

26 जुलाई 2022
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थाना शिवपालगंज में एक आदमी ने हाथ जोड़कर दरोगाजी से कहा, "आजकल होते-होते कई महीने बीत गये। अब हुजूर हमारा चालान करने में देर ना करें।" मध्यकाल का कोई सिंहासन रहा होगा जो अब घिसकर आरामकुर्सी बन गया था

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भाग 3

26 जुलाई 2022
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दो बड़े और छोटे कमरों का एक डाकबँगला था जिसे डिस्ट्रिक्ट बोर्ड ने छोड़ दिया था। उसके तीन ओर कच्ची दीवारों पर छ्प्पर डालकर कुछ अस्तबल बनाये गये थे। अस्तबलों से कुछ दूरी पर पक्की ईंटों की दीवार पर टिन ड

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भाग 4

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कुछ घूरे, घूरों से भी बदतर दुकानें, तहसील, थाना, ताड़ीघर, विकास-खण्ड का दफ्तर, शराबख़ाना, कालिज-सड़क से निकल जाने वाले को लगभग इतना ही दिखाई देता था। कुछ दूर आगे एक घनी अमराई में बनी हुई एक कच्ची कोठर

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भाग 5

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पुनर्जन्म के सिद्धांत की ईजाद दीवानी की अदालतों में हुई है, ताकि वादी और प्रतिवादी इस अफ़सोस को लेकर मर सकते हैं कि मुक़दमे का फ़ैसला सुनने के लिए अभी अगला जन्म तो पड़ा ही है। पुनर्जन्म के सिद्धांत क

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भाग 6

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शहर से देहात को जानेवाली सड़क पर एक साइकिल-रिक्शा चला जा रहा था। रिक्शावाला रंगीन बनियान, हाफपैण्ट, लम्बे बाल, दुबले पतले जिस्मवाला नौजवान था। उसका पसीने से लथपथ चेहरा देखकर वेदना का फोटोग्राफ़ नही,बल

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भाग 7

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पुरुष बली नहिं होत है...  छत के ऊपर एक कमरा था जो हमेशा संयुक्त परिवार के पाठ्य पुस्तक जैसा खुला पड़ा रहता था। कोने मे रखी हुई मुगदरो की जोड़ी इस बात का ऐलान करती थी कि सरकारी तौर पर यह कमरा बद्री पह

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भाग 8

26 जुलाई 2022
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शिवपालगंज गॉंव था, पर वह शहर से नजदीक और सड़क के किनारे था। इसलिए बड़े बड़े नेताओं और अफसरों को वहॉं तक आने में सैद्धान्तिक एतराज नहीं हो सकता था। कुओं के अलावा वहॉं कुछ हैण्डपम्प भी लगे थे, इसलिए बाह

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भाग 10

26 जुलाई 2022
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छंगामल विद्यालय इण्टर कालेज की स्थापना 'देश के नव-नागरिकों को महान आदर्शो की ओर प्रेरित करने एवं उन्हें उत्तम शिक्षा देकर राष्ट्र का उत्थान करने हेतु' हुई थी। कालिज का चमकीले नारंगी कागज पर छपा हुआ 'स

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भाग 11

26 जुलाई 2022
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वह एक प्रेम पत्र था  तहसील का मुख्यालय होने के बावजूद शिवपालगंज इतना बड़ा गाँव न था कि उसे टाउन एरिया होने का हक मिलता। शिवपालगंज में एक गाँव सभा थी और गाँववाले उसे गाँव-सभा ही बनाये रखना चाहते थे ता

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भाग 12

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यह पालिसी इन्सानियत के खिलाफ़ है  छत पर कमरे के सामने टीन पड़ी थी। टीन के नीचे रंगनाथ था। रंगनाथ के नीचे चारपाई थी। दिन के दस बजे थे। अब आप मौसम का हाल सुनिए। कल रात को बादल दिखायी दिये थे, वे अब तक

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भाग 9

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 न उखड़ने वाला गवाह कोऑपरेटिव यूनियन का गबन बड़े ही सीधे-सादे ढ़ंग से हुआ था। सैकड़ों की संख्या में रोज होते रहनेवाले ग़बनों की अपेक्षा इसका यही सौन्दर्य था कि यह शुद्ध गबन था, इसमें ज्यादा घुमाव-फिर

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भाग 13

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 वह एक प्रेम पत्र था  तहसील का मुख्यालय होने के बावजूद शिवपालगंज इतना बड़ा गाँव न था कि उसे टाउन एरिया होने का हक मिलता। शिवपालगंज में एक गाँव सभा थी और गाँववाले उसे गाँव-सभा ही बनाये रखना चाहते थे त

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भाग 14

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कार्तिक-पूर्णिमा को शिवपालगंज से लगभग पाँच मील की दूरी पर एक मेला लगता है। वहाँ जंगल है, एक टीला है, उस पर देवी का एक मन्दिर है और चारों ओर बिखरी हई किसी पुरानी इमारत की ईंटें हैं । जंगल में करौंदे, म

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भाग 15

26 जुलाई 2022
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छोटे पहलवान ने कहा, "हमें दर्शन-वर्शन नहीं करना है। यहाँ तो, बस, लाल लँगोटेवाले की गुलामी करते हैं, और जितने देवी-देवता हैं उनको भूसा समझते हैं।" बहस इस पर हो रही थी कि पहले मन्दिर में देवी का दर्शन

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