दुष्यंत कुमार का जन्म उत्तर प्रदेश में बिजनौर जनपद की तहसील नजीबाबाद के ग्राम राजपुर नवादा में हुआ था। जिस समय दुष्यंत कुमार ने साहित्य की दुनिया में अपने कदम रखे उस समय भोपाल के दो प्रगतिशील शायरों ताज भोपाली तथा क़ैफ़ भोपाली का ग़ज़लों की दुनिया प
मैंने अपने इस उपन्यास में औरत के अहंकार से होने वाली पारिवारिक तबाही को दर्शाने की कोशिश की है औरत अहंकार में आकर दूसरों के साथ साथ अपना भी जीवन बर्बाद कर लेती है पर इसका अहसास उसे बहुत बाद में होता है तब कुछ नहीं किया जा सकता सिवाय पश्चाताप के
ये कहानी एक लड़की आएशा की है, जिसका पूर्णजनम हुआ है, उसे पिछड़े जन्म की कुछ धुंधली तस्वीरें दिखती है कैसे आएशा पिछड़े जन्म का राज जान पाएगी, इस जन्म में जो उसे मिले है, कैसे उनका रिश्ता आएशा के पिछड़े जन्म से होता है जानने के लिए पढ़ते रहिए दो चेहरे
संजीव और हंसा कैसी विरोधाभास स्थिति में मिलते है...जहाँ प्रेम होकर भी नहीं मिलता...क्या होगा आखिर उनके जीवन में !! क्या संजीव का अवसाद उनका रिश्ता निगल जाएगा !! क्या विपरीत परिस्थिति संजीव को तोड़ देंगी !! जानने के लिए पढ़े पुरुष विमर्श को बयाँ करती अ
एक रहस्य भरी कहानी
दूर रहते हुए भी नज़दीकियों को कैसे जीना है यही प्रेम है और इसे हम सोमांकित नामक इस पुस्तक में हम जानेंगे। ये एक सच्ची घटना है जिसमें राज्यों में विभिन्नता होने के बावजूद फिर भी दोनों में इतना प्यार है कि मानो दोनों 1135 किलोमीटर की दूरियाँ खत्म कर साथ
हमारे कुछ पॉइंट्स होते हैं ,जो हर एक काम के लिए जिम्मेवार होते हैं ! इन पॉइंट्स को यदि संतुलित ऊर्जा मिले तो हमारा जीवन आसान हो जाता हैं ! जैसे धन के लिए रुट चक्र होता हैं ! नौकरी में स्थाई न होना ,जॉब न होना, धन का सुरक्षित न होना यह सब इस चक्र
शब्द.इन द्वारा दिये गये विषयों पर मेरे विचारों का संगम इस पुस्तक के माध्यम से रचित किया जायेगा जो समाज में घटित वर्तमान, भविष्य और अतीत की घटनाओं को संदर्भित करके किया जायेगा। आप मेरे विचारों को पढ़कर समीक्षा करें और मुझे भविष्य में प्रेरित करें।
यह किताब कोई बाजार में बेचनें के लिए नहीं लिखी गई है | किताब के जरिये मैं बस आप लोगों से जुड़ना चाहता हूँ | मेरा मानना ( यें सिर्फ मेरे विचार है, इनसे किसी को कष्ट हो तो छोटा समझ के माफ कर देंना ) है कि अल्फाजों की कोई कीमत नहीं लगाई जा सकती है, ये भ
ओशो अपनी किताब ध्यान योग, प्रथम और अंतिम मुक्ति में कहते हैं कि 'ध्यानयोग प्रथम और अंतिम मुक्ति' ओशो द्वारा सृजित अनेक ध्यान विधियों का विस्तृत व प्रायोगिक विवरण है। ध्यान में कुछ अनिवार्य तत्व हैः विधि कोई भी हो, वे अनिवार्य तत्व हर विधि के लिए आवष
आधुनिक युग मेंं जहां आदमी काम के बोझ से अपनी जिंदगी जी नहीं पाता और जहां प्यार मुहब्बत के लिए कोई जगह नहीं । शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये नित नया मर्द या लड़की मिल जाये और वीकेंड पर एक शानदार पार्टी हो जाये । समाज में बड़ा नाम, प्रतिष्ठा और पैस
मेरी 1970 की रचनाएँ इस पुस्तक में संग्रहित की गयी है। उस काल में मैं दशवीं कक्षा में पढता था। दशम कक्षा में मैं एक हस्त निर्मित कापी में अपनी कविताएँ फेअर करके लिखता था और वह सहेज के रखी हुई कापी इस समय लगभग 70 वर्ष की अवस्था में मेरे बहुत काम आई। उस
यह एक कविता संग्रह है जिसमे कवि ने खुदा से प्राथना की है ।उसके मन में जो प्रश्न चिन्ह है वह उनका उत्तर खुदा से चाहता है। इस कविता में कवि ने अपने व्यक्तिगत प्रेम को शामिल किया है जो की तार्किक व हकीकत का प्रेम है जो एक गहरा अर्थ रखता है व अन्य प्रश्न
मेरे बचपन के दोस्त पराशर जो उक्त घटना के शिकार हुए ।जो खेल डॉक्टरों ने नामी-गिरामी अस्पताल मैं उनके साथ खेला। उनके परिवार के साथ दरपेश आए ।वह मेरा दोस्त ही नहीं था। बड़ा भाई था ।जिगर का टुकड़ा था। और उस इंसान के साथ अस्पताल के डॉक्टरों ने, डॉक्टरों
‘साये में धूप’ या दुष्यंत कुमार आज आधुनिक हिन्दी ग़ज़ल में पर्याय सरीखे हो चुके हैं। कालजयी कृति, सौ पचास साल बाद बने या लेखक रचयिता के जीवनकाल में ही बहुचर्चित हो जाये, इसका निर्णय पाठक-समाज करता है। मंच से ओझल हो रही हिन्दी कविता अथवा गीत विधा से आग
स्वामी विवेकानंद के विचार आज के इस आधुनिक युग में प्रेरणा का एक ऐसा स्त्रोत हैं जो निराशा से भरे जीवन में आशा की एक नदी बहाते हैं। उनके ओजस्वी भाषण, उनके द्वारा दिए गए प्रेरणादाई उपदेश जीवन में आगे बढ़ने के लिए और जीवन में सफलता हासिल करने में सहायता
प्रेमचंद आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह और उपन्यास सम्राट माने जाते हैं। यों तो उनके साहित्यिक जीवन का आरंभ १९०१ से हो चुका था पर बीस वर्षों की इस अवधि में उनकी कहानियों के अनेक रंग देखने को मिलते हैं। गोदान एक शोषित किसान और ग्रामीण जीवन पर आधारित उन
एक रूप में ज्ञानयोगी व्यक्ति ज्ञान द्वारा ईश्वरप्राप्ति मार्ग में प्रेरित होता है। स्वामी विवेकानंद द्वारा रचित ज्ञानयोग में मायावाद,मनुष्य का यथार्थ व प्रकृत स्वरूप,माया और मुक्ति,ब्रह्म और जगत, अंतर्जगत, बहिर्जगत, बहुतत्व में एकत्व, ब्रह्म दर्शन,आ
सौ में एक मेरी कविता शाहीन बाग दिल्ली कुछ कहती है मेरा दूसरा कविता-संग्रह है. जिसमें 100 कविताएं ली गयी हैं. मेरा पहला कविता संग्रह 2019 में आधी-दुनिया प्रकाशित हो चुका है. कविता मेरे लिए एक फोटोग्राफी की तरह है-जिसमें हमारे आसपास जो घटित हो रहा है