एक रूप में ज्ञानयोगी व्यक्ति ज्ञान द्वारा ईश्वरप्राप्ति मार्ग में प्रेरित होता है। स्वामी विवेकानंद द्वारा रचित ज्ञानयोग में मायावाद,मनुष्य का यथार्थ व प्रकृत स्वरूप,माया और मुक्ति,ब्रह्म और जगत, अंतर्जगत, बहिर्जगत, बहुतत्व में एकत्व, ब्रह्म दर्शन,आ
धरोहर एक किस्सा संग्रह है। पहले गांव में लाइट नहीं होती थी तो ढ़लते सूरज की छांव में ही भोजन कर लिया जाता था और अंधेरा होते होते सब सोने की तैयारी करने लगते थे तब शुरू होता था किस्सों का सिलसिला। उस समय यही मनोरंजन का साधन हुआ करते थे। किस्सों में उन
मैंने अपने इस उपन्यास में औरत के अहंकार से होने वाली पारिवारिक तबाही को दर्शाने की कोशिश की है औरत अहंकार में आकर दूसरों के साथ साथ अपना भी जीवन बर्बाद कर लेती है पर इसका अहसास उसे बहुत बाद में होता है तब कुछ नहीं किया जा सकता सिवाय पश्चाताप के
स्वामी विवेकानंद के विचार आज के इस आधुनिक युग में प्रेरणा का एक ऐसा स्त्रोत हैं जो निराशा से भरे जीवन में आशा की एक नदी बहाते हैं। उनके ओजस्वी भाषण, उनके द्वारा दिए गए प्रेरणादाई उपदेश जीवन में आगे बढ़ने के लिए और जीवन में सफलता हासिल करने में सहायता
'सीधे साधे चित्र' सुभद्रा कुमारी चौहान का तीसरा व अंतिम कथा संग्रह है। इसमें कुल १४ कहानियां हैं। रूपा, कैलाशी नानी, बिआल्हा, कल्याणी, दो साथी, प्रोफेसर मित्रा, दुराचारी व मंगला - ८ कहानियों की कथावस्तु नारी प्रधान पारिवारिक सामाजिक समस्यायें हैं।
मेरे बचपन के दोस्त पराशर जो उक्त घटना के शिकार हुए ।जो खेल डॉक्टरों ने नामी-गिरामी अस्पताल मैं उनके साथ खेला। उनके परिवार के साथ दरपेश आए ।वह मेरा दोस्त ही नहीं था। बड़ा भाई था ।जिगर का टुकड़ा था। और उस इंसान के साथ अस्पताल के डॉक्टरों ने, डॉक्टरों
फणीश्वरनाथ रेणु भारत वर्ष के साहिया समाज के बहुत ही जाने माने कविकार और कहानीकार थे| उनके लेखन ने बहुत से लोगो को मनोरंजित किया है| उनका जन्म 4 मार्च 1921 को बिहार के अररिया में हुआ था| उन्होंने अपने साहित्य जीवन में बहुत से उपन्यासों को सराया गया| उ
यह एक कविता संग्रह है जिसमे कवि ने खुदा से प्राथना की है ।उसके मन में जो प्रश्न चिन्ह है वह उनका उत्तर खुदा से चाहता है। इस कविता में कवि ने अपने व्यक्तिगत प्रेम को शामिल किया है जो की तार्किक व हकीकत का प्रेम है जो एक गहरा अर्थ रखता है व अन्य प्रश्न
ये पुस्तक मेरी कहानियों का प्रथम संग्रह है, जीवन;...मृत्यु; के बिच जो एक बहती हुई अनंत रेषा होती है इसके बारे मे भी ये कहानियां कुछ बोलती है। ये कोई मत, उपदेश, या किसी भी तरह का तत्वज्ञान नहीं ये सिर्फ बोलना है। कुछ पात्र आती हुई मुश्क़िलों का सामना
आधुनिक युग मेंं जहां आदमी काम के बोझ से अपनी जिंदगी जी नहीं पाता और जहां प्यार मुहब्बत के लिए कोई जगह नहीं । शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये नित नया मर्द या लड़की मिल जाये और वीकेंड पर एक शानदार पार्टी हो जाये । समाज में बड़ा नाम, प्रतिष्ठा और पैस
प्रेम से बड़ी आग नहीं है दुनिया में, प्रेम है अकेला जो आत्मा को जलाता है और निखारता है 'प्रेम - पंथ ऐसो कठिन' ओशो के प्रश्नोत्तर प्रवचनों का अद्भुत संकलन है यह। इस में प्रेम पर विस्तृत चर्चा की गई है। प्रेम को ओशो निर्मोही मानते हैं। प्रेम न तो कब्जा
शब्द.इन द्वारा दिये गये विषयों पर मेरे विचारों का संगम इस पुस्तक के माध्यम से रचित किया जायेगा जो समाज में घटित वर्तमान, भविष्य और अतीत की घटनाओं को संदर्भित करके किया जायेगा। आप मेरे विचारों को पढ़कर समीक्षा करें और मुझे भविष्य में प्रेरित करें।
ओशो अपनी किताब ध्यान योग, प्रथम और अंतिम मुक्ति में कहते हैं कि 'ध्यानयोग प्रथम और अंतिम मुक्ति' ओशो द्वारा सृजित अनेक ध्यान विधियों का विस्तृत व प्रायोगिक विवरण है। ध्यान में कुछ अनिवार्य तत्व हैः विधि कोई भी हो, वे अनिवार्य तत्व हर विधि के लिए आवष
दूर रहते हुए भी नज़दीकियों को कैसे जीना है यही प्रेम है और इसे हम सोमांकित नामक इस पुस्तक में हम जानेंगे। ये एक सच्ची घटना है जिसमें राज्यों में विभिन्नता होने के बावजूद फिर भी दोनों में इतना प्यार है कि मानो दोनों 1135 किलोमीटर की दूरियाँ खत्म कर साथ
इसके माध्यम से मैं मेरे जीवन की उन यादों का अपने शब्दों के माध्यम से रचित करना चाह रहा हूं जो मुझे मेरी जिंदगी में हल्की हल्की सी याद आती है। जब उन संस्कारों के खिलाफ कुछ भी होता है तो मुझे उन पलों की यादें आने लगती है और मैं उन समय के लोगों को याद क
सोने की चिड़िया था कभी , उन्मुक्त हवाओं का था बसेरा , नारी की जहाँ होती थी पूजा , ऐसी पावन भूमि का देश था मेरा ! हम तन से तो आज़ाद हुए है , पर मन और विचारों से अब भी है गुलाम ! जब यहाँ मानवता , भाईचारा और सौहार्द्र होगा , जब नारी का यहाँ सम्मान ह
उलझनें रिश्तों को कमजोर कर देती हैं लेकिन ये होती क्यों है इस पर गौर करें तो बात एक दूसरे को समझने और अपनी बात समझाने पर आकर रूक जाती है,,, अच्छे खासे रिश्ते एक छोटी सी गलतफहमी पर टूट जाते हैं टूटने और बिखरने का सफर इतना दर्दनाक होता है कि कई बार
ये कहानी एक लड़की आएशा की है, जिसका पूर्णजनम हुआ है, उसे पिछड़े जन्म की कुछ धुंधली तस्वीरें दिखती है कैसे आएशा पिछड़े जन्म का राज जान पाएगी, इस जन्म में जो उसे मिले है, कैसे उनका रिश्ता आएशा के पिछड़े जन्म से होता है जानने के लिए पढ़ते रहिए दो चेहरे
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आखिर यह रामायण है क्या? इससे क्या सीखना है? इसका मनन क्यों करें? राजा दशरथ का अंजाने में श्रवण कुमार की हत्या करना, उनका श्रापित होना, कैकेयी का वचन, राजा दशरथ का अपने प्रिय पुत्र का मरणासन्न वियोग, राम का 14 साल का वनवास, लक्ष्मण का भाई प्रेम, उ