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पर्यावरण और शहर

4 मई 2022

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शहरीकरण ने हमारे पर्यावरण को नष्ट कर दिया है। ऊंची ऊंची बिल्डिंग बनाने के जुनून ने पेड़ों को मोती के घाट उतार दिया है। बढ़ती जनसंख्या और उनके बढ़ते अरमान का भुगतान हमारे पेड़ कर रहे हैं। 

ऐसी ही एक कहानी के माध्यम से इस समस्या की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहती हूं। 

प्रणय बहुत सालों बाद अपने परिवार को लेकर दिल्ली आया था। उसका बचपन दिल्ली में ही गुज़रा था। दिल्ली आते ही बचपन की यादें ताज़ा हो गई। प्रणय ने अपने बच्चों को दिल्ली की सारी ऐतिहासिक इमारतें घुमाईं। होटल वापस आकर जब वह थककर बैठा तो उसका बेटा विकास बोला, " पापा आप जहां रहते थे वहां हमें भी लेकर चलिए। मैं भी देखना चाहता हूं कि बचपन में आप कहां रहते थे।"
" हां" पिया भी उछलती हुई बोली।" 
" ठीक है। कल चलेंगे।" प्रणय ने कहा।

रात को प्रणय अपने बचपन के घर के बारे में सोचता रहा। कितनी यादें जुड़ी थीं उस घर से। तभी उसे याद आया कि उसके घर से कुछ दूरी पर एक जंगल था। उस जंगल में तरह-तरह के पेड़ थे। पर बरगद के पेड़ ज्यादा थे। उन अनेकों बरगद के पेड़ों में से एक बरगद का पेड़ उसे बहुत प्रिय था। बचपन की उन यादों में उस  पेड़ की एक  ख़ास भूमिका थी। उसे याद आया कि जब भी उसकी अपने भाई से लड़ाई हो जाती थी तो वह रूठ कर उस बरगद के पेड़ के नीचे आकर बैठ जाता था। फिर मां उसे मनाने के लिए वहां आती थीं।
बहुत बार जब उसके घर पर पेपरों के समय पर मेहमान आ जाते थे । तब वह बरगद  के पेड़ के नीचे जाकर ही पढ़ाई करता था। और पेड़ की छाया में बैठकर पढ़ना कितना अच्छा लगता था। जंगल का वह वातावरण कितना शांत था। पक्षियों के चहचहाने की आवाज़ें आती रहती थीं।‌
कभी - कभी वह बरगद के पेड़ के नीचे बैठ कर घंटों उन पक्षियों की आवाजें सुनता रहता था। 
प्रणय  का घर जंगल के थोड़ा नज़दीक था इसलिए उसके घर के आसपास ज़्याद घर नहीं थे। इसलिए उसके दोस्त भी ना के बराबर थे। वह रोज़ शाम को जंगल जाता था और कितनी बार बरगद के पेड़ से बातें करता उसे अपने पूरे दिन की बातें बताता। प्रणय को याद आया कि कैसे उसने क्रिकेट की प्रेक्टिस भी बरगद के पेड़ के नीचे ही की थी।

प्रणय शर्म से लाल हो गया जब उसे याद आया कि उसको जब पहली बार एक लड़की पसंद आई थी तो वह भागता हुआ जंगल आया और बरगद के पेड़ से जाकर लिपट गया और उसे उस लड़की के बारे में बताया। और वह कैसे भूल सकता है कि उसी बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर उसने अपना पहला प्रेम पत्र लिखा था। लिखने के बाद ज़ोर - ज़ोर से उसने पेड़ को पढ़कर सुनाया था।

वह उस पेड़ से इतना प्यार करता था कि उसने उसके तने पर खूबसूरत लिखावट में ' मेरा प्यारा मित्र ' लिख दिया।
उसने अपने बचपन की हर शरारत, हर मस्ती, हर जीता हुआ पुरस्कार सब उस पेड़ के साथ साझा किया था। 
दसवीं पास करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए उसका दाखिला बड़े स्कूल में कराया गया। प्रणय को आज भी याद है कि वह अपने प्रिय पेड़ से लिपट कर कितना रोया था। 
वह जब भी अपने घर आता तो जंगल में उस पेड़ से मिलने ज़रूर जाता।
फिर उसका दाखिला मुम्बई के इंजीनियरिंग कॉलेज में हो गया। घर आना-जाना कम हो गया। और पढ़ाई फिर नौकरी के चलते उस पेड़ की यादें कम और फिर खत्म हो गई। कुछ साल बाद उसके माता-पिता ने वह घर बेच दिया और उसके साथ मुम्बई में आकर बस गए। उस घर, उस जंगल से उसका नाता ही खत्म हो गया।

जंगल की उन यादों ने उसको भावविभोर कर दिया। उसे खुशी थी कि वह कल अपने बचपन के घर और अपने बचपन के दोस्त से मिलने जाएगा।

अगले दिन वह अपने बेटे और बेटी को लेकर अपने पुराने घर की ओर चल दिया। जब वह वहां पहुंचा तो उसकी आंखों को विश्वास नहीं हुआ। उसका वह छोटा सा घर कहीं था ही नहीं। उसकी जगह चार माले का एक खूबसूरत बंगला खड़ा था। वह उस बंगले को देखता ही रह गया। उसने आस पास नज़र दौड़ाई तो देखा कि खेतों की जगह हर तरफ छोटे बड़े बंगले बने हुए थे। तभी उसकी बेटी बोली, "पापा, वाह! आप यहां रहते थे!"
" अरे! नहीं बेटा! मेरा तो छोटा सा घर था। " प्रणय बोला और हंसने लगा।
"आप हंस क्यों रहे हो पापा?" उसका बेटा बोला।
" बेटा आज करीब पच्चीस साल बाद दिल्ली आया हूं। कुछ साल पहले दफ्तर के काम से आया ज़रूर था पर वह केवल कुछ घंटों के लिए। दिल्ली का यह हिस्सा गुरुग्राम के नाम से जाना जाता है। मुझे लगा कि शायद गुरगांव का  वह पुराना शहर आज भी होगा। है तो सही पर कितने फेरबदल हो गये । खेतों की जगह बंगले बन गए। तुम्हें पता है उस समय हर घर के बीच एक या दो खेतों का फासला होता था। पर अब सब बदल गया। " प्रणय के चेहरे पर मायूसी साफ छलक रही थी।
फिर वह बच्चों को लेकर उस हिस्से में जाने लगा जहां कभी जंगल हुआ करता था। उसे लगा कि शायद उस जंगल के कुछ पेड़ आज भी हों वहां पर । उनमें उसका प्रिय दोस्त भी हो। पर उसके हाथ मायूसी ही लगी। अब वहां कोई जंगल नहीं था। हर तरफ सिर्फ़ ऊंची इमारतें खड़ी हुई थीं। यह देख उसकी आंखें भर आईं। अपने दोस्त को दोबारा ना देखने का दर्द उसकी आंखों में स्पष्ट दिखाई दे रहा था।
" पापा आप उदास हैं?" विकास बोला।
" हां बेटा। मैंने तुम्हें रास्ते में अपने पेड़ दोस्त के बारे में बताया था ना। " 
" हां पापा कहां है वो? मैं भी मिलूंगी उससे और उसको अपना दोस्त बना लूंगी।"  नन्ही सी पिया उछलते हुए बोली।
"वह अब नहीं है पिया। उस जंगल को काट कर यहां ऊंची इमारतें खड़ी हो गई हैं।"
" पर पापा, पेड़ काटना तो गुनाह है । फिर इतने सारे पेड़ कैसे काट दिये भला। " विकास बोला।
" बेटा पेड़ काटना आज गुनाह है। पर कुछ साल पहले तक बड़े - बड़े बिल्डर लोगों ने कितने ही पेड़ और जंगल काट कर ऊंची गगनचुंबी इमारतें बना डाली। आज लोगों को यह एहसास हुआ कि पेड़, जंगल, वन्य जीवन उनके लिए कितना आवश्यक है। जंगलों के बिना हमारा जीवन असंतुलित हो गया है। इसलिए आज ऐसे कानून बनाए गए हैं। आज बचे हुए जंगलों को सुरक्षित किया जा रहा है। बायोडायवर्सिटी पार्क बनाए जा रहे हैं ताकि वन्य जीवन को बचाया जा सके। काश! सरकार यह सब कदम बहुत पहले ही उठा लेती। तो मेरा प्यारा जंगल और मेरा प्रिय मित्र बच जाते। " प्रणय रोआंसा होकर बोला।

फिर वह अपने बच्चों को लेकर वापस होटल के लिए रवाना हो गया। रास्ते भर वह  उस बरगद के पेड़ के बारे में सोचता रहा। मन ही मन अपने आप को कोसता रहा कि क्यों उसने इतने सालों में आकर उससे मिलने की कोशिश नहीं करी। क्यों ज़िन्दगी की भागदौड़ में वह इतना व्यस्त हो गया कि उसे कभी अपने मित्र की याद नहीं आई। कितना कष्ट हुआ होगा उसके मित्र को जब उसे काटा जा रहा होगा। जिस पेड़ ने मित्र बनकर हमेशा उसके सुख दुख में साथ दिया, एक मां की तरह अपने आंचल की छांव दी ताकि वह पढ़ सके , एक कोच बनकर उसकी क्रिकेट सीखने में सहायता करी। उसी पेड़ को जब उसकी सबसे ज़्यादा आवश्यकता थी तो वह उसके पास नहीं था। काश! वह उस जंगल को बचा पाता । हर पेड़ की अहमियत होती है क्योंकि हर पेड़ की एक कहानी होती है।

वापस मुंबई पहुंच कर उसने प्रण लिया कि वह हर साल तीन- चार पेड़ लगाएगा और अपने बच्चों को भी इसके लिए प्रोत्साहित करेगा। शायद इस तरह वह आने वाली पीढ़ी को एक संतुलित पृथ्वी देने में अपना योगदान दे सके और अपने प्रिय मित्र को श्रद्धांजलि दे सके।
               
                    -------समाप्त-------
भारती

भारती

बहुत ही शिक्षाप्रद कहानी 👌🏻👌🏻

4 मई 2022

Astha Singhal

Astha Singhal

5 मई 2022

बहुत आभार आपका 🙏

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