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लालच का फल ( दूसरी क़िश्त )

29 मार्च 2022

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( लालच का फ़ल )  दूसरी क़िश्त 

अब तक-- पुलगांव के साहुकार रामाधीन साव ने वहां के एक किसान सहदेव जी को 5000 रुपिये उधार देकर इकरारनामा ऐसा  लिखवा लिया की 3 साल के अंदर उधारी न पटाया जाए तो सहदेव की ज़मीन मेरे कब्जे में  हो जाएगी।   सहदेव ने सोचा था की 3 साल में  पैदा हुए धान को बेचकर वह रामाधीन का पैसा वापस कर देगा ( इसके बाद )

लेकिन क़िसमत का खेल देखिये पुलगांव में या यूं कहे कि सारे छत्तीसगढ में तीन वर्षों तक बारिश नहीं के बराबर हुई । कृषि की इकानामी में ग्रहण लग गया । अकाल की स्थि्ति सारे प्रदेश में प्रकट हो गई । कई किसान सड़क में आ गये । सहदेव का भी यही हाल हुआ ।
उधर रामाधीन ऐसे ही किसी मौक़े का इंतज़ार कर रहा था । जब तीन साल तक सहदेव सेन ने एक भी पैसा नहीं लौटाया तो उसने अपने दो आदमियों को भेजकर सहदेव को अपने घर बुला लिया । रामाधीन ने सहदेव से कहा  तीन साल से न ही तुम ब्याज दे रहे हो न ही मूलधन की मात्रा कम करने का काम कर रहे हो ।  मैं लोगों को उनकी ज़रूरत के समय पैसा उधार देता हूं और वे सब पैसा न लौटाएं तो मेरे परिवार की भूख़ मरने की नौबत आ जायेगी । 
सहदेव – रामाधीन जीआप तो जानते ही हैं कि तीन सालों से लगातार यहां अकाल पड़ रहा है । आप थोड़ी मोहलत और दें तो आपकी पाई पाई लौटा दूंगा । इसके बाद रामाधीन पता नही क्या सोचकर कुछ भी नहीं  कहा। ये उसकी प्रवित्ती के उलट बात थी। । साल जैसे जैसे बीत गया । अगले साल बारिश ने फिर दगा दे दिया । चारों ओर हाहाकर मच गया। अब के रामाधीन ने सहदेव पर वार करने का मन बना लिया था । वह सीधाई वाला अपना मुखौटा उतारकर सहदेव के घर पहुंचा और बोला लगता हि कि तुम इस साल भी मेरा पैसा नहीं लौटाना चाहते । इस समस्या से बचने हेतु एक सलाह है । तुम्हारे हित में उचित होगा कि तुम यहां अपने घर में ताला लगाकर किसी बड़े शहर चले जाओ और वहां मेहनत मजदूरी करके पैसा कमाओ । उससे तुम्हारा घरेलू ख़र्चा भी चल जायेगा और कुछ पैसा बच भी जायेगा । इस तरह बचे हुए पैसों को मुझे वापस देकर अपने कर्ज़े से धीरे धीरे मुक्ति पा लोगे । लेकिन जब तक तुम मेरा पूरा पैसा ब्याज सहित लौटा नहीं देते तब तक तुम्हारी ये चौक वाली ज़मीन मेरे कब्ज़े में रहेगी  ।  इसके बाद रामाधीन अपने असली रंग में आकर सहदेव को धमकाने लगा कि पैसा लेते वक़्त तो तुमने कितने लंबे चौ्ड़े वादे किये थे और जब पैसा लौटाने का वक़्त आया तो सौ तरह के बहाने बाज़ी करने लगे हो। अगले दिन रामाधीन के चार आदमी सहदेव की ज़मीन को बारबेट वायर से घेरने लगे । जब सहदेव ने इसका विरोध किया तो उन्होंने उसे मारपीटकर भगा दिया।  अगले दिन सहदेव फिर से रामाधीन के घर गया । वहां रामाधीन ने मुस्कुराते हुए उसका स्वागत किया और कहा कि तुमने बहुत देरी कर दी । जवाब में सहदेव ने कहा कि ये तुम बहुत गलत कर रहे हो । पांच हज़ार रुपिए के बदले तुम मेरी पांच एकड़ ज़मीन को हथिया रहे हो । आज की तारीख़ में पुल्गांव की ज़मीन की क़ीमत पचास हज़ार रुपिए प्रति  एकड़ से कम नहीं है और तुम केवल पांच हज़ार रुपियों के बदले पांच एकड़ ज़मीन को अपने कब्ज़े में ले रहे हो । यह पूरी तरह से गैर कानूनी है , नाजायज़ है । मैं आज नहीं तो कल तुम्हारे विरुद्ध अदालत जाऊंगा । मैं जीते जी अगर अपनी ज़मीन को वापस नहीं ले पाया तो मरने के बाद ये ज़मीन तुमसे वापस ले ही लूंगा ।

कुछ दिनों बाद पुलगांव के बाशिन्दों को पता चला कि सहदेव सेन अपनी पत्नी यशोदा सेन और अपने बेटे विजय के साथ गांव छोड़कर कहीं चले गये हैं । कहां गये ये किसी को पता नहीं था । सहदेव के घर के दरवाज़े पर एक बड़ा सा ताला लतक रहा था और वहां लिखा था कि “ सहदेव सेन का मकान “।
अगले साल से रामाधीन सहदेव की ज़मीन पर ख़ुद इस तरह से खेती करने लगा मानों उस ज़मीन पर रामाधीन का ही मालिकाना हक है। धीरे धीरे लोग सहदेव व उसकी ज़मीन की बातों को भूलने लगे । नये लोग समझते थे कि पुलगांव में सहदेव का सिर्फ़ एक जर्जर मकान है । जहां उसका नाम लिखा है । 
देखते देखते 20/22 साल गुज़र गये । दुर्ग शहर की आबादी बढी तो पुलगांव को दुर्ग नगर निगम के भीतर समाहित कर लिया गया । अब वहां कई नई कालोनियां बनने लगीं । कई बड़े बड़े मुल्टिस्टोरी बिल्डिंग बनने लगे । दो तीन कालेज के कैम्पस बनना प्रारंभ हो गया । दो तीन पेट्रोल पंप स्थापित हो गये। एक बड़े से थोक कपड़ा मार्केट के लिए ज़मीन चिन्हित कर ली गई । पुलगांव की ज़मीन की कीमत अब आसमान छूने लगी । जो ज़मीन कुछ साल पहले एकड़ के हिसाब से बिकती थी । आज की तारीख़ में फ़ीट के हिसाब से बिकने लगी ।

अब रामाधीन की उम्र लगभग 55 वर्ष हो चुकी थी । किस्मत ने उन्हें भी एक दुख दिया था । शादी के 30 साल गुज़र गये थे पर उनकी पत्नी जानकी की गोद आज भी सूनी थी । डाक्टरों ने कह दिया था कि अब उन्हें कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए कि कभी जानकी की गोद हरी हो पायेगी । लेकिन इतनी उम्र होने और घर में कोई बच्चा न होने के बावजूद रामाधीन की पैसे कमाने और प्रापर्टी बनाने की हवस कम नहीं हुई थी । उसका दिमाग़ हर वक़्त सिर्फ़ अपनी प्रापर्टी बढाने के बारे में ही गुन्ताड़े लगाते रहता था । पुलगांव चौक पर सहदेव की जिस 5 एकड़ ज़मीन पर रामाधीन कब्ज़ा करके खेती करता था । उसे खरीदने हेतु बड़े बड़े व्यापारी आ रहे थे । राष्ट्रीय स्तर के कई ग्रुप जिनका कई शहरों में माल था, वे भी रामाधीन की उस ज़मीन को खरीद कर वहां माल बनाना चाह्ते थे । पीवीआर ग्रुप वहां थियेटर बनाना चाहता था । इतने सारे लोगों के आफ़र का विश्लेषण करने के बाद रामाधीन ने सोचा , इतनी बहुमूल्य ज़मीन को किसी को बेचना या इकरार नामा के तहत किसी को किराये में देने से अच्छा होगा खुद ही पैसा लगा कर एक माल बना दूं तो उससे जितनी कमाई होगी वह किसी भी उद्ध्योग से होने वाली कमाई से कम नहीं होगी । 

( क्रमशः)
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लालच का फल ( प्रथम क़िश्त )
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पुलगांव ग्राम में एक किसान को 5000) 00 देकर वहां का साहुकार साव जी उसकी ज़मीन का कागज अपने पास रख लेता है और इकरार नामा मेँ ऐसी शर्ते लिखवा लेता है की वह किसान शायद ही अपने द्वारा ली गयी उधारी को वापस कर सके। पर समय के साथ ऐसी बात होती है की साहुकार का दव उल्टा पड जाता है।
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लालच का फल प्रथम क़िश्त

28 मार्च 2022
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( लालच का फ़ल ) प्रथम क़िश्त ।लगभग पचास वर्ष पूरव की बात होगी सहदेव सेन दुर्ग के आउटर पर स्थित छोटे से गांव पुलगांव में अपनी 5 एकड़ ज़मीन पर खेती कर के जैसे तैसे अपना और अपने परिवार का गुज़ारा करते आ रहा ह

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लालच का फल ( दूसरी क़िश्त )

29 मार्च 2022
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( लालच का फ़ल ) दूसरी क़िश्त अब तक-- पुलगांव के साहुकार रामाधीन साव ने वहां के एक किसान सहदेव जी को 5000 रुपिये उधार देकर इकरारनामा ऐसा लिखवा लिया की 3 साल के अंदर उधारी न पटाया जाए तो

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लालच का फल ( अंतिम क़िश्त )

30 मार्च 2022
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( लालच का फ़ल ) अंतिम क़िश्तअब तक-- रामाधीन साव ,सहदेव द्वारा 5000 हज़ार रुपिये की उधारी को न पटा सकने के कारण उसकी ज़मीन को अपने कब्जे में लेकर पिछले 20 सालों से खेती कर रहा

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