कभी अलविदा ना कहना तुम
मेरे साथ यूँ ही रहना तुम !
तुम बिन थम जाएगा साथी ,
मधुर गीतों का ये सफर ;
रुंध कंठ में दम तोड़ देगें -
आत्मा के स्वर प्रखर ;
बसना मेरी मुस्कान में नित
ना संग आंसुओं के बहना तुम
तुम ना होंगे हो जायेगी गहरी
भीतर की तन्हाईयां-
टीसती विकल करेंगी
यादों की ये परछाईयां-
गहरे भंवर में संताप के -
देखो !ना डुबो देना तुम !
निःशब्द हो सहेज लेना
अक्षय स्नेहकोष मेरा,
रखना याद ये स्नेहिल पल -
भुला देना हर दोष मेरा ;
दूर आखों से हो जाओं
ये सजा कभी मत देना तुम !
स्वरचित -- रेणु
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