आनेवालो ! तुम्हें प्रणाम ।
'जय हो', नव होतागण ! आओ,
संग नई आहुतियाँ लाओ,
जो कुछ बने फेंकते जाओ, यज्ञ जानता नहीं विराम ।
आनेवालो ! तुम्हें प्रणाम ।
टूटी नहीं शिला की कारा,
लौट गयी टकरा कर धारा,
सौ धिक्कार तुम्हें यौवन के वेगवंत निर्झर उद्दाम ।
आनेवालो ! तुम्हें प्रणाम ।
फिर डंके पर चोट पड़ी है,
मौत चुनौती लिए खड़ी है,
लिखने चली आग, अम्बर पर कौन लिखायेगा निज नाम ?
आनेवालो ! तुम्हें प्रणाम ।
(१९३८ ई०)