अपना पेट भरने के लिए घरों की छत पर या दीवारों के कोनों में जहाँ-तहाँ अजीबोगरीब जालों का ताना-बाना बुनने वाली मकड़ियों का जीवन भी कई प्रकार के भ्रम, भ्रांतियाँ और मिथक के जाल में फंसा होता है। सच तो यह है कि पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित बनाए रखने में
पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का स्वप्न है कि वर्ष 2020 तक भारत एक विकसित राष्ट्र बने। प्रस्तुत पुस्तक में लेखकद्वय डॉ. कलाम व डॉ. सिवताणु पिल्लै ने इस स्वप्न को साकार करने की प्रक्रिया का बड़ी ही सूक्ष्मता और गहराई से विश्लेषण किया है। व
विज्ञान के कदम लगातार बढ़ रहे हैं जिसके कारण हमारी यह दुनिया भी तेजी से बदल रही है। केवल विगत आधी सदी में ही हमारी दुनिया का चेहरा और हमारी जीवन शैली में भारी बदलाव आ गया है। कल कौन जानता था कि मानव के बनाए अंतरिक्ष यान न केवल सौरमंडल के ग्रहों-उपग्र
kisi school ya collage me pese kamana nahi bataya jata na hi siksha ke santh me pese kamaye jate he yah bataya jata he . yah kitab un sabhi logo ke liye he jo digital duniya me mobile chalana jante he. isme suru se ant tak blog kese banana he usse pe
The book talks about the creation of infinite space (sky) by the Creator (Brahma) and the infinite number of stars in it. Our Sun was created during the Big Bang in the southern tip of the Nebula much later. It advises the reader that the Sun is hot
This book attempts to understand, the holy river Ganga's journey of Bihar and the steps taken by “Raaj & Samaaj” in direction of restoring the incessant flow of it by recognising the problems. Ganga or any other river, pond or any other traditional w
माइक्रोसॉफ्ट और कई अन्य बड़ी आई.टी. कंपनियों की तरह गूगल ने बीते वर्षों में बहुत ज्यादा गलतियाँ नहीं की हैं। ऐसा तो नहीं कहा जा सकता कि गूगल के लिए अब तक की राह बहुत आसान रही है; क्योंकि अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट, एप्पल और अन्य कंपनियों के साथ उसे कड़ी प्र
Santaan vishay par aisee pustak aaj tak prakashit nahi hui. Read more
पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के साढ़े तीन अरब सालों में न जाने कितने क़िस्म के जीव पैदा हुए और मर-खप गये। कॉकरोच और मगरमच्छ जैसे कुछ ऐसे जीव हैं जो हज़ारों-लाखों सालों से अपना अस्तित्व बनाये रखे हुए हैं। जबकि, जीवों की हज़ारों प्रजातियाँ ऐसी रही हैं, ज