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प्रेम-पंथ ऐसो कठिन - ओशो

ओशो

15 अध्याय
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21 अप्रैल 2022 को पूर्ण की गई
निःशुल्क

शेरो-शायरी और कविताओं से भरपूर ये प्रवचन पंथ की सारी कठिनाई को दूर कर एक नई सुबह की तरह हमें अभिभूत कर लेते हैं। ओशो कहते हैं : 'मैं तो देखता हूं एक नया सूरज, एक नई सुबह, एक नया मनुष्य, एक नई पृथ्वी—वह रोज निखरती आ रही है। अगर हम थोड़े सजग हो जाएं तो यह और जल्दी हो जाए, यह रात जल्दी कट जाए, यह प्रभात जल्दी हो जाए। 

prem panth aiso kathin osho

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पुस्तक के भाग

1

प्रेम-पंथ ऐसो कठिन-(प्रवचन-01)

21 अप्रैल 2022
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1—साधु-संतों से सुना है कि भक्ति-मार्ग ही एकमात्र सरल और सुगम मार्ग है। लेकिन रहीम का प्रसिद्ध वचन है: रहिमन मैन तुरंग चढ़ि, चलिबो पावक माहिं। प्रेम-पंथ ऐसो कठिन, सब कोई निबहत नाहिं।। इस वि

2

प्रेम-पंथ ऐसो कठिन-(प्रवचन-02)

21 अप्रैल 2022
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प्रश्न-सार: 1—परमात्मा शब्द ही मेरी समझ में नहीं आता है। परमात्मा यानी क्या? 2—वैसे गत पंद्रह वर्षों से आप निरंतर प्रेरणा के स्रोत रहे हैं, परंतु यहां आपके ऊर्जा-क्षेत्र में रहते हुए कुछ माह में ह

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प्रेम—पंथ ऐसो कठिन-(प्रश्नोत्तर)-प्रवचन-03

21 अप्रैल 2022
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पहला प्रश्न: भारतीय संसद में फ्रीडम ऑफ रिलीजन बिल, धर्म-स्वातंत्र्य विधेयक लाया जा रहा है। ईसाई उसका विरोध कर रहे हैं। मदर टेरेसा ने भी उसका विरोध किया है। आप अपना मंतव्य दें! कृष्ण प्रेम! भारतीय स

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प्रेम—पंथ ऐसो कठिन-(प्रश्नोत्तर)-प्रवचन-04

21 अप्रैल 2022
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पहला प्रश्न: एक कौतुक मैंने देखा: मेरी खोपड़ी में खंजड़ी बजे रे लोल! क्या भक्त को अहंकार होता है? जहां ढूंढ़ा, तो श्री हरि आपको ही पाया। तरु! कौतुक इसमें कुछ भी नहीं। सचाई यही है। खोपड़ी खंजड़ी से ज्याद

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प्रेम-पंथ ऐसो कठिन-(प्रवचन-05)

21 अप्रैल 2022
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प्रश्न-सार: 1—आपसे समाधि कैसे चुराएं? 2—मैं तो परमात्मा की याद बहुत करता हूं, लेकिन मन में प्रश्न उठता है कि परमात्मा भी कभी मेरी याद करता है या नहीं? 3—मैंने संसार के सब सुख-दुख को अनुभव कर दे

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प्रेम—पंथ ऐसो कठिन-(प्रश्नोत्तर)-प्रवचन-06

21 अप्रैल 2022
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पहला प्रश्न: आपने वर्तमान प्रवचनमाला को नाम दिया: "प्रेम-पंथ ऐसो कठिन'! आप तो कहते रहे हैं कि प्रेम होता है, किया नहीं जाता, क्योंकि प्रेम निसर्ग से, स्वभाव से जुड़ा है। फिर प्रेम का मार्ग कैसे बन सकता

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प्रेम—पंथ ऐसो कठिन-(प्रश्नोत्तर)-प्रवचन-07

21 अप्रैल 2022
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प्रश्न-सार 1—संन्यास देकर आपने एक नया ही जीवन प्रदान किया है। सिर्फ एक ही कांटा चुभता है--इतनी सुविधा और सामीप्य होने पर भी मैं आपको पूरा का पूरा नहीं पी पा रहा हूं। अब दुई खलती है। अब मिटा ही डालें।

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प्रेम—पंथ ऐसो कठिन-(प्रश्नोत्तर)-प्रवचन-08

21 अप्रैल 2022
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प्रश्न-सार 1—तुम बसे नहीं इनमें आकर, ये गान बहुत रोए। कब तक बरसेगी ज्योति बार कर मुझको? निकलेगा रथ किस रोज पार कर मुझको? किस रोज लिए प्रज्वलित बाण आओगे? खींचते हृदय पर रेख निकल जाओगे? किस रोज त

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प्रेम-पंथ ऐसो कठिन-(प्रवचन-09)

21 अप्रैल 2022
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प्रश्न-सार 1—मैं ध्यान करूं या भक्ति? और चूंकि कुछ तय ही नहीं हो पाता है, इसलिए प्रारंभ भी करूं तो कैसे करूं? 2—आपने एक प्रवचन में कहा था कि पुरुष के लिए “मैं-भाव’ और स्त्री के लिए “मेरा-भाव’ अ

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प्रेम-पंथ ऐसो कठिन-(प्रवचन-10)

21 अप्रैल 2022
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प्रश्न-सार- 1—बिन मांगे सच्चे रत्नों से झोली भर दी बिन चाहे मेरे जीवन में खुशियां भर दीं ये कैसे क्या कुछ हुआ, इसे कह दो भगवन अनहोनी थी जो बात, उसे होनी कर दी 2—प्रार्थना कैसे और कब जन्मत

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प्रेम-पंथ ऐसो कठिन-(प्रवचन-11)

21 अप्रैल 2022
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प्रश्न-सार 1—तड़प ये दिन-रात की, कसक ये बिन बात की, भला ये रोग है कैसा? सजन, अब तो बता दे! अब तो बता दे, अब तो बता दे! तड़प ये दिन-रात की… 2—प्रेम पाप है? 3—आपका जीवन-दर्शन इतना सर

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प्रेम-पंथ ऐसो कठिन-(प्रवचन-12)

21 अप्रैल 2022
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प्रश्न-सार: 1—संन्यास का जन्म इस देश में हुआ, उसे गौरीशंकर जैसी गरिमा मिली, पर आज उसका सम्मान बस ऊपरी रह गया है। संन्यास और संन्यासी की अर्थवत्ता क्यों कर खो गई, कृपा करके समझाएं! 2—मैं क्या

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प्रेम-पंथ ऐसो कठिन-(प्रवचन-13)

21 अप्रैल 2022
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प्रश्न-सार: 1—यह भाव निरंतर उभर आता है कि हो न हो भगवान बुद्ध ने आप ही के रूप में पुनरावतार लिया है। आप बुद्धक्षेत्र निर्मित कर रहे हैं। या कि आप लाओत्सु हैं, मैत्रेय भी नहीं? 2—मैं सुख को स्वी

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प्रेम-पंथ ऐसो कठिन-(प्रवचन-14)

21 अप्रैल 2022
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प्रश्न-सार: 1—क्या मेरे सूखे हृदय में भी उस परम प्यारे की अभीप्सा का जन्म होगा? 2—आप वर्षों से बोल रहे हैं। फिर भी आप जो कहते हैं वह सदा नया लगता है। इसका राज क्या है? 3—मैं संसार को रोशनी द

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प्रेम-पंथ ऐसो कठिन-(प्रवचन-15)

21 अप्रैल 2022
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प्रश्न-सार 1—परमात्मा मुझे कहीं भी दिखाई नहीं पड़ता है। मैं क्या करूं? 2–मैं संन्यास के लिए तैयार हूं। लेकिन यह कैसे जानूं कि परमात्मा ने मुझे पुकारा ही है? यह मेरा भ्रम भी तो हो सकता है! 3—क

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