रामभक्त रंगबाज़ की कहानी में गहराई है लेकिन लहजे में ग़जब की क़िस्सागोई है। आरामगंज में कदम रखते ही आप समकालीन इतिहास की उन पेंचदार गलियों में खो जाते हैं, जहाँ मासूम आस्था और शातिर सियासत दोनों हैं। धार चढ़ाई जाती सांप्रदायिकता है लेकिन कभी न टूटने वाले नेह के बंधन भी हैं। अतरंगी किरदारों की इस अनोखी दुनिया में कभी हँसते तो कभी रोते अफ़साना कैसे गुज़र जाता है ये पता ही नहीं चलता ।
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