आज अराजकता जीत गई है
आज अराजकता अट्टहास कर रही है
आज अराजक लोग दीवाली मना रहे हैं
अब कोई रावण का दहन नहीं करेगा
अब रावणों का पूजन किया जायेगा
भगवान राम के पुतले जलाये जायेंगे
बच्चों को अराजक बनना सिखाया जायेगा
सड़कों को जाम करने का अधिकार मिल गया है
सार्वजनिक संपत्ति नष्ट करना वैध बन गया है
झूठ, फरेब, मक्कारी मुस्कुरा रहीं हैं
सच किसी कोने में दुबक गया है ।
उपद्रव खुलेआम तांडव कर रहा है
हिंसा का नंगा नाच हो रहा है
बेचारी अहिंसा, डर के मारे
गांधीजी की मूर्ति के पीछे छुप गयी है
राष्ट्रीय ध्वज कहीं सिसक रहा है
देश विरोधी ताकतें सिर उठा रही हैं
सब लोग अपनी अपनी जीत बता रहे हैं
मगर हारी तो व्यवस्था है
उसकी तो लाज बीच चौराहे पर लूटी जा रही है
बेशर्मी ताली बजा रही है
आम जनता ठगी हुई महसूस कर रही है
तमाशबीनों ने आम जनता को
इस लोकतांत्रिक देश में तमाशा बना दिया है
जय अराजकतावाद । जय बेशर्मी । जय मक्कारी ।
हरिशंकर गोयल "हरि"
19.11.21