shabd-logo

राजकमल प्रकाशन के बारे में

किताबें जो बदलती हैं ज़िन्दगी उनका पता राजकमल प्रकाशन समूह, 6 दशकों से उत्कृष्टता का एक प्रकाशन घर, एक नाम जो साहित्यिक विशिष्टता का पर्याय है, हिंदी प्रकाशन जगत में जातीयता और आंतरिक मूल्य का मिश्रण है, (हिन्दी का सबसे बड़ा प्रकाशन समूह📚) वेबसाइट : https://rajkamalprakashan.com/

राजकमल प्रकाशन की पुस्तकें

सावरकर: काला पानी और उसके बाद

सावरकर: काला पानी और उसके बाद

यह किताब एक सावरकर से दूसरे सावरकर की तलाश की एक शोध-सिद्ध कोशिश है। सावरकर की प्रचलित छवियों के बरक्स यह किताब उनके क्रांतिकारी से राजनेता और फिर हिन्दुत्व की राजनीति के वैचारिक प्रतिनिधि तथा पुरोधा बनने तक के वास्तविक विकास क्रम को समझने का प्रयास

7 पाठक
2 रचनाएँ
0 लोगों ने खरीदा

प्रिंट बुक:

224/-

सावरकर: काला पानी और उसके बाद

सावरकर: काला पानी और उसके बाद

यह किताब एक सावरकर से दूसरे सावरकर की तलाश की एक शोध-सिद्ध कोशिश है। सावरकर की प्रचलित छवियों के बरक्स यह किताब उनके क्रांतिकारी से राजनेता और फिर हिन्दुत्व की राजनीति के वैचारिक प्रतिनिधि तथा पुरोधा बनने तक के वास्तविक विकास क्रम को समझने का प्रयास

7 पाठक
2 रचनाएँ
0 लोगों ने खरीदा

प्रिंट बुक:

224/-

एक थी शीना बोरा : सनसनीखेज़ क़त्ल की प्रामाणिक पड़ताल

एक थी शीना बोरा : सनसनीखेज़ क़त्ल की प्रामाणिक पड़ताल

लालच, झूठ और महत्त्वाकांक्षा की भेंट चढ़े रिश्तों की कहानी है—शीना बोरा कांड। इस किताब में इस बेहद चर्चित हत्याकांड के अब तक हुए खुलासों को एक क्रम के साथ प्रस्तुत किया गया है ताकि पाठक शीना बोरा नाम की युवती की उसकी अपनी ही माँ द्वारा की गई सुनियोजि

5 पाठक
1 रचनाएँ
0 लोगों ने खरीदा

प्रिंट बुक:

399/-

एक थी शीना बोरा : सनसनीखेज़ क़त्ल की प्रामाणिक पड़ताल

एक थी शीना बोरा : सनसनीखेज़ क़त्ल की प्रामाणिक पड़ताल

लालच, झूठ और महत्त्वाकांक्षा की भेंट चढ़े रिश्तों की कहानी है—शीना बोरा कांड। इस किताब में इस बेहद चर्चित हत्याकांड के अब तक हुए खुलासों को एक क्रम के साथ प्रस्तुत किया गया है ताकि पाठक शीना बोरा नाम की युवती की उसकी अपनी ही माँ द्वारा की गई सुनियोजि

5 पाठक
1 रचनाएँ
0 लोगों ने खरीदा

प्रिंट बुक:

399/-

तुम्हारी औकात क्या है

तुम्हारी औकात क्या है

पीयूष मिश्रा जब मंच पर होते हैं तो वहाँ उनके अलावा सिर्फ़ उनका आवेग दिखता है। जिन लोगों ने उन्हें मंडी हाउस में एकल करते देखा है, वे ऊर्जा के उस वलय को आज भी उसी तरह गतिमान देख पाते होंगे। अपने गीत, अपने संगीत, अपनी देह और अपनी कला में आकंठ एकमेक एक

3 पाठक
2 रचनाएँ
0 लोगों ने खरीदा

प्रिंट बुक:

299/-

तुम्हारी औकात क्या है

तुम्हारी औकात क्या है

पीयूष मिश्रा जब मंच पर होते हैं तो वहाँ उनके अलावा सिर्फ़ उनका आवेग दिखता है। जिन लोगों ने उन्हें मंडी हाउस में एकल करते देखा है, वे ऊर्जा के उस वलय को आज भी उसी तरह गतिमान देख पाते होंगे। अपने गीत, अपने संगीत, अपनी देह और अपनी कला में आकंठ एकमेक एक

3 पाठक
2 रचनाएँ
0 लोगों ने खरीदा

प्रिंट बुक:

299/-

पूरब की बेटियाँ

पूरब की बेटियाँ

‘पूरब की बेटियाँ’ किताब जिस पूरब को हमारे सामने लाती है, वह कोई दिशा नहीं, एक भौगोलिक-सांस्कृतिक क्षेत्र है। उसकी सामाजिक संरचना में बेटियों के क्या मायने हैं, क्या दर्जा है, शैलजा पाठक कथेतर विधा की अपनी पहली किताब में बहुत महीन ढंग से परत-दर-परत

3 पाठक
2 रचनाएँ
0 लोगों ने खरीदा

प्रिंट बुक:

199/-

पूरब की बेटियाँ

पूरब की बेटियाँ

‘पूरब की बेटियाँ’ किताब जिस पूरब को हमारे सामने लाती है, वह कोई दिशा नहीं, एक भौगोलिक-सांस्कृतिक क्षेत्र है। उसकी सामाजिक संरचना में बेटियों के क्या मायने हैं, क्या दर्जा है, शैलजा पाठक कथेतर विधा की अपनी पहली किताब में बहुत महीन ढंग से परत-दर-परत

3 पाठक
2 रचनाएँ
0 लोगों ने खरीदा

प्रिंट बुक:

199/-

एक ज़मीन अपनी

एक ज़मीन अपनी

विज्ञापन की चकाचौंध दुनिया में जितना हिस्सा पूँजी का है, शायद उससे कम हिस्सेदारी स्त्री की नहीं है। इस नए सत्ता-प्रतिष्ठान में स्त्री अपनी देह और प्रकृति के माध्यम से बाज़ार के सन्देश को ही उपभोक्ता तक नहीं पहुँचाती, बल्कि इस उद्योग में पर्दे के पीछे

3 पाठक
6 रचनाएँ
0 लोगों ने खरीदा

प्रिंट बुक:

250/-

एक ज़मीन अपनी

एक ज़मीन अपनी

विज्ञापन की चकाचौंध दुनिया में जितना हिस्सा पूँजी का है, शायद उससे कम हिस्सेदारी स्त्री की नहीं है। इस नए सत्ता-प्रतिष्ठान में स्त्री अपनी देह और प्रकृति के माध्यम से बाज़ार के सन्देश को ही उपभोक्ता तक नहीं पहुँचाती, बल्कि इस उद्योग में पर्दे के पीछे

3 पाठक
6 रचनाएँ
0 लोगों ने खरीदा

प्रिंट बुक:

250/-

राहुल सांकृत्यायन: अनात्म बेचैनी का यायावर

राहुल सांकृत्यायन: अनात्म बेचैनी का यायावर

हिन्दी साहित्य में राहुल सांकृत्यायन की वैचारिक दृढ़ता, लेखन और घुमक्कड़ी के तमाम क़िस्से सुनते-पढ़ते हुए कई पीढ़ियों ने लिखना सीखा। जीवन में वामपंथी स्टैंड लेना हो या बौद्ध धर्म की लुप्तप्राय पांडुलिपियों के लिए दुनिया भर की ख़ाक छानते हुए भटकना; हम

2 पाठक
2 रचनाएँ
0 लोगों ने खरीदा

प्रिंट बुक:

239/-

राहुल सांकृत्यायन: अनात्म बेचैनी का यायावर

राहुल सांकृत्यायन: अनात्म बेचैनी का यायावर

हिन्दी साहित्य में राहुल सांकृत्यायन की वैचारिक दृढ़ता, लेखन और घुमक्कड़ी के तमाम क़िस्से सुनते-पढ़ते हुए कई पीढ़ियों ने लिखना सीखा। जीवन में वामपंथी स्टैंड लेना हो या बौद्ध धर्म की लुप्तप्राय पांडुलिपियों के लिए दुनिया भर की ख़ाक छानते हुए भटकना; हम

2 पाठक
2 रचनाएँ
0 लोगों ने खरीदा

प्रिंट बुक:

239/-

जीने की जिद

जीने की जिद

खुशियों का एक बड़ा फॉर्मूला हमारे प्राचीन दर्शन और संस्कृति में बार-बार दोहराया गया है। यह सच है कि प्रतिस्पर्धा के नए दौर में प्राचीन दर्शन में कही गई इच्छाओं के दमन, त्याग और सन्यास की बातें बेमानी-सी लगती हैं, मगर इसका यह अर्थ कतई नहीं कि पूर्व में

1 पाठक
1 रचनाएँ
0 लोगों ने खरीदा

प्रिंट बुक:

199/-

जीने की जिद

जीने की जिद

खुशियों का एक बड़ा फॉर्मूला हमारे प्राचीन दर्शन और संस्कृति में बार-बार दोहराया गया है। यह सच है कि प्रतिस्पर्धा के नए दौर में प्राचीन दर्शन में कही गई इच्छाओं के दमन, त्याग और सन्यास की बातें बेमानी-सी लगती हैं, मगर इसका यह अर्थ कतई नहीं कि पूर्व में

1 पाठक
1 रचनाएँ
0 लोगों ने खरीदा

प्रिंट बुक:

199/-

बिश्रामपुर का संत

बिश्रामपुर का संत

बिश्रामपुर का संत' समकालीन जीवन की ऐसी महागाथ है जिसका फलक बड़ा विस्तीर्ण है और जो एक साथ कई स्तरों पर चलती है ! एक ओर यह भूदान आन्दोलन की पृष्ठभूमि में स्वातंत्रयोत्तर भारत में सत्ता के व्याकरण और उसी क्रम में हमारी लोकतान्त्रिक त्रासदी की सूक्ष्म पड़

0 पाठक
0 रचनाएँ
0 लोगों ने खरीदा

प्रिंट बुक:

199/-

बिश्रामपुर का संत

बिश्रामपुर का संत

बिश्रामपुर का संत' समकालीन जीवन की ऐसी महागाथ है जिसका फलक बड़ा विस्तीर्ण है और जो एक साथ कई स्तरों पर चलती है ! एक ओर यह भूदान आन्दोलन की पृष्ठभूमि में स्वातंत्रयोत्तर भारत में सत्ता के व्याकरण और उसी क्रम में हमारी लोकतान्त्रिक त्रासदी की सूक्ष्म पड़

0 पाठक
0 रचनाएँ
0 लोगों ने खरीदा

प्रिंट बुक:

199/-

सावंत आंटी की लड़कियाँ

सावंत आंटी की लड़कियाँ

गीत चतुर्वेदी की पहली कहानी ‘सावंत आंटी की लड़कियाँ’ जब 2006 में पहल पत्रिका में छपी थी, तो उसने हिन्दी साहित्य में तहलका मचा दिया। उसे छापने वाले संपादक ज्ञानरंजन के अनुसार, “इस कहानी ने हिन्दी साहित्य के ढेर सारे ऊँघते-आँघते लोगों को नींद से जगा दिय

0 पाठक
0 रचनाएँ
0 लोगों ने खरीदा

प्रिंट बुक:

198/-

सावंत आंटी की लड़कियाँ

सावंत आंटी की लड़कियाँ

गीत चतुर्वेदी की पहली कहानी ‘सावंत आंटी की लड़कियाँ’ जब 2006 में पहल पत्रिका में छपी थी, तो उसने हिन्दी साहित्य में तहलका मचा दिया। उसे छापने वाले संपादक ज्ञानरंजन के अनुसार, “इस कहानी ने हिन्दी साहित्य के ढेर सारे ऊँघते-आँघते लोगों को नींद से जगा दिय

0 पाठक
0 रचनाएँ
0 लोगों ने खरीदा

प्रिंट बुक:

198/-

आदमी का जहर

आदमी का जहर

आदमी का जहर एक रहस्यपूर्ण अपराध कथा है। इसकी शुरुआत एक ईर्ष्यालु पति से होती है जो छिपकर अपनी रूपवती पत्नी का पीछा करता है और एक होटल के कमरे में जाकर उसके साथी को गोली मार देता है। पर दूसरे ही दिन वह साधारण दिखने वाला हत्याकांड अचानक असाधारण बन जाता

0 पाठक
0 रचनाएँ
0 लोगों ने खरीदा

प्रिंट बुक:

199/-

आदमी का जहर

आदमी का जहर

आदमी का जहर एक रहस्यपूर्ण अपराध कथा है। इसकी शुरुआत एक ईर्ष्यालु पति से होती है जो छिपकर अपनी रूपवती पत्नी का पीछा करता है और एक होटल के कमरे में जाकर उसके साथी को गोली मार देता है। पर दूसरे ही दिन वह साधारण दिखने वाला हत्याकांड अचानक असाधारण बन जाता

0 पाठक
0 रचनाएँ
0 लोगों ने खरीदा

प्रिंट बुक:

199/-

राजकमल प्रकाशन के लेख