देश में असहिष्णुता को लेकर तेज होती चर्चा के बीच रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आपसी सम्मान और सहिष्णुता के परिवेश में सुधार लाने का आह्वान करते हुए आज कहा कि राजनीतिक स्तर से चीजों को ठीक करने की अत्यधिक सक्रियता से प्रगति का मार्ग अवरुद्ध होता है। राजन ने कहा कि भारत की प्रगति के लिए सवाल उठाने और चुनौती देने के अधिकार के संरक्षण की जरूरत है।भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली में दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राजन ने कहा कि किसी समूह की भागीदारी को नुकसान पहुंचाने के लिए किसी को शारीरिक तौर पर चोट पहुंचाने या किसी खास समूह का अपमान करने की की कार्रवाई की निश्चित तौर पर अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।राजन ने कहा कि एकदम रोक लगाना समस्या का त्वरित निदान नहीं हो सकता, बेहतर होगा कि सहिष्णुता और परस्पर सम्मान के जरिए विचारों के लिये बेहतर परिवेश बनाया जाए।राजन ने कहा कि यौन उत्पीड़न चाहे वह शारीरिक हो अथवा शाब्दिक हो, उसका समाज में कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि कोई भी विचार अथवा व्यवहार जिससे किसी खास तबके अथवा समूह को ठेस पहुंचती है, उस पर रोक लगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बेहतर होगा कि हम त्वरित रोक लगाने के बजाय सहिष्णुता और आपसी सम्मान के जरिए विचारों के लिये बेहतर परिवेश बनाएं।
यह पूछने पर कि किसी विचार या व्यवहार से किसी बौद्धिक रख या समूह को चोट पहुंचती हो तो क्या इस पर प्रतिबंध होना चाहिए, उन्होंने कहा ‘संभवत, लेकिन फौरन प्रतिबंध से हर तरह की बहस बंद हो जाएगी क्योंकि हर कोई इस बात से दुखी होगा कि उन्हें ये नापसंद है। सहिष्णुता और आपसी सम्मान के जरिए विचारों के लिए माहौल सुधारना बहुत बेहतर है। राजन ने कहा कि भारत आगे बढ़े इसके लिए जरूरी है कि वह सवाल उठाने, चुनौती देने और कुछ हद तक अलग तरीके से व्यवहार करने के अधिकार की रक्षा करे, जब तक कि इससे दूसरों को गंभीर चोट न पहुंचे।उन्होंने कहा kf इसी रक्षा में mमाज का अपना हित भी है क्योंकि नवोन्मेषी क्रांतिकारियों की चुनौती को प्रोत्साहन देकर ही समाज विकास करता है। सौभाग्य से भारत ने हमेशा विमर्श और मतवैभिन्य के अधिकर की रक्षा की है।भारत की विमर्श की परंपरा और विश्लेषण की मुक्त भावना आर्थिक प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है और सहिष्णुता से विमर्श की आक्रामकता खत्म हो जाएगी और सम्मान बढ़ेगा।