
रूपम महतो
मैं एक एनजीओ में सक्रिय रूप से काम करती हूं, एक नेटवर्क मार्केटिंग फर्म में वरिष्ठ प्रबंधक और एक जिम्मेदार गृहिणी हूं। मैं टाटानगर, जमशेदपुर की रहने वाली हूं और वर्तमान में कोलकाता में रहती हूं। स्याही के माध्यम से भावनाओं को उँडेलकर खुद को व्यक्त करने का जुनून है मुझमें ।मुझे लगता है जो बातें हम जुबान ने नहीं कह पाते वो लेखनी के जरिये व्यत हो जाती है। पुरानी संगीतमय धुनों से मुझे प्यार से है और उन्हें गाना भी अच्छा लगता है । मेरा दृढ़ विश्वास है कि हम हर स्थिति से दो बार अपने दिमाग में निपटते हैं और फिर वास्तविकता में । इसलिए यदि हम अपने मन की बाधा को जीत लेते हैं तो हम वास्तव जीवन में भी हर कठिन और मुश्किल रास्ते से गुजर सकते हैं। **तेरा एहसास मेरे जहन में कुछ इस कदर जिंदा ह,जैसे छूकर मेरे रूह को तू अभी अभी गुजरा है।**

जिंदगी के रंग
इस किताब में मैंने जिंदगी में मिलने वाली रिश्तों की खूबसूरती को अल्फाजों में पिरोकर कविता का रूप दिया है। हम अपने जीवन में कई रिश्तों को जीते हैं। सभी का अहसास अलग अलग होता है। कुछ रिश्तें प्रेम के ,कुछ दोस्ती के और कुछ रिश्तें परिवार से मिलते हैं।

जिंदगी के रंग
इस किताब में मैंने जिंदगी में मिलने वाली रिश्तों की खूबसूरती को अल्फाजों में पिरोकर कविता का रूप दिया है। हम अपने जीवन में कई रिश्तों को जीते हैं। सभी का अहसास अलग अलग होता है। कुछ रिश्तें प्रेम के ,कुछ दोस्ती के और कुछ रिश्तें परिवार से मिलते हैं।

