अज्ञेय जी का पूरा नाम सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय है। इनका जन्म 7 मार्च 1911 में उत्तर प्रदेश के जिला देवरिया के कुशीनगर में हुआ। इस कविता का संदेश है कि व्यक्ति और समाज एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। इसलिए व्यक्ति का गुण उसका कौशल उसकी रचनात्मकता समाज के काम आनी चाहिए। सागर मुद्रा में कवि ने कविताओ का वर्णन किया हैं। सागर मुद्रा के लेखक सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' हैं। इनकी अन्य प्रमुख कृतियाँ है- हरी घास पर क्षण भर, बावरा अहेरी, इन्द्रधनुष रौंदे हुए, अरी ओ करूणा प्रभामय, आँगन के पार द्वार, कितनी नावों में कितनी बार, क्योंकि मैं उसे जानता हूँ, महावृक्ष की नीचे, नदी की बाँक पर छाया, असाध्यवीण आदि।
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