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साहित्य-देवता

माखन लाल चतुर्वेदी

1 अध्याय
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1 पाठक
25 अप्रैल 2022 को पूर्ण की गई
निःशुल्क

इस पुस्तक के भीतर आलोचना को निमित्त मानकतर गद्य में स्वतन्त्र कविताएँ रची हैं। इस पुस्तक के भीतर आलोचना नहीं, स्वतन्त्र काव्य का रस है। यह पण्डित का तर्क नहीं, कवि की वाणी का प्रसाद है। जिस प्रकार माखनलालजी की कविता और वार्ताएँ रसपूर्ण, किन्तु धुँधली हुआ करती हैं उसी प्रकार इसके भी सभी अध्याय धुँधले तथा रहस्यपूर्ण हैं। 

sahitya devta

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