मेरी खुशी ओस की दो बूंदें जैसे,,,, वैसी ही है वो परियां, मखमली सी बातें गुणों में की है वो ख़ान, उसकी मुस्कराहट हर थकान मिटा देती, बातें उसकी नया ख्याब दिखा देती, सही रास्ते पर वो चलना सिखाती, भुल जाऊं तोनई राह दिखाती, भटका जब भी राहों से,,,याद उ
ले चल मुझे इस दुनिया से दूर कही जहां बातें हो बस तेरी मेरी यादें हो सब तेरी मेरी तुझ में मैं खो जाऊं मुझ में तू की जाए दुनियां से क्या लेना हमको बस तू मैं और मै तू हो जाए।।।
इस किताब में जो भी शायरी लिखी है वो सब मेरी वास्तविक ज़िन्दगी से जुड़ी हुई हैं यक़ीनन मेरी ज़िंदगी से बेहतर ज़िन्दगी होगी आपकी इतना यकीन है।
लड़की जब अपने घर रहती है ,तो उसके मां बाप उसे पराया धन कहते हैं और जब ससुराल जाती है तो वहां भी उसे पराए घर की कहा जाता है ,लड़की सोचती है की आखिर उसका घर कौनसा है ,उसके अपने कौन है,,,
ये कविताएं मेरे जीवन दर्शन की यात्रा है जो विभिन्न परिस्थितियों में मुझे एक दार्शनिक के रूप में स्वयं को देखने के लिए मजबूर करती हैं आप भी पढिये मेरे विचार मेरे दर्शन के द्वारा ।
रामगुलाम एक फौजी था । उसके पिताजी उमेद ने एक सेठ के पास अपनी एक एकड ज़मीन को गिरवी रखकर उधार में 50हज़ार रुपिये लिये थे। कुछ वर्ष बीत जाने के बाद उस सेठ की नियत में खोट आ गई और वह उस ज़मीन को हड़पने का षड़यंत्र रचने लगा। तब फौजी बेटे ने अपना तरीका आ
मन के भावों को कविता के रूप में आपके समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास किया है
मेरी आने वाली किताब ' Alpana Saxena की डायरी " हरेक पाठक के जीवन से जुड़ी छोटी -छोटी घटनाओ आधारित मेरी मूल रचनाये है। जो सकारात्मक है और जिन्हें सरल और रोचकता देने का मेरा प्रयास है।
ग्राम धर्मपुरा के एक मेहनतकस किसान की खुद की कमाई हुई खेती की जमीन को उसका छोटा भाई गांव के सरपंच व पटवारी के साथ मिलकर एक सरकारी प्रोजेक्ट के तहत एक कंपनी को कानूनी रूप से अधिग्रहीत करवा देता है और खुद बड़ा भाई बनाकर सारा पैसा उठाकर हजमा कर लेता ह
एक रिटायर्ड कर्नल है जिसकी पत्नी का देहांत हो चुका है। इसकी एक बेटा है जो अमेरिका में रहता है। वहीं उसने एक अमेरिकन लड़की से शादी कर ली है। कर्नल तनहा रहता है। कमला जो कर्नल के घर में नौकरानी है। कर्नल इसे अपनी बहन मानता है। यही कर्नल का ध्यान रखती ह
चार दिन की जिन्दगी जोे कि जदों में कैद है कितनी आजादी सेे हम अपनी हदों में कैद हैं बांट लेंगे आसमां भी गर हमें मौका मिले अब तलक तो ये जमीं ही सरहदों में कैद है तुम तो अच्छे आदमी हो ना मिलेगा कुछ तुम्हेेें नाम, पैसा और इज्ज्त सब बदों म
स्कंदगुप्त नाटक में गुप्तवंश के सन् 455 से लेकर सन् 466 तक के 11 वर्षों का वर्णन है। इस नाटक में लेखक ने गुप्त कालीन संस्कृति, इतिहास, राजनीति संधर्ष, पारिवारिक कलह एवं षडयंत्रों का वर्णन किया है। स्कंदगुप्त हूणों के आक्रमण (455 ई०) से हूण युद्ध की स
अजातशत्रु का मूलाधार भी अंतर्द्वन्द्व ही है। मगध,कोशल और कौशांबी में प्रज्वलित विरोध की अग्नि इस पूरे नाटक में फैली हुई है। उत्साह और शौर्य से परिपूर्ण इस नाटक में चरित्रों का सजीव चित्रण किया गया है। इसके प्रमुख पात्र मानवीय गुणों से ओतप्रोत है।
हममें से अधिकांश लोग ज्ञान और जागरूकता के अभाव में अपनी महत्वपूर्ण चीजों और बहुमूल्य समय को ही नजरअंदाज कर देते हैं, फिर समय बीत जाने पर हाथ मिलने और पछताने के सिवाय और कुछ भी हासिल नहीं होता है। समय पर जो काम थोड़ी उर्जा या श्रम से हो सकता था, उसके
महिला औसत कम वाले राज्यों में किस तरह बेमेल विवाह कर औरतों को जानवर बना दिया जाता है इसका वर्णन किया गया है इस किताब में
गुंजन कवि सुमित्रानन्दन पंत का काव्य-संग्रह है। इसका प्रकाशन सन् 1932 में हुआ था। इसे कवि पंत ने अपने प्राणों का 'उन्मन-गुंजन' कहा है। यह संकलन 'वीणा' 'पल्लव' काल के बाद कवि के नये भावोदय की सूचना देती है। इसमें हम उसे मानव के कल्याण और मंगलाशा के न
प्रेमचंद आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह और उपन्यास सम्राट माने जाते हैं। यों तो उनके साहित्यिक जीवन का आरंभ १९०१ से हो चुका था पर बीस वर्षों की इस अवधि में उनकी कहानियों के अनेक रंग देखने को मिलते हैं। मानसरोवर (कथा संग्रह) प्रेमचंद द्वारा लिखी गई कहा