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सामाजिक की किताबें

Social books in hindi

विभिन्न विषयों पर सामाजिक पुस्तकों को पढ़ें Shabd.in पर। हमारा यह संग्रह समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर करता है। इस संग्रह की मदद से हम पारिवारिक रिश्ते, जात-पात, अमीर-गरीब, दहेज, रंग भेद जैसे कई मुद्दों पर समाज को रौशनी दिखाने का प्रयास करते हैं। इसके अलावा भी भौगोलिक स्थिति के वजह से हाशिये पर रहे समाज की स्थिति पर भी हम समीक्षा देते हैं। तो चलते हैं समाजिक पहलुओं पर चेतना जगाने Shabd.in के साथ।
प्रेम की पाठशाला

हममें से अधिकांश लोग ज्ञान और जागरूकता के अभाव में अपनी महत्वपूर्ण चीजों और बहुमूल्य समय  को ही नजरअंदाज कर देते हैं, फिर समय बीत जाने पर हाथ मिलने और पछताने के सिवाय और कुछ भी हासिल नहीं होता है। समय पर जो काम थोड़ी उर्जा या श्रम से हो सकता था, उसके

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खरीदी हुई दुल्हन

महिला औसत कम वाले राज्यों में किस तरह बेमेल विवाह कर औरतों को जानवर बना दिया जाता है इसका वर्णन किया गया है इस किताब में

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29 अप्रैल 2022
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28 अप्रैल 2022
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गुंजन

गुंजन कवि सुमित्रानन्दन पंत का काव्य-संग्रह है। इसका प्रकाशन सन् 1932 में हुआ था। इसे कवि पंत ने अपने प्राणों का 'उन्मन-गुंजन' कहा है। यह संकलन 'वीणा' 'पल्लव' काल के बाद कवि के नये भावोदय की सूचना देती है। इसमें हम उसे मानव के कल्याण और मंगलाशा के न

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48 अध्याय
29 अप्रैल 2022
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(एकांकी)        बुढ़िया मां...।

एक बूढ़ी मां का दर्द।

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मानसरोवर भाग 1

प्रेमचंद आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह और उपन्यास सम्राट माने जाते हैं। यों तो उनके साहित्यिक जीवन का आरंभ १९०१ से हो चुका था पर बीस वर्षों की इस अवधि में उनकी कहानियों के अनेक रंग देखने को मिलते हैं। मानसरोवर (कथा संग्रह) प्रेमचंद द्वारा लिखी गई कहा

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27 अध्याय
23 जुलाई 2022
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I & THE MIRROR

                                    I & THE MIRROR Poem have been made through this book on different topics. Most poems will make people positive and the way of living life will change, just like… Our Aim, Let’s Fly, The Bird Baby, The Draw Stra

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6 अप्रैल 2022
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पल्लविनी

पल्लव सुमित्रानंदन पंत का तीसरा कविता संग्रह है जो 1928 में प्रकाशित हुआ था। यह हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के प्रारंभ का समय था और इसकी लगभग सभी कविताएँ प्रकृति के प्रति प्रेम में डूबी हुई हैं। माना जाता है कि पल्लव में सुमित्रानंदन पंत की सबसे

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60 अध्याय
1 अगस्त 2022
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जीवन धारा

एक प्राण नदी के चारो ओर झरने, और वायु का शोर, शांत, गति में पुलकित मोर जीवन धारा करती हिलोर! शिथिल हृदय, आहत मन विस्मित चित्र, और सूनापन लगता है कि कायनात मे, लहू-लुहान हैं सबके स्वपन, हे मानव, क्या हस्ती है तेरी, डूबती, उतराती कश्ती है तेरी, पा

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हमराही

मेरे शब्दों की रसधार है हमराही।

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1 अगस्त 2022
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कविताएं कुछ कहती हैं

मन के भावों को शब्दों में पिरोकर सृजन करने का एक अलग ही आनंद है। सामान्यतः यह मानी जाती है कि रचनाएं कवि की कल्पना मात्र होती है, लेकिन सच तो ये है कि कवि अपनी कल्पनाओं में भी उसी हकीकत का जिक्र करता है , जो वो जीता है अर्थात् जो वह अपनी रोजमर्रा की

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खादी के फूल

सामाजिक-राजनैतिक कविताओं (बंगाल का काल, खादी के फूल, सूत की माला, धार के इधर-उधर, आरती और अंगारे, बुद्ध और नाचघर, त्रिभंगिमा, चार खेमे चौंसठ खूँटे, दो चट्टानें, जाल समेटा) तक आते-आते बच्चन का यह काव्य-नायक मनुष्य अपने व्यक्तित्व के रूपांतरण और समाजीक

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15 अध्याय
1 अगस्त 2022
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मधुज्वाल

उनका संपूर्ण साहित्य 'सत्यं शिवं सुन्दरम्' के आदर्शों से प्रभावित होते हुए भी समय के साथ निरंतर बदलता रहा है। जहां प्रारंभिक कविताओं में प्रकृति और सौंदर्य के रमणीय चित्र मिलते हैं वहीं दूसरे चरण की कविताओं में छायावाद की सूक्ष्म कल्पनाओं व कोमल भावन

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154 अध्याय
1 अगस्त 2022
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मन के जज़्बात (मेरी कविताओं का संग्रह भाग 2)

इस पुस्तक में मैं अपनी कविताओं को संग्रहित करूंगी मैंने अपनी कविताओं में व्यक्ति के मन में चल रहे अंतर्द्वंद्व को व्यक्त किया है मेरी कविताएं मानव मन के हर कोने को छूने का प्रयास करती हुई प्रतीत होती हैं मैंने नारी मन और सामाजिक मुद्दों को अपने अंदा

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25 मई 2022
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गज़ल

मजदूर दिवस पर एक ग्ज़ल।

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मुझमें तू मुझसे ज्यादा....

ये कहानी एक लड़की की जीवन की है कैसे उसने छोटी सी उम्र से खुद को संभाला और कितनी मुश्किलों से वो गुजरी और प्यार से कैसे उसे नफरत होने लगी ....

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दीवानापन (Deewanapan)

मैं इस पुस्तक के माध्यम से कहना चाहता हूं कि प्यार कोई अपराध नहीं है लेकिन कुछ लोग इसका गलत फायदा उठाते हैं। लोग कहते हैं कि आजकल सच्चा प्यार कौन है, लेकिन मैं सभी से पूछना चाहता हूं। क्या आप भी ऐसे हैं जो अपने वादे पर खरे उतर सकते हैं। इस किताब के

10 पाठक
60 अध्याय
23 जुलाई 2023
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